सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी की सिफारिश; आगरा में गधापाड़ा में सिटी फॉरेस्ट बनने की उम्मीद

Dharmender Singh Malik
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सुप्रीम कोर्ट की सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी की सिफारिश; आगरा में गधापाड़ा में सिटी फॉरेस्ट बनने की उम्मीद

आगरा, 24 जनवरी: यदि सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (CEC) की सिफारिश को स्वीकार कर लिया तो आगरा के गधापाड़ा (बेलनगंज) इलाके में एक नया सिटी फॉरेस्ट आकार ले सकता है। इस परियोजना के समर्थक और पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता इसे आगरा शहर के लिए एक महत्वपूर्ण वरदान मानते हैं। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से यह पहल शहर की बढ़ती आबादी और प्रदूषण के बीच एक स्थिरता का काम कर सकती है।

क्या है मामला?

आगरा के गधापाड़ा स्थित मालगोदाम की जमीन, जो पहले रेलवे के उपयोग में थी, अब बिल्डर्स को आवासीय प्रोजेक्ट के लिए लीज पर देने की योजना सामने आई है। इस खबर के सामने आते ही शहर के पर्यावरण प्रेमी इस पर चिंता जताने लगे। रिवर कनेक्ट कैंपेन के सदस्य और वरिष्ठ पत्रकार बृज खंडेलवाल ने इस भूमि पर आवासीय प्रोजेक्ट के खिलाफ आवाज उठाते हुए, यहां सिटी फॉरेस्ट विकसित करने की मांग की थी।

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बृज खंडेलवाल की आपत्ति

खंडेलवाल का तर्क था कि यह जमीन आगरा शहर की है, जो ब्रिटिश काल में मालगोदाम के लिए दी गई थी। उनका कहना था कि चूंकि अब यह भूमि रेलवे के लिए उपयोग में नहीं आ रही है, तो इसे आगरा शहर को लौटाया जाना चाहिए। इस क्षेत्र में कोई आवासीय प्रोजेक्ट नहीं होना चाहिए क्योंकि इससे शहर की हरियाली और पर्यावरण पर नकारात्मक असर पड़ेगा।

डॉ. शरद गुप्ता की पहल

पर्यावरणविद डॉ. शरद गुप्ता ने इस मामले को सीधे सुप्रीम कोर्ट में उठाया। उनकी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (CEC) के पास भेज दिया। इसके बाद सीईसी की तीन बैठकें हुईं, जिनमें डॉ. गुप्ता ने जोर देकर कहा कि इस भूमि का उपयोग शहरवासियों के हित में किया जाए, और खासतौर पर बच्चों के खेलने के लिए मैदान और सिटी फॉरेस्ट बनाने की सिफारिश की।

बच्चों के खेलने की जगह की कमी

डॉ. गुप्ता ने सीईसी की बैठकों में यह भी कहा कि शहर में बच्चों के खेलने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है। उन्होंने आगरा के प्रमुख खेल मैदानों जैसे पीएसी ग्राउंड, आगरा कॉलेज खेल मैदान और आरबीएस कॉलेज खेल मैदान का जिक्र करते हुए बताया कि मेट्रो परियोजना के कारण इन खेल मैदानों की जगह पर कब्जा हो गया है। इसके परिणामस्वरूप बच्चों के लिए खेलने की जगह बेहद सीमित हो गई है।

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सीईसी की सिफारिश

अब सीईसी ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी है, जिसमें मालगोदाम की कुल जमीन में से 2.3 हेक्टेयर भूमि पर सिटी फॉरेस्ट विकसित करने की सिफारिश की गई है। इस सिफारिश से यह उम्मीद जताई जा रही है कि आगरा के नागरिकों को एक नई और हरी-भरी जगह मिल सकती है, जहां वे अपनी शारीरिक और मानसिक सेहत के लिए समय बिता सकते हैं। इस सिटी फॉरेस्ट से न केवल शहर की हवा शुद्ध होगी, बल्कि यह क्षेत्रीय पर्यावरण को भी मजबूती देगा।

आगरा के लिए एक वरदान

यदि सिटी फॉरेस्ट परियोजना को आकार मिलता है तो यह आगरा के लिए एक वरदान साबित हो सकता है। यह शहर के बढ़ते प्रदूषण, गर्मी और बढ़ती आबादी के बीच एक शुद्ध पर्यावरणीय क्षेत्र प्रदान करेगा। डॉ. शरद गुप्ता और अन्य पर्यावरण प्रेमियों का मानना ​​है कि सिटी फॉरेस्ट बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों के लिए एक आदर्श स्थान होगा, जहां वे शांति से समय बिता सकते हैं और प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।

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आखिरकार: क्या होगा भविष्य?

अब यह सुप्रीम कोर्ट पर निर्भर करता है कि वह सीईसी की सिफारिश को स्वीकार करेगा या नहीं। यदि यह सिफारिश मंजूर होती है तो गधापाड़ा (बेलनगंज) में सिटी फॉरेस्ट का निर्माण आगरा के पर्यावरण और नागरिकों के लिए एक बड़ा कदम होगा। यह पहल न केवल बच्चों के खेलने की जगह का पुनर्निर्माण करेगी, बल्कि शहर की हरियाली में भी बढ़ोतरी करेगी।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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