फैजान उद्दीन
माहे रमजान उल मुबारक का महा आज से शुरू हो गया है। इस महा में अल्लाह तबारक ताला अपने बंधु के लिए सभी प्रकार के इनाम रखता है। माहे रमजान उल मुबारक का महा आज से शुरू क्योंकि यह माहे रमजान उल मुबारक का पूरा महा अल्लाह तबारक ताला की इबादत का महा होता है। इस माह में सुबह 3:00 बजे से लेकर 5:45 बजे तक शहरी कर अल्लाह का बंदा रोजे की नियत करता है। तथा पूरे दिन इबादत ए अल्लाह में गुजारता है। तथा शाम को लगभग 6:15 इफ्तारी के पास बैठकर अल्लाह तबारक ताला से अपनी इबादत के लिए दुआ फरमाता है । और अल्लाह तबारक ताला फरिश्तों से कहता है कि मेरा यह बंदा आज रोजे की हालत में मुझसे गिड़गिड़ा कर कुछ मांगता है। जाओ जाकर इसलिए कह दो कि हमने इसकी यह दुआ मकबूल ए बारगाह में कुबूल फरमा ली बाद नमाज इशा के समय आता है। शहर की हर मस्जिद में तरावी का अल्लाह का बंदा उस समय भी अल्लाह की इबादत में रहता है।
इस पूरे महा में 3 अश्रे अल्लाह तबारक ताला ने अपने बंधुओं के लिए रखे हैं। जिसमें की पहला अशरा रहमत बरसाने का रखा है कि जिसमें अल्लाह तबारक ताला अपने बंधुओं से कहता है कि है कोई मुझसे रहमत मांगने वाला जिसको भी मैं अपनी रहमतों से नवाज दूं। वही दूसरा अक्षरा होता है मगफिरत का जिसमें की अल्लाह तबारक ताला अपने बंदों से कहता है की है कोई मुझसे अपनी मग फिरत मांगने वाला ताकि मैं अपने बंदो की मगफिरत कर दो। वही रमजान उल मुबारक का तीसरा यानी आखिरी अशरा होता है। जहन्नुम से निजात पाने का अक्षरा जिसमें की अल्लाह तबारक का आल्हा अपने उन बंदो की जहन्नुम से निजात फरमाता है। कि जो बंदा रमजान उल मुबारक के माह में अल्लाह के महबूब हजरत मोहम्मद साहब के बताएं रास्तों पर चलता है।
माहे रमजान उल मुबारक के पूरे महा गुजर जाने के बाद अल्लाह तबारक ताला अपने बंदो के लिए ईद उल फितर का तोहफा अता फरमा ता है। इसलिए हम सभी अल्लाह के बंदो को माहे रमजान उल मुबारक के पूरे माह में अल्लाह तबारक ताला की इबादत करनी चाहिए। जिससे कि अल्लाह हमको अपने बरगु ज़िद बंदो मैं सोमार् कर ले।