Advertisement

Advertisements

इस होनहार सिपाही ने पुलिस को दिया डिजिटल शक्ति का हथियार

Dharmender Singh Malik
5 Min Read
  • डिजिटल युग में सिपाही की भूमिका बढ़ रही है। वर्दी है लेकिन डंडे की जगह हाथ में मोबाइल और सामने कंप्‍यूटर

आगरा। सिपाही, सुरक्षा का अहसास कराती वर्दी और हाथ में डंडा। यहां छवि बदल रही है। डिजिटल युग में सिपाही की भूमिका भी आगे बढ़ रही है। वर्दी है, लेकिन डंडे की जगह हाथ में मोबाइल और सामने कंप्‍यूटर है।

चोर-बदमाशों के पीछे भागने के बजाय उनसे सुरक्षा का डिजिटल उपकरण है। सिपाही का नाम मोहित है । मोबाइल एप बेस्ड साफ्टवेयर तैयार कर पुलिसिंग को डिजिटल शक्ति प्रदान करना काम है।

मोहित इस काम में सफल हैं, जिसके कारण विभाग उन्‍हें वर्दी वाला साफ्टवेयर इंजीनियर की संज्ञा देता है। पुलिस विभाग के अधिकारियों में मोहित इसी नाम से जाने जाते हैं। एडीजी कार्यालय में तैनात हेड कांस्टेबल मोहित पुलिस के लिए उपयोगी साफ्टवेयर बनाते हैं।

दो वर्ष में वे पांच मोबाइल बेस्ड साफ्टवेयर बना चुके हैं। एक एप अपराधियों की पहचान में तो दूसरा महिलाओं की बीट पर सक्रियता और गुमशुदा लोगों की तलाश की निगरानी में काम आ रहा है। अब उनसे बनवाए गए नए एप से पुलिस मालखाने को डिजिटल किया जा रहा है।

See also  आगरा में कल से तीन दिन आंधी-बारिश के आसार, गिरेगा तापमान

एडीजी राजीव कृष्ण उनके काम पर मोहित हैं। कहते हैं, मोहित के एप से जोन में पुलिसिंग को काफी मदद मिल रही है। बदायूं के सिविल लाइंस के दहिमी गांव निवासी मोहित कुमार ने वर्ष 2014 में एमसीए की थी। कुछ वर्ष नोएडा, गुरुग्राम और दिल्ली में मल्टीनेशनल कंपनियों में काम किया।

वर्ष 2019 में पुलिस में कांस्टेबल ग्रेड के कंप्यूटर आपरेटर पद पर भर्ती हो गए। मुरादाबाद पुलिस एकेडमी में ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने पुलिस के लिए साफ्टेवेयर पर काम शुरू कर दिया। वे अपने काम और अनुशासन से एडीजी राजीव कृष्ण की नजर में आ गए।

एडीजी राजीव कृष्ण की आगरा पोस्टिंग हुई तो उन्होंने वर्ष 2021 में मोहित की योग्यता को देख बेहतर प्रयोग का निर्णय लिया। उनका स्थानांतरण पीलीभीत से आगरा करा लिया। यहां आते ही अप्रैल 2021 में आपरेशन पहचान एप बनाया।

इसमें आगरा जोन में 10 वर्ष में अपराध करने वाले अपराधियों का पूरा हिसाब है। किसने, कब, कहां और कैसा अपराध किया? अब वह कहां है? जेल या बाहर? यह सारी जानकारी एक क्लिक में मिल जाती है। छह माह बाद ही उन्होंने महिला बीट के लिए साफ्टवेयर बनाया।

See also  खुलासा: ज्वैलर्स मर्डर मिस्ट्री में नया ट्विस्ट, मृतक बदमाश का पिता बना 'पार्टनर इन क्राइम'!

इसमें मिशन शक्ति से जुड़ी महिला पुलिसकर्मियों का पूरा रिकार्ड है। अप्रैल 2022 में पुलिस के उपयोगी साफ्टवेयर में एक और अध्याय एंटी रोमियो स्क्वाड के रूप में जोड़ा। इसके छह माह बाद मोहित ने गुमशुदा व्यक्तियों के सत्यापन के लिए एक मोबाइल बेस्ड साफ्टवेयर बना दिया।

मालखानों की खराब स्थिति को ठीक करने की चुनौती सामने आई तो, एडीजी राजीव कृष्ण ने मोहित को फिर टास्क किया। पुलिस नियम के हिसाब से मोहित से डिजिटल मालखाना साफ्टवेयर बनवाया है।

साफ्टवेयर से पहले चरण में पिछले दिनों जोन के 21 थाने जोड़े गए। प्रयोग सफल होने के बाद अब आगरा के साथ जोन के सात दूसरे जिलों, मथुरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, हाथरस, अलीगढ़, कासगंज और एटा के सभी थानों के मालखाने अब इससे जोड़ दिए हैं।

ऐसे काम करता है एप
मालखानों में रखे सामान पर क्यूआर कोड लगाया गया है। इसको साफ्टवयेर की मदद से स्कैन करने पर संबंधित माल की पूरी डिटेल पुलिस को मिलेगी। माल किस केस से संबंधित है? न्यायालय में अगली तिथि कब है?

See also  आगरा में बारिश, मौसम में बदलाव; बारिश ने बढ़ाई हल्की ठंड

इसका नोटिफिकेशन भी संबंधित के मोबाइल पर स्वयं ही आ जाएगा। कोर्ट या विधि विज्ञान प्रयोगशाला में रिमाइंडर का नोटिफिकेशन के साथ ही प्रार्थना पत्र भी एप से ही टाइप्ड मिल जाएगा।

मोहित के बनाए साफ्टवेयर पुलिस को मदद कर रहे हैं। मालखाने के रखरखाव को बनाए एप से मुकदमों की पैरवी में पुलिस को बहुत आसानी होगी। यह साफ्टवेयर और मोबाइल एप पूरी तरह सुरक्षित है। इनकी जांच विशेषज्ञ कर चुके हैं। इसकी लागिन आइडी केवल पुलिस अधिकारियों और थाना प्रभारियों के सिस्टम से जुड़े पुलिसकर्मियों के पास ही है। – राजीव कृष्ण, एडीजी आगरा

Advertisements

See also  Agra : मलिकपुर में जंगली जानवर ने बकरियों पर बोला हमला
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement