आखिर परिषद के अधिकारियों की जानकारी के बिना कैसे खड़ी हो गई चार-चार मंजिल अवैध बिल्डिंग ?
किसने की अवैध निर्माण कर्ताओं से करोड़ों की अवैध वसूली ?
सीलिंग की कार्रवाई के बाद भी चलते मिल रहे है निर्माण कार्य
शीघ्र ही अवैध निर्माण कर्ताओं का आवास आयुक्त से मिलेगा प्रतिनिधि मंडल
एक ही चहेते इंजीनियर को क्यों दिया गया योजनाओं का अधिकतर क्षेत्र ?
सुपरवाइजर करते रहे क्षेत्र की रखवाली लेकिन जारी रहे अवैध निर्माण
आगरा । एंथला प्रोजेक्ट में एक निर्माण के दौरान आवास विकास परिषद के निर्माण खंड एक के अवर अभियंता, अधिसाशी अभियंता के साथ ही एक चपरासी को अवैध वसूली की शिकायत पर आवास आयुक्त लखनऊ ने निलंबित कर दिया था उसके बाद निर्माण खंड एक के अधिकारियों के साथ-साथ अधीक्षण अभियंता ने भी बिना मानचित्र के बन रहे अवैध निर्माण को चिन्हित करने का काम शुरू किया । लगभग एक माह चिन्हित करने के बाद अधीक्षण अभियंता के आदेश पर खंड एक के तत्कालीन सहायक अभियंता राजीव वर्मा के साथ प्रवर्तन दल की टीम ने इन अवैध निर्माणों पर सीलिंग एवं नोटिस की कार्रवाई शुरू कर दी । लेकिन इन पर कोई अभी तक सख्त कार्रवाई नहीं हुई है । इससे साफ हो रहा है कि अवैध निर्माणों को परिषद का कोई न कोई अधिकारी संरक्षण दे रहा है। लेकिन इस कार्रवाई से परिषद के अधिकारी सवालों के घेरे में घिरते जा रहे हैंl
पिछले दिनों आवास विकास परिषद के निर्माण खंड एक के द्वारा सिकंदरा, कमला नगर एवं ट्रांस यमुना योजना में बिना मानचित्र के बन रहे अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान शुरू किया था। जिसमें कई बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों को सील के साथ ही अन्य अवैध निर्माण कर्ताओं को नोटिस दिए गए। जब यह कार्रवाई करने के बाद क्षेत्र से फिर अधीक्षण अभियंता एवं अन्य अधिकारियों के पास निर्माण कार्य शुरू करने की शिकायत आने लगी तो फिर एक बार प्रवर्तन की टीम इन अवैध निर्माणों पर पहुंची जहां इनका सीलिंग एवं नोटिस के बाद भी काम शुरू मिला। इससे ऐसा लगता है कि जिन अधिकारियों के संरक्षण में यह बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनी है। वही अधिकारी आज भी कहीं ना कहीं से इन अवैध निर्माण कर्ताओं से सेटिंग का खेल -खेल रहे हैं।
अधीक्षण अभियंता एवं सहायक अभियंता की जोड़ी रही है चर्चित
फिलहाल जो अवैध निर्माणों पर कार्रवाई हुई है यह तो मात्र फिलहाल हुए अवैध निर्माण है। परिषद सूत्रों की माने तो लगभग 1 साल पहले सहायक अभियंता राजीव वर्मा के साथ ही कई और सहायक अभियंताओं पर सिकंदरा योजना के कई सेक्टर, कमला नगर योजना एवं ट्रांस यमुना योजना फेस वन एवं फेस टू योजना में अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी थी लेकिन जैसे ही गाजियाबाद से स्थानांतरण होकर अधीक्षण अभियंता आए तो अपने चहेते तत्कालीन सहायक अभियंता राजीव वर्मा को सिकंदरा योजना के समस्त सेक्टर एवं कमला नगर व ट्रांस यमुना की फेस टू योजना का कारभार सौंप दिया। अलावा इसके उन अभियंताओं को किनारे कर दिया जो कई सालों से इन क्षेत्रों की जिम्मेदारी देख रहे थे। बताया जाता है कि अधीक्षण अभियंता एवं सहायक अभियंता की गाजियाबाद से ही चर्चित जोड़ी रही है जिसने आगरा में आकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म कर दिया ।
