बरेली का दर्दनाक सच: 8 साल तक अस्पताल में पड़ा रहा अपाहिज बच्चा

Dharmender Singh Malik
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बरेली। मां-बाप का प्यार हर बच्चे का हक होता है, लेकिन बरेली के निशांत के लिए यह सिर्फ एक ख्वाब बनकर रह गया। अपने 15 साल के अपाहिज बेटे को आठ साल पहले एसआरएमएस मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराकर, उसके माता-पिता ने उसे अस्पताल के भरोसे छोड़ दिया।

गुलियन बैरे सिंड्रोम से पीड़ित निशांत धीरे-धीरे लकवाग्रस्त हो गया था। उसके शरीर में दर्द रहता था और वह बाहरी संसार से कट गया था। अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ ने पिछले आठ सालों तक निशांत की देखभाल की, उसे अपना लाडला बना लिया। लेकिन बीमारी ने उसे जीत लिया और दो दिन पहले उसकी मौत हो गई।

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निशांत के माता-पिता ने कभी अस्पताल नहीं आए, ना ही उसका हालचाल पूछने और ना ही अंतिम संस्कार करने। अस्पताल प्रशासन ने पुलिस और प्रशासन से संपर्क किया, अखबारों में विज्ञापन दिए, लेकिन निशांत के माता-पिता का कोई पता नहीं चला।

यह घटना समाज के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि क्या मां-बाप का कर्तव्य सिर्फ बच्चे को जन्म देना है या उसकी देखभाल करना भी उनकी जिम्मेदारी है? निशांत की कहानी हमें इंसानियत की कमी और समाज में फैली बेरुखी के बारे में सोचने पर मजबूर करती है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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