-अन्नपूर्णा रसोई में प्रतिदिन पांच हजार लोगों के खाने का है इंतजाम
-मुख्यमंत्री ने किया था अन्नपूर्णा रसाई का शुभारम्भ, कोई नहीं सोएगा भूखा
मथुरा। वृंदावन आने वालों को भोजन की चिंता नहीं करनी है। अन्नपूर्णा रसाई में पांच हजार लोगों के प्रतिदिन भोजन की व्यवस्घ्था है। ठंड के मौसम में यहां रात गुजारने की भी समस्या रहती है। लोगों का कहना है कि सरकार रात्रि विश्राम की भी समुचित व्यवस्था कर दे तो सोने पर सुहागा वाली बात हो जाएगी। कान्हा की नगरी श्री धाम वृंदावन में शुक्रवार को परिक्रमा मार्ग स्थित गौरी गोपाल आश्रम के समीप फुटपाथ पर दो महिलाओं के शव मिलने को लेकर वृंदावन में जमकर चर्चाएं हो रही है।
आखिर इन दोनों महिला श्रद्धालुओं की मौत क्यों हुई? पुलिस इस बात का जवाब पाने के लिए पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। सवाल यह है कि रात के वक्त ठंड भरी रात में सड़कों पर सोने वाले साधु वेषधारी भिखारी और यात्रियों के लिए कौन जिम्मेदार है। क्या ऐसे लोगों को रात बिताने के लिए कोई धर्मशाला और सरकारी आश्रय नहीं है। वृंदावन में एक दो जगह नहीं बल्कि कई जगह सड़क किनारे बहुत से साधु वेशधारी महिला और पुरुष कंबल के सहारे सोते मिल जाएंगे। परिक्रमा मार्ग में दो महिलाओं के शव को लेकर चर्चा हो रही है।कई संगठन के पदाधिकारी कह रहे हैं, कि रात के समय आश्रम संचालक बाहर से आने वाले महिला और पुरुषों को अपने आश्रम में सहारा नहीं देते हैं। इस कारण वह ठंड में सड़क पर रात गुजारने को मजबूर होते हैं। इनमें कहीं महिला और पुरुष ऐसे होते हैं,जो पेट की भूख मिटाने के लिए आश्रम की ओर देखते हैं, किंतु उनको खाना तक नहीं मिल पाता है। सवाल यह भी उठता है, कि प्रशासन ने वृंदावन में ऐसा कोई बोर्ड नहीं लगा रखा है। जिससे रात के वक्त बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को सही ठिकाना मिल जाए। ठंड से ठिठुरते हुए लोगों की क्या मजबूरी है। प्रशासन में कभी जानने की कोशिश नहीं की। रात बिताने वाले लोग जगह जगह सोते हुए मिल जाएंगे। अभी तो ठंड की शुरुआत है। कड़ाके की ठंड पड़ने वाली है। शासन प्रशासन को ऐसे लोगों के लिए उचित व्यवस्था करने के लिए कदम उठाने चाहिए। कई लोगों ने बताया कि वृंदावन के बड़े बड़े कथावाचक मंदिरों के सेवायत समेत अन्य धनाढ्य व्यक्ति ऐसे भी है, जो सड़क पर सोने वाले व्यक्तियों के लिए धर्मशाला और आश्रम का स्थान प्रदान कर सकते हैं। वहीं सड़क पर रात गुजारने वाली एक महिला ने बताया कि वह गौरी गोपाल आश्रम में अनिरुद्धाचार्य महाराज की कथा सुनने के लिए आई हुई थी। कथा हो जाने के बाद उन्हें आश्रम से यह कहते हुए निकाल दिया गया कि आश्रम में रुकने की कोई व्यवस्था नहीं है। और जब उन्होंने आश्रम के बाहर सड़क पर अपना डेरा डाला तो उस जगह को पानी डालकर गीला कर दिया गया। जिससे कि कोई आश्रम के बाहर डेरा ना डाल सके।