पिपहेरा, धौलपुर : पिपहेरा में 37वें छठ महोत्सव के तहत आयोजित त्रिदिवसीय मानस सत्संग का बुधवार को समापन हुआ। यह आयोजन श्रीधाम मढेकी वाले बालाजी मंदिर पर सोमवार से शुरू हुआ था और इस महाकुम्भ रूपी सत्संग में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। मानस सत्संग में श्रीधाम कुल्हाडा के श्रीश्री 10008 श्री स्वामी भाष्करानन्द सरस्वती जी महाराज और उनके प्रमुख संतों के प्रवचन का लाभ श्रद्धालुओं ने लिया।
सत्संग में श्रीस्वामी सुखानन्द सरस्वती जी ने बताया कि जाग जाने पर सपने में मिलने वाले सुख और दुख स्वतः ही दूर हो जाते हैं, ठीक उसी प्रकार मोह रूपी स्वप्न ही हमारे सुख-दुख का कारण है। इस सत्संग में वेद वेदांग पर विस्तृत चर्चा की गई, जिसे संतों ने कई प्रकार से प्रस्तुत किया।
छठ महोत्सव और सत्संग का महत्व
इस कार्यक्रम के संयोजक बालकृष्ण तिवारी और सामाजिक कार्यकर्ता भूपेन्द्र त्यागी ने बताया कि यह आयोजन पिपहेरा में होने वाले छठ महोत्सव के अवसर पर आयोजित किया गया था। मंदिर के महंत श्रीश्री 10008 श्री द्वारिकादास जी महाराज ने बताया कि सत्संग का आयोजन समाज सुधार के उद्देश्य से किया गया था। इस अवसर पर मंदिर के संरक्षक श्रीमान खेमचन्द्र जी त्यागी ने बताया कि लगभग 37 वर्ष पूर्व मन्दिर के तत्कालीन महंत श्रीश्री 10008 श्री उमादास जी महाराज ने गांव में होने वाले फूहड़ नाच-गाने के आयोजनों को बंद कर समाज में जागरूकता फैलाने के लिए छठ महोत्सव की शुरुआत की थी। यह आयोजन समय के साथ एक परंपरा बन गई है, जिसे अब मंदिर के वर्तमान महंत श्रीश्री 10008 श्री द्वारिकादास जी महाराज के नेतृत्व में आयोजित किया जा रहा है।
पिछले साल से बदलाव: तीन दिवसीय सत्संग
इस वर्ष 3 दिवसीय सत्संग का आयोजन किया गया है, जबकि पिछले साल से इस कार्यक्रम में एक बदलाव किया गया था। गत वर्ष छठ मेले से पहले एक दिन का सत्संग आयोजित किया गया था, जो इस बार तीन दिनों तक चला। इस बदलाव से श्रद्धालुओं को अधिक समय तक धार्मिक ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिला।
झाँकी का आयोजन
गुरुवार को मेला आयोजन के दौरान दोपहर में झाँकी निकाली जाएगी, जिसकी तैयारियां शाम तक पूरी कर ली जाएंगी। यह झाँकी धार्मिकता और समाज जागरूकता का प्रतीक होगी, जिससे महोत्सव के उद्देश्य को और भी बढ़ावा मिलेगा।
स्वयंसेवकों का योगदान
इस महोत्सव के आयोजन में आरएसएस की बालाजी शाखा और मां दुर्गा शाखा के स्वयंसेवकों ने भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्वयंसेवकों ने मन्दिर परिसर की साफ-सफाई, जलपान वितरण, और अन्य सेवा कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लिया। कार्यक्रम के दौरान स्वयंसेवकों द्वारा भक्ति भाव से कई प्रकार के सेवा कार्य किए गए, जिनमें मन्दिर परिसर की साफ-सफाई और श्रद्धालुओं की सेवा प्रमुख रूप से शामिल थी।
पिपहेरा के 37वें छठ महोत्सव का यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि यह समाज को एकजुट करने और परंपराओं को संजोने का भी कार्य कर रहा है। मंदिर प्रशासन, समिति और ग्रामवासियों के सहयोग से इस आयोजन को सफल बनाया गया। भविष्य में भी इस प्रकार के आयोजनों के माध्यम से समाज में धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जागरूकता फैलाने की दिशा में काम किया जाएगा।