पवन चतुर्वेदी
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भ्रष्टाचार को रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन सरकारी कार्यालयों में भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। इसका एक ताजा उदाहरण एटा जिले के जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय से सामने आया है।
जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में बिना किसी नियुक्ति/पद के पिलुआ निवासी विकास नामक व्यक्ति पिछले कई वर्षों से कार्यरत है। वह जिला विद्यालय निरीक्षक के कार्यालय से लेकर उनके आवास तक छाया हुआ है। विकास की हनक इतनी है कि जब चाहे तब किसी भी प्राचार्य या शिक्षक को फोन घुमा देता है।
विकास की नियुक्ति जनता इंटर कॉलेज पिलुआ में लिपिक के पद पर हुई थी, लेकिन इस नियुक्ति का आज तक किसी सक्षम अधिकारी द्वारा अनुमोदन नहीं दिया गया और न कभी कोई वेतन भुगतान हुआ।
विकास के भ्रष्टाचार की शिकायत जिलाधिकारी एटा और मुख्यमंत्री से भी की गई है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
एक और चौंकाने वाली बात यह है कि डीएलएड परीक्षा के दौरान डाइट प्राचार्य के सचल दल में विकास की नियुक्ति कर दी गई थी। इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की गई तो आनन-फानन में उसे हटा दिया गया।
विकास किस अधिकार के तहत जिला विद्यालय निरीक्षक के साथ गाड़ी में बैठकर चला था? और क्यों उनके कार्यालय में हरदम उपस्थित रहता था? इस बात का उत्तर शायद जिला विद्यालय निरीक्षक ही दे सकते हैं।
नाम न छापने की शर्त पर कई शिक्षकों ने बताया कि डीआईओएस के सरकारी सीयूजी नंबर तक को भी विकास रिसीव करने लगा था और कई बार शिक्षकों को फर्जी कार्यवाही का भय दिखाकर उनसे धन उगाही भी कर लेता था।