बागपत के सहकारी चीनी मिल चुनाव में हारने वाले उम्मीदवार ने मतदाताओं को नोटिस भेजकर 36,000 रुपये की मांग की है। नोटिस में कहा गया है कि मतदाताओं ने दावत और टैक्सी किराया लिया, लेकिन वोट नहीं दिया। जानें इस अनोखी घटना के पीछे की कहानी!
बागपत: सहकारी चीनी मिल बागपत के हालिया चुनाव में हारने वाले एक उम्मीदवार ने अनोखी कार्रवाई की है। उन्होंने कई मतदाताओं को वकील के माध्यम से नोटिस भेजकर दावत और गाड़ी खर्च वापस करने की मांग की है। इस नोटिस में कहा गया है कि मतदाताओं ने उम्मीदवार से 350 रुपये की बर्फी, 350 रुपये के बंगाली रसगुल्ले और 500 रुपये टैक्सी किराया लिया, लेकिन फिर भी उन्हें वोट नहीं दिया।
क्या है मामला?
उम्मीदवार ने नोटिस में लिखा है कि उन्होंने मतदाताओं को कुल 1200 रुपये का उपहार दिया, लेकिन इसके बावजूद उन्हें वोट नहीं मिले। इस नोटिस में यह भी कहा गया है कि मतदाताओं के इस कृत्य से उन्हें 10,000 रुपये का नुकसान हुआ है, इसके साथ ही वकील की फीस 25,000 रुपये भी जोड़कर कुल 36,000 रुपये वापस करने की मांग की गई है। यदि मतदाता ये रुपये नहीं लौटाते हैं, तो उम्मीदवार ने अदालत में प्रतिवाद दायर करने की चेतावनी दी है।
मतदाताओं की प्रतिक्रिया
नोटिस मिलने के बाद संबंधित मतदाता हैरान रह गए और उन्होंने उम्मीदवार के पास जाकर अपनी चिंता व्यक्त की। उम्मीदवार ने इस प्रकार के नोटिस भेजने से इनकार किया और कहा कि यह उनके विरोधियों की साजिश हो सकती है।
चुनाव में दावत का चलन
बागपत में सहकारी गन्ना समितियों और सहकारी चीनी मिल के चुनाव में कई उम्मीदवारों ने मिठाई, शराब और मुर्गा आदि की दावत दी थी। इस प्रकार की दावतें चुनावी प्रक्रिया में एक सामान्य बात मानी जाती हैं, लेकिन अब यह मामला एक नई दिशा में बढ़ता दिख रहा है।
प्रशासन की कार्रवाई
बागपत में डीएम के आदेश पर तीन जन सुविधा केंद्रों को सील कर दिया गया है। नायब तहसीलदार ने बताया कि इन केंद्रों पर अवैध वसूली के मामले सामने आए थे, जिससे संचालकों में हड़कंप मच गया है।
इस पूरे घटनाक्रम ने चुनावी प्रक्रिया की गंभीरता और मतदाताओं के अधिकारों पर एक नई बहस छेड़ दी है। क्या यह प्रवृत्ति आगे चलकर चुनावों को प्रभावित करेगी? यह देखना दिलचस्प होगा।