इन अवैध निर्माण कर्ताओ के इतने हौसले बुलंद होना कि परिषद की कार्रवाई के बाद भी निर्माण कार्य जारी रखना यही बताता है कि यहां से स्थानांतरण होकर चले गए सहायक अभियंता का आज भी इनको संरक्षण प्राप्त है। अवैध निर्माण करने वालों से जब बात की गई कि आपकी बिल्डिंग कई महीनो से बन रही है तो पहले कभी आपको नोटिस नहीं दिए गए क्या ? इस पर उनका कहना था कि पहले नोटिस दिए गए लेकिन पहले नोटिस पर सेटिंग का खेल कार्यालय में बैठकर एक सहायक अभियंता द्वारा कर लिया उसके बाद आश्वासन दिया गया कि अब आप धड़ल्ले से अवैध निर्माण करिए आपको कोई नहीं रोक पाएगा लेकिन जैसे ही आवास आयुक्त ने एक निलंबित की कार्रवाई की तो फिर निर्माण खंड एक भी उन्हीं अवैध निर्माण के पीछे पड़ गया जो सेटिंग एवं मोटी रकम लेकर पूरे करवाए जा रहे थेl ऐसे में यह कह पाना तो बहुत मुश्किल है कि यह सहायक अभियंता के संरक्षण में हुए अवैध निर्माण कब तक टूटेंगे ? लेकिन इतना जरूर है कि कहीं ना कहीं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की भ्रष्टाचार समाप्त करो नीति को ठेंगा दिखाकर भ्रष्टाचार के तहत परिषद की योजनाओं में अवैद्य निर्माण कार्यों की बाढ़ सी ला दी है।
सहायक अभियंता बताए जाते हैं जुगाड़ में कामयाब
बताया जाता है कि अभी फिलहाल जिस सहायक अभियंता के कार्यकाल में सबसे अधिक अवैध निर्माण हुए वह जुगाड़ लगाने में कामयाब थे, यही कारण था कि उनकी ड्यूटी अलीगढ़ में थी लेकिन वह यहां अवैध निर्माणों को पूरा करवाते हुए धन बटोरने में लगे थे लेकिन जैसे ही उन पर इन अवैध निर्माण को लेकर शासन स्तर से कार्रवाई होने वाली थी वह धीरे से फिर यहां से अपना ट्रांसफर मेरठ करवा ले गए लेकिन यहा जांच हुई तो निश्चित ही उनका इन अवैध निर्माण के खेल में फसना तय हैं ।
अवैध निर्माण में हुई है करोड़ों रुपए की अवैध वसूली
सूत्रों की माने तो सहायक अभियंता के कार्यकाल में लगभग 250 से 300 अवैध निर्माण कार्य पूरे हुए हैं जो लेटर के हिसाब से तय किए जाते थे। एक अवैध निर्माण कर्ता ने बताया कि जैसे ही लेटर पढ़ने का नंबर आता था, वैसे ही सहायक अभियंता का चहेता सुपरवाइजर भगवान सिंह पूनिया उसी समय निर्माण पर पहुंचता था उसके बाद फोटो खींचते ही कार्यालय आने की बात कह कर चला जाता था उसके बाद कार्यालय में बैठकर कार्रवाई न करने का आश्वासन देकर अवैध वसूली की जाती थी । इन अवैध निर्माण से सहायक अभियंता ने करोड़ों रुपए कमाए हैं।
सुपरवाइजर/चपरासियों का किया स्थानांतरण
बताया जाता है कि जैसे ही अवैध निर्माण मैं हुई अवैध वसूली की पोल खुलने लगी तो एक जुगाड़ू सहायक अभियंता बिना कार्रवाई के यहां से स्थानांतरण करवाने में कामयाब गये वही मुख्यालय से 6 चर्चित सुपरवाइजर चपरासियों का स्थानांतरण एक दूसरे निर्माण खंड में कर दिया गया है । जिससे साफ हो रहा है कि निश्चित ही मुख्यालय में बैठे अधिकारी भी इन अवैध निर्माण को पूरा करवाने वाले अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के मूड में नहीं है । जबकि पिछले दिनों ऐसी ही अवैध वसूली में अधिशासी अभियंता एक अवर अभियंता एवं चपरासी को मुख्यालय द्वारा निलंबित कर दिया गया है।
अभी कई चल रहे अवैध निर्माण
बताया जाता है कि परिषद की तमाम कार्रवाइयों के बाद भी सिकंदरा, कमला नगर एवं ट्रांस यमुना योजना में आज भी कई अवैध निर्माण कार्य चल हैं जिनकी ओर न तो वर्तमान सहायक अभियंता और न हीं अधिसाची अभियंताओं की नजर है अब लगने लगा है कि कितने भी कार्रवाई हो जाए लेकिन नतीजा शून्य ही रहेगा । ट्रांस यमुना मैं कई कर ऐसे हैं जो सीलिंग के बाद भी लगातार जारी है इस से साफ हो रहा है कि आज भी विभाग का कोई अधिकारी इनको आश्वासन दे रहा है कि निर्माण कार्य जारी रखो कुछ नहीं होने वाला है।
ऐसी कार्रवाइयों से हो रही सरकार की किरकिरी
पहले अवैध निर्माणों को चालू करवा के कई महीनो में पूरा करवाया उसके बाद अब उन्हीं निर्माण कार्य को सील करके अधिकारियों द्वारा यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि यह अवैध निर्माण उनकी सहमति से नहीं हुए जबकि यदि सच्चाई से जांच की जाए तो चार-चार मंजिल की बिल्डिंग कई महीनो में बनकर पूरी हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सहायक अभियंता एवं सुपरवाइजर को इन बिल्डिंगों के अवैध निर्माण की जानकारी नहीं थी या फिर थी तो किस सेटिंग के तहत यह निर्माण कार्य पूरे हो गए । इसी तरह के कार्यों से यूपी सरकार की लगातार किरकिरी हो रही है और अवैध निर्माण करने वाले अब यही कहने लगे हैं कि यह सरकार तो बसपा और सपा से भी बुरी है जो पहले अवैध निर्माण सेटिंग के तहत पूरा कराती है उसके बाद जब डंडा शासन का घूमता है तो उन्हीं को सील करके अधिकारी यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि इन अवैध निर्माण की उनको जानकारी नहीं थी।
शीघ्र ही आवास आयुक्त लखनऊ से मिलेगा पीड़ितों का प्रतिनिधिमंडल
जो कार्य कई महीनो में करोड़ों रुपए की लागत से निर्माण कर्ताओं ने पूरे किए हैं लेकिन अब परिषद के अधिकारियों द्वारा उन निर्माण कार्यों को सील करने के साथ ही नोटिस दिए जा रहे हैं ऐसे में अब परेशान होकर का इन बिल्डिंग के निर्माण कर्ता शीघ्र ही आवास आयुक्त लखनऊ से मीडिया में प्रकाशित खबरों को लेकर संपर्क करेंगे। यही नहीं उनका कहना है कि आवास आयुक्त को जिन अधिकारियों के कार्यकाल में यह अवैध निर्माण पूरे हुए हैं उनकी पोल खोलने का कार्य किया जाएगाl मुलाकात करने के लिए आवास आयुक्त से बिल्डिंग निर्माण कर्ताओ द्वारा मुलाकात का समय मांगा जा रहा है।
हाईकोर्ट के स्टे के बाद भी हो रहा निर्माण कार्य
आवास विकास सिकंदरा योजना में एक मामला तो ऐसा है जिस पर हाई कोर्ट का स्टे लगा हुआ है न्यायालय द्वारा यथा स्थिति बनाने का निर्देश दिए गए हैं लेकिन इसके बाद भी अवैध निर्माण कार्य के साथ ही गिट्टी तोड़ने का ऐसा कार्य हो रहा है जो आबादी क्षेत्र में नहीं हो सकता है। यही नहीं कई बार इस जमीन के आसपास के लोगों ने अधिकारियों से इस अवैध कार्य की शिकायत भी की लेकिन अधिकारियों पर कोई असर नहीं है बल्कि यह कहते हैं कि अब हाई कोर्ट में जाकर इसकी जानकारी देंगे तभी कार्रवाई संभव है।