आगरा के ट्रांस यमुना कॉलोनी के निवासी अभिषेक की साउथ अफ्रीका से सकुशल वापसी के बाद एक और चौकाने वाली जानकारी सामने आई है। दरअसल, जिस कंपनी ने अभिषेक को बंधक बना रखा था, वह कंपनी भी एक भारतीय की है। कंपनी के मालिक का मूल निवास राजस्थान है। यह मामला गंभीर होते हुए भी भारतीय दूतावास की मदद से अब सुलझ चुका है और अभिषेक परिवार के पास वापस लौट आया है।
कंपनी मालिक की तरफ से पांच लाख रुपये की मांग
अभिषेक को साउथ अफ्रीका में उस कंपनी द्वारा बंधक बना लिया गया था जिसमें वह काम कर रहा था। कंपनी के मालिक ने अभिषेक से पांच लाख रुपये की मांग की थी, यह कहते हुए कि अभिषेक के काम के दौरान कंपनी को कुछ नुकसान हुआ था। वहीं, जब अभिषेक ने यह राशि भेजने में असमर्थता जताई, तो कंपनी ने उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया और उसे बंधक बना लिया था।
क्षेत्रीय विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह की मदद से अभिषेक की घर वापसी
इस घटना के बाद अभिषेक के परिवार ने स्थानीय विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह से मदद की अपील की। विधायक ने पूरी गंभीरता से इस मामले को लिया और अभिषेक के परिवार को जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी के पास लेकर पहुंचे। जिलाधिकारी ने इस मामले में तुरंत कार्यवाही की। उन्होंने विदेश मंत्रालय से संपर्क किया और अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई।
विदेश मंत्रालय की त्वरित कार्रवाई से बनी सफलता
विदेश मंत्रालय से जब इस मामले की जानकारी मिली तो उन्होंने इस पर त्वरित कार्रवाई की। इसके बाद भारतीय दूतावास साउथ अफ्रीका के अधिकारियों ने कंपनी मालिक और अभिषेक को बुलाया और मामले का समाधान किया। दूतावास के हस्तक्षेप से यह पता चला कि कंपनी मालिक ने अभिषेक से पांच लाख रुपये की मांग की थी, जिसके कारण उसने अभिषेक का पासपोर्ट जब्त कर लिया था।
अभिषेक की प्रताड़ना और बंधन से मुक्ति
अभिषेक ने घर लौटने के बाद बताया कि कंपनी मालिक द्वारा उसे लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था। उसके ऊपर पांच लाख रुपये घर से मंगाने का दबाव बनाया जा रहा था। दूतावास की मदद से अब अभिषेक को बंधन से मुक्त कर दिया गया और वह सकुशल घर लौट आया।
विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह ने जताया आभार
अभिषेक के घर लौटने के बाद क्षेत्रीय विधायक डॉ. धर्मपाल सिंह ने अभिषेक से मुलाकात की और उसकी सकुशल वापसी पर खुशी जताई। उन्होंने कहा कि यह उनका कर्तव्य था कि संकट में फंसे अपने क्षेत्र के परिवार की मदद करें। डॉ. धर्मपाल सिंह ने मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव संजय प्रसाद और आगरा के जिलाधिकारी अरविंद मलप्पा बंगारी का भी आभार जताया, जिनके त्वरित कदमों से यह मामला जल्दी सुलझा।
सुरक्षा व्यवस्था और विदेशी कंपनियों पर सवाल
इस घटना ने विदेशी कंपनियों की कार्यशैली और सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं। जहां एक ओर अभिषेक को कामकाजी कारणों से बंधक बनाया गया, वहीं दूसरी ओर उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया। यह घटना यह भी दर्शाती है कि अंतरराष्ट्रीय कामकाजी परिवेश में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर कई पहलुओं पर पुनः विचार की आवश्यकता है।