आगरा: 23 मई, 2025 को मनाए जा रहे विश्व कछुआ दिवस के अवसर पर, पर्यावरण प्रेमियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कछुओं के संरक्षण और जलीय पर्यावरण के महत्व पर प्रकाश डाला है। लोक स्वर आगरा से राजीव गुप्ता जनस्नेही ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कछुओं के घटते अस्तित्व और तस्करी पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए उनके संरक्षण के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की है।
पर्यावरण संतुलन में कछुए का महत्व
हम सभी ने कछुआ और खरगोश की कहानी सुनी है, लेकिन आज हम कछुए के हमारे जीवन में महत्व पर बात करेंगे। पर्यावरण एक वृहद विषय है, जिसमें जमीन से लेकर आकाश और वायुमंडल सभी का योगदान है। जिस प्रकार हम पेड़-पौधे और पानी बचाने का प्रयास करते हैं, उसी प्रकार हमें पर्यावरण के उन तमाम पहलुओं पर भी ध्यान देना होगा, जो हमारे पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं। 22 मई को जैव विविधता दिवस मनाया गया, जिसने हमें प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में जैव विविधता के महत्व की याद दिलाई। इसी कड़ी में 23 मई को विश्व कछुआ दिवस मनाया जा रहा है, जो हमें जलीय जीवों के संरक्षण की प्रेरणा देता है।
नदियाँ सूख रही हैं, कछुए विलुप्त हो रहे हैं
भारत को नदियों का देश कहा जाता था, लेकिन दुर्भाग्य से आज नदियाँ न केवल सूखती जा रही हैं, बल्कि उनमें पलने वाले तमाम जीव-जंतु भी विलुप्त होते जा रहे हैं। इनमें कछुआ एक बहुत महत्वपूर्ण जीव है, जो हमें शिक्षा, सौंदर्य, मनोरंजन और पर्यावरण में बहुत कुछ सहायक होता है। आगरा में कभी कमला नगर बनने से पहले गांधी आश्रम के पीछे बहने वाली नदी और यमुना जी में मछलियों और कछुओं के साथ लोगों ने क्रीड़ा की थी, लेकिन आज आगरा ही नहीं, पूरे भारतवर्ष से कछुओं का पलायन और विलुप्त होना चिंता का विषय है।
कछुआ तस्करी: एक जघन्य अपराध
कछुओं का विलुप्त होना केवल प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि तस्करों द्वारा इनकी तस्करी भी एक बड़ा कारण है। यह न केवल जीव हत्या है, बल्कि पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचा रही है। आगरा के पास चंबल घाटी में आज भी कछुए देखे जा सकते हैं। दुखद है कि आगरा के कीठम में वन विभाग द्वारा छोड़े गए कुछ कछुए भी तस्करों द्वारा मैनपुरी ले जाए गए। यह एक जघन्य अपराध है, जिस पर तुरंत रोक लगाना आवश्यक है।
संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता
राजीव गुप्ता जनस्नेही ने अपील की है कि वन विभाग, पर्यटन विभाग और नगर निगम को पालीवाल पार्क की झील में कछुओं के संरक्षण पर विचार करना चाहिए। इससे न केवल पर्यटन और मनोरंजन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पर्यावरण संतुलन भी बना रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि कछुआ एक समृद्धशाली जीव माना गया है। फेंगशुई और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, कछुए को घर पर रखना शुभ और सुख-शांति तथा लक्ष्मी के वास का प्रतीक माना जाता है।
आइये, कछुआ बचाने की शपथ लें
प्रेस विज्ञप्ति में सभी सरकारी विभागों और आम नागरिकों से आग्रह किया गया है कि वे कछुआ तस्करों पर कड़ी निगाह रखें और इन जीवों को बचाने में सहयोग करें। 23 मई, 2025 को विश्व कछुआ दिवस पर हम सभी को कछुआ बचाने की शपथ लेनी चाहिए और यह प्रयास करना चाहिए कि वन विभाग, नगर निगम और पर्यटन विभाग के साथ मिलकर न केवल कछुओं को बचाएंगे, बल्कि उनकी उत्पत्ति कराकर उनका परिवार भी बढ़ाएंगे। पालीवाल पार्क, कीठम या आगरा में जल से लबालब रहने वाली अन्य झीलों को कछुओं के लिए सुरक्षित आवास बनाया जा सकता है।
कैलाश मंदिर पर कॉरिडोर बनाने की बात हो रही है, जिससे उम्मीद है कि भविष्य में जलीय जीवों को जीवन के साथ न केवल संरक्षण मिलेगा, बल्कि आगरा पर्यावरण की दृष्टि से एक कदम आगे बढ़ेगा।