The Three Famous Temples of Vrindavan: Radha Raman, Banke Bihari, and Prem Mandir

Honey Chahar
25 Min Read

मथुरा और वृंदावन हिंदू धर्म के सबसे पवित्र शहरों में से दो हैं। मथुरा भगवान कृष्ण की जन्मस्थली है, और वृंदावन वह स्थान है जहां उन्होंने अपना बचपन बिताया था। दोनों शहर कई भव्य मंदिरों का घर हैं, जिनमें से कुछ सदियों पुराने हैं।

मथुरा में मंदिर

कृष्ण जन्मस्थान मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण के जन्मस्थान को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि मूल मंदिर को 17वीं शताब्दी में मुस्लिम शासक औरंगजेब ने नष्ट कर दिया था, लेकिन इसे 19वीं शताब्दी में फिर से बनाया गया था। मंदिर परिसर भारत में सबसे बड़े में से एक है और हर साल लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है।

कृष्ण जन्मस्थान मंदिर:

मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान कृष्ण के जन्मस्थान को समर्पित है, जो हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। मंदिर परिसर भारत में सबसे बड़े में से एक है और हर साल लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है।

इतिहास

कृष्ण जन्मस्थान मंदिर की स्थापना की तारीख अनिश्चित है, लेकिन यह माना जाता है कि यह कई शताब्दियों से मौजूद है। मूल मंदिर को 17वीं शताब्दी में मुस्लिम शासक औरंगजेब ने नष्ट कर दिया था, लेकिन इसे 19वीं शताब्दी में फिर से बनाया गया था।

वास्तुकला

कृष्ण जन्मस्थान मंदिर एक विशाल परिसर है जिसमें कई मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल हैं। मुख्य मंदिर एक तीन मंजिला संरचना है जो लाल बलुआ पत्थर से बनी है। मंदिर का गर्भगृह भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए समर्पित है।

मूर्तिकला

कृष्ण जन्मस्थान मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं। इनमें भगवान कृष्ण, राधा और अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं।

प्रमुख त्योहार

कृष्ण जन्मस्थान मंदिर में कई त्योहारों का आयोजन किया जाता है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण जन्माष्टमी है, जो भगवान कृष्ण के जन्मदिन का उत्सव है।

महत्व

कृष्ण जन्मस्थान मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान कृष्ण की आराधना और पूजा का एक प्रमुख केंद्र है।

द्वारकाधीश मंदिर:

मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को द्वारकाधीश के रूप में समर्पित है, जो द्वारका के शासक हैं। मंदिर 12वीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी सुंदर वास्तुकला और काले संगमरमर की भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए जाना जाता है।

इतिहास

द्वारकाधीश मंदिर की स्थापना 12वीं शताब्दी में चौहान वंश के राजा जयचंद द्वारा की गई थी। मंदिर को 15वीं शताब्दी में मुगल सम्राट बाबर ने नष्ट कर दिया था, लेकिन इसे बाद में फिर से बनाया गया था।

वास्तुकला

द्वारकाधीश मंदिर एक पांच मंजिला संरचना है जो काले संगमरमर से बनी है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए समर्पित है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है।

मूर्तिकला

द्वारकाधीश मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं। इनमें भगवान कृष्ण, राधा और अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है।

प्रमुख त्योहार

द्वारकाधीश मंदिर में कई त्योहारों का आयोजन किया जाता है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण जन्माष्टमी है, जो भगवान कृष्ण के जन्मदिन का उत्सव है।

विश्वनाथ मंदिर:

 मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर 12वीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी सुंदर वास्तुकला और भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग की पूजा के लिए जाना जाता है।

इतिहास

विश्वनाथ मंदिर की स्थापना 12वीं शताब्दी में चौहान वंश के राजा जयचंद द्वारा की गई थी। मंदिर को 15वीं शताब्दी में मुगल सम्राट बाबर ने नष्ट कर दिया था, लेकिन इसे बाद में फिर से बनाया गया था।

वास्तुकला

विश्वनाथ मंदिर एक तीन मंजिला संरचना है जो लाल बलुआ पत्थर से बनी है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग के लिए समर्पित है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है।

मूर्तिकला

विश्वनाथ मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं। इनमें भगवान शिव, पार्वती और अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है।

प्रमुख त्योहार

विश्वनाथ मंदिर में कई त्योहारों का आयोजन किया जाता है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण महाशिवरात्रि है, जो भगवान शिव के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है।

महत्व

विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान शिव की आराधना और पूजा का एक प्रमुख केंद्र है।

 

गोकुलनाथ मंदिर:

गोकुलनाथ मंदिर मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को गोकुलनाथ के रूप में समर्पित है, जो गाय चराने वाले लड़के हैं। मंदिर 16वीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी सुंदर वास्तुकला और भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए जाना जाता है।

इतिहास

गोकुलनाथ मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में राजा मान सिंह द्वारा की गई थी। मंदिर को 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब ने नष्ट कर दिया था, लेकिन इसे बाद में फिर से बनाया गया था।

वास्तुकला

गोकुलनाथ मंदिर एक तीन मंजिला संरचना है जो लाल बलुआ पत्थर से बनी है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए समर्पित है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है।

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मूर्तिकला

गोकुलनाथ मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं। इनमें भगवान कृष्ण, राधा और अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है।

प्रमुख त्योहार

गोकुलनाथ मंदिर में कई त्योहारों का आयोजन किया जाता है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण जन्माष्टमी है, जो भगवान कृष्ण के जन्मदिन का उत्सव है।

महत्व

गोकुलनाथ मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान कृष्ण की आराधना और पूजा का एक प्रमुख केंद्र है।

 

केशव देव मंदिर:

मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को केशव देव के रूप में समर्पित है, जो भगवान विष्णु के अवतार हैं। मंदिर 11वीं शताब्दी में बनाया गया था और अपनी सुंदर वास्तुकला और भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए जाना जाता है।

इतिहास

केशव देव मंदिर की स्थापना 11वीं शताब्दी में चौहान वंश के राजा अनंगपाल द्वितीय द्वारा की गई थी। मंदिर को 16वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब ने नