आगरा। बेसिक शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों से घिरे एक बाबू के खिलाफ जिलाधिकारी के आदेशों को आगरा के बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने पूरी तरह से अनदेखा कर दिया। जिलाधिकारी द्वारा तय की गई सात दिन की समय-सीमा बीत जाने के बाद भी जांच रिपोर्ट न भेजने पर अब अपर बेसिक शिक्षा अधिकारी (एडी बेसिक) ने कड़े तेवर दिखाए हैं और तत्काल आख्या प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
बताया जा रहा है कि बेसिक शिक्षा विभाग के मुख्यालय पर नियम विरुद्ध अटैचमेंट पर तैनात एक कनिष्ठ बाबू की नियुक्ति से लेकर भ्रष्टाचार और वित्तीय अनियमितताओं की शिकायत केंद्रीय राज्यमंत्री प्रोफेसर एस.पी. सिंह बघेल से की गई थी। केंद्रीय राज्यमंत्री ने इस शिकायत को जांच और कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी आगरा को लिखित रूप में भेजा। जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच के लिए एडी बेसिक आगरा को निर्देश दिए और सात दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट मांगी।
एडी बेसिक ने इस पर बीएसए आगरा को कनिष्ठ बाबू के खिलाफ मिली शिकायत की बिंदुवार जांच करने और आख्या देने के निर्देश जारी किए। लेकिन हैरानी की बात यह है कि बीएसए ने केंद्रीय राज्यमंत्री और अपने उच्चाधिकारियों के निर्देशों को कथित तौर पर हवा में उड़ा दिया। शिकायत को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और निर्धारित अवधि बीतने के बाद भी उनके कार्यालय में कोई जांच आख्या नहीं भेजी गई।
एडी बेसिक का सख्त रुख
जब एडी बेसिक ने अपने अधीनस्थों से जांच आख्या की जानकारी मांगी, तो उनका माथा ठनक गया। काफी दिन बीत जाने के बावजूद जब बीएसए की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं आई, तो एडी बेसिक ने कड़े शब्दों में बीएसए को रिमाइंडर भेजा है। बीएसए को निर्देश दिए गए हैं कि वे प्रत्येक बिंदु पर सप्रमाण और बिंदुवार आख्या तत्काल प्रस्तुत करें।
बाबू को बचाने की ‘पुरजोर’ कोशिशें?
शिकायतकर्ता का कहना है कि उसने कनिष्ठ बाबू के खिलाफ कुल 59 पेज की शिकायत केंद्रीय राज्यमंत्री के पत्र के साथ जिलाधिकारी को सौंपी थी। उनका आरोप है कि वर्षों से मुख्यालय पर नियम विरुद्ध तरीके से तैनात यह बाबू ने अकूत संपत्ति अर्जित की है। शिकायत में कहा गया है कि निलंबन बहाली से लेकर डीसी ट्रेनिंग का प्रभार सौंपे जाने की आड़ में इस कनिष्ठ बाबू ने भ्रष्टाचार का नंगा नाच किया। नॉन-एचआरए से एचआरए विद्यालयों में शिक्षकों को निलंबित करके बहाली दी गई, और सरकारी स्कूलों की जमीनों को भूमाफियाओं के साथ मिलकर खुर्द-बुर्द कर दिया गया।
शिकायतकर्ता ने यह भी बताया कि इस बाबू को एंटी करप्शन टीम द्वारा रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने के बावजूद मुख्यालय पर महत्वपूर्ण तैनाती मिलती रही। इन सभी गंभीर बिंदुओं को लेकर शिकायत सौंपी गई थी, लेकिन बावजूद इसके कनिष्ठ बाबू को बचाने की पुरजोर कोशिशें की जा रही हैं। यह मामला अब बेसिक शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।