मथुरा। छोटे मुकदमों को जेल लोक अदालत के माध्यम से जुर्म इकबाल करते हुए खत्म किया जा सकता है। जिसका लाभ जेल में निरुद्ध बंदियों द्वारा उठाया भी जा रहा है एवं जेल लोक अदालत में पत्रावली लगवाए जाने के लिए बंदियों को प्रेरित भी किया गया। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ तथा जनपद न्यायाधीश मथुरा आशीष गर्ग के निर्देशानुसार शनिवार को जिला कारागार मथुरा का निरीक्षण अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मथुरा नीरू शर्मा द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिला कारागार मथुरा के जेल अधीक्षक बृजेश कुमार, डिप्टी जेलर करुणेश कुमारी, शिवानी यादव व अनूप कुमार, जेल चिकित्सा अधिकारी उत्पल सरकार व जेल बंदी पराविधिक स्वयसेवकगण आदि उपस्थित रहे।
जिला कारागार मथुरा में शनिवार को निरीक्षण दौरान कुल 1606 बंदी निरुद्ध मिले। जेल में निरुद्ध बंदियों को रिहा किए जाने के लिए बैरक टू बैरक कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके तहत सचिव द्वारा जेल परिसर में शिविर लगाकर बैरक संख्या 9 व 10 का निरीक्षण किया गया। जिसमें निरुद्ध बंदियों से उनके प्रकरण एवं जमानत की स्थिति के संदर्भ में व्यक्तिगत वार्ता की गई। इसके अलावा उन्हें निशुल्क अधिवक्ता के बारे में भी बताया गया। ऐसे बंदियों की सूची भी तैयार की गई जिनकी जमानत तो हो गई है किंतु उनके पास जमानत न होने के कारण वह जेल में निरुद्ध हैं या न्यायालय में पेशी नहीं आ रही है। इसके अतिरिक्त ऐसे बंदियों की सूची तैयार कराई गई जिनकी जमानत जिला अदालत से खारिज हो गई है और उच्च न्यायालय में प्रस्तुत नहीं की गई। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि वर्तमान में जेल में निरूद्ध बंदियों को एलईडी बल्ब बनाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त जेल में पोशाक बनाने का कार्य भी बंदियों द्वारा किया जाता है। ग्रीष्म ऋतु को दृष्टिगत रखते हुए जेल प्रशासन द्वारा बैरकों में पंखे चलाना शुरू कर दिया है। महिला बंदियों के लिए जिला कारागार की महिला बैरक में प्रथक से चिकित्सालय बनाया गया है, जिसमें महिला चिकित्सक व दो नर्सों द्वारा सप्ताह में एक दिन महिला बंदियों का स्वास्थ परीक्षण किया जाता है। महिला बैरक में निरुद्ध महिला बंदियों से वार्ता की गई तथा उनके प्रकरणों की जानकारी ली गई। सचिव ने जेल लोक अदालत के संदर्भ में बताते हुए कहा कि छोटे मुकदमों को जेल लोक अदालत के माध्यम से जुर्म इकबाल करते हुए खत्म किया जा सकता है। जिसका लाभ जेल में निरुद्ध बंदियों द्वारा उठाया भी जा रहा है एवं जेल लोक अदालत में पत्रावली लगाए जाने के लिए बंदियों को प्रेरित भी किया गया।