समाज में अपनी धमक दिखाने की होड़ में जिसने कभी हाथ में पैन नही पकड़ा, अपना वो भी चंद नाम, शान, रोब झाड़ने समाज में इज्जत बनाने को बन गए पत्रकार, ऐसे व्यक्तियों की हर जिले में होनी चाहिए जांच।पत्रकार समाज का आइना होता है। जब ये आइना ही धुंधला हो तो समाज को फिर क्या आइना दिखा पाएंगे। अब असली और फर्जी पत्रकारों की जंग खुलकर सामने आ गई है। गाजीपुर पत्रकार एसोसिएशन ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर फर्जी पत्रकारों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की मांग की है जिसके क्रम में डीएम गाजीपुर ने इन फर्जी पत्रकारों पर लगाम लगाने को सभी विभागों को पत्र लिखा है। जैसे ही ये फरमान आया वैसे ही आग की तरह यह सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
ग़ाजीपुर: लगातार अवैध वसूली और पत्रकारिता कि छवि गिराने वाले पत्रकारों को लेकर जिलाधिकारी आर्यका अखौरी के द्वारा सख्त आदेश जारी किया।आदेश में कहा गया है कि किसी भी संस्थान में पहुंचा कोई व्यक्ति खुद को पत्रकार बताता है तो उसका परिचय गहनता से चेक करें और संदेह होने पर या परिचय उपलब्ध न कराए जाने पर उसके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही कराना सुनिश्चित करें ।
ग़ाजीपुर पत्रकार एसोसिएशन ने जिलाधिकारी आर्यका अखौरी को पत्र देकर ऐसे तथाकथित पत्रकारों पर कार्रवाई करने की मांग कि थी जो जगह-जगह जाते हैं और पत्रकारिता का रोब दिखाकर पैसे वसूलते हैं।
जिसके बाद जिलाधिकारी ने जनपद के सभी विभागाध्यक्षों को इससे संबंधित पत्र ऊपर जारी कर दिया है।
बताते चले की इसी प्रकार देखा जा रहा है की लगातार पत्रकारों की भरमार सी आ चुकी है ये बात सिर्फ उत्तर प्रदेश के गाजीपुर की ही नही है बल्कि यह एक समस्या बनती जा रही है। आज हर तीसरा व्यक्ति खुद को पत्रकार बताता है जबकि वास्तव में पत्रकारिता के (प) से भी उसका दूर दूर तक कोई लेना देना नही होता। लोगो में भ्रम फैला कर वह लोगो की नजरों में पत्रकार बन जाते है और लोग उन्हें पत्रकार समझ बैठने की भूल कर जाते है और फिर यही समाजाम में अपना रोब झाड़ने लगते है। ऐसे व्यक्ति जो असल में ईमानदारी से अपनी पत्रकारिता करते है उनकी छवि खराब होती है। ऐसे लोगो की वजह से उन्हें वह सम्मान नही मिल जिसके वह हकदार होते है।
आगरा में भी उठी थी ऐसी मांग
आगरा में एक साल पहले ताज प्रेस क्लब के चुनाव के दौरान असली और फर्जी पत्रकारों में टकराव देखने को मिला था। कुछ पत्रकारों ने जिलाधिकारी से मुलाकात कर ऐसी ही मांग की थी। जिलाधिकारी ने गेंद जिला सूचना अधिकारी के पाले में डाल खुद को अलग कर लिया था। खुद पर कोई आंच ने आए तो सूचना अधिकारी भी चुप्पी साध गए और ये मांग हवा हो गई।