लखनऊ: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर हुई हिंसा ने सियासी हलकों में तूफान मचा दिया है। इस घटना को लेकर विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर कड़ी निंदा की है और इसे पूरी तरह से सरकार की नाकामी करार दिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो मामले का संज्ञान लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील भी की है, जबकि बसपा अध्यक्ष मायावती और कांग्रेस ने भी सरकार पर हमले किए हैं।
क्या था पूरा मामला?
संभल में जामा मस्जिद के सर्वेक्षण को लेकर एक विवाद उत्पन्न हुआ था, जब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की टीम कोर्ट के आदेश पर मस्जिद में सर्वेक्षण करने पहुंची थी। सर्वेक्षण के दौरान दोनों पक्षों के बीच विवाद हुआ, जिसके बाद हिंसा और आगजनी की घटनाएं सामने आईं। इस घटना में कई लोग घायल हुए और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा। हिंसा के बाद पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में किया और इलाके में धारा 144 लागू कर दी।
अखिलेश यादव का आरोप
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस हिंसा के लिए सरकार और पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया कि उपचुनावों में वोटों की लूट से लोगों का ध्यान हटाने के लिए सरकार ने जानबूझकर संभल में हिंसा भड़काई। अखिलेश यादव ने यह सवाल उठाया कि जब पहले ही मस्जिद का सर्वेक्षण हो चुका था, तो दोबारा इसकी आवश्यकता क्यों थी। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि यह सब राजनीतिक लाभ के लिए किया गया था।
अखिलेश यादव ने इस मुद्दे को ट्विटर पर उठाया और कहा कि इस घटना के दोषियों के खिलाफ शांति और सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि वह इस मामले का संज्ञान लेकर आवश्यक कार्रवाई करे।
बसपा और कांग्रेस की प्रतिक्रिया
बसपा प्रमुख मायावती ने भी इस घटना पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि सर्वेक्षण के दौरान जो भी हुआ, उसके लिए पूरी तरह से शासन-प्रशासन जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों को एक साथ लेकर शांति से कार्य किया जाना चाहिए था, जो कि नहीं किया गया। मायावती ने संभल के लोगों से अपील की कि वे शांति बनाए रखें और किसी भी प्रकार की हिंसा में शामिल न हों।
कांग्रेस पार्टी ने भी प्रदेश सरकार पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने जानबूझकर इस संवेदनशील मुद्दे को उभारा ताकि चुनावों में अपनी राजनीतिक स्थिति मजबूत की जा सके। कांग्रेस ने सरकार से सवाल किया कि इस तरह की हिंसा को रोकने में प्रशासन ने क्या कदम उठाए थे?
ब्रजेश पाठक का पलटवार
वहीं, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने समाजवादी पार्टी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि सपा को न्यायपालिका पर विश्वास नहीं है। उनका कहना था कि एएसआई की टीम कोर्ट के आदेश पर सर्वेक्षण करने गई थी और समाजवादी पार्टी को संवैधानिक संस्थाओं, निर्वाचन आयोग और न्यायपालिका पर भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी की कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि उन्हें संविधान और न्यायपालिका पर कोई विश्वास नहीं है।
योगेंद्र उपाध्याय का बयान
उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि न्यायालय के आदेश का पालन करना हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने यह भी कहा कि योगी सरकार के कार्यकाल में किसी को भी कानून व्यवस्था से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जाएगी और ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई की जाएगी।
संभल हिंसा पर सियासी घमासान
संभल में हुई हिंसा को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। विपक्ष ने इस हिंसा को पूरी तरह से सरकार और प्रशासन की नाकामी बताया है, जबकि भाजपा और सरकार इसे न्यायालय के आदेशों के तहत हो रहे एक जरूरी सर्वेक्षण का हिस्सा मानते हुए इसे गलतफहमी का परिणाम बताते हैं।
यह मामला अब केवल स्थानीय मुद्दे तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर भी राजनीतिक चर्चा का केंद्र बन गया है। विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है।
अब आगे क्या?
इस घटना के बाद संभल में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, हालांकि पुलिस प्रशासन ने धारा 144 लागू करके शांति व्यवस्था कायम करने की कोशिश की है। राजनीतिक दलों के बीच बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। अब यह देखना होगा कि क्या सरकार इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाती है और क्या सुप्रीम कोर्ट इस मामले का संज्ञान लेकर किसी निष्कर्ष तक पहुंचता है।