आगरा। सरकार दलितों को समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहती है। दलित उत्पीड़न पर सजा का भी प्रावधान है, इसके बावजूद वर्तमान दौर में दलितों के साथ भेदभाव खत्म नहीं हो रहा है। हीनभावना के साथ उन पर अत्याचार हो रहा है।
प्रकरण थाना फतेहपुर सीकरी क्षेत्र अंतर्गत गांव उंदेरा का है। बताया जाता है कि गांव के एक ही परिवार के लगभग आधा दर्जन बच्चे फतेहपुर सीकरी स्थित अपने स्कूल में पढ़ने हेतु ईको वैन में बैठकर आ रहे थे। रास्ते में ही गांव के दबंगो ने मिलकर बच्चों को जाति सूचक शब्दों का प्रयोग करना शुरू कर दिया। गाड़ी में बैठे एक बच्चे अखिलेश ने दबंगों की बात का प्रतिवाद करते हुए कहा कि आप ऐसे क्यों बोल रहे हैं। अखिलेश का बोलना दबंगों को नागवार गुजरा। इसके बाद उनका पारा हाई हो गया। गाड़ी में बैठे अखिलेश को खींचकर उसके सिर में जोरदार प्रहार कर उसको बुरी तरह लहूलुहान कर दिया। दबंगों का कहर यहीं नहीं थमा, तोषी, खुशबू, तृषा, अंशुल, आशीष, विनीत को भी नहीं बख्शा। उनके साथ भी जमकर मारपीट हुई। घटना के बाद धमकी देकर दबंग भाग निकले।
थाने पर पुलिस ने दिखा दिया रंग
दबंगों द्वारा पिटाई से सहमे बच्चे अपने परिजनों के साथ थाने पर पहुंचे तो उन्हें यहां पर प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा। उनको घंटों तक थाने पर बिठाए रखा। बच्चों के परिजनों का आरोप है कि एक जनप्रतिनिधि के दवाब में उनके बच्चे को मजमून चिट्ठी तक नहीं दी गई। उन पर राजीनामे का दवाब बनाया गया। थाने पर पहुंचे बच्चे बहुत ज्यादा डरे हुए थे। उनके मुंह से बोल भी नहीं निकल पा रहे थे। कथित रूप से जिन बच्चों की पिटाई हुई, उनके परिजनों पर दवाब बनाने के लिए उन पर शांति भंग की कार्रवाई में पाबंद कर जेल भेजने की धमकी दी गई।
स्मार्ट पुलिसिंग और सबको न्याय की खुल रही पोल
आगरा कमिश्नरेट में दबंगों द्वारा दलितों के साथ की गई घटना कोई पहला प्रकरण नहीं है। प्रदेश के मुखिया अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने का दावा करते हैं। उनके ही राज में पुलिस द्वारा गंभीर प्रकरणों को भी नजरंदाज किया जा रहा है। फतेहपुर सीकरी में थाने पर पहुंचे बच्चे, अपने ऊपर हुए जुल्म की गवाही दे रहे थे, इसके बावजूद पुलिस को उनकी पीड़ा दिखाई नहीं दे रही थी।
इस प्रकरण पर थाना प्रभारी ने कहा की इतना बड़ा मामला नहीं है। मामले को तूल न दें। रहते कहाँ हैं ये बताइये। उसके बाद फ़ोन काट दिया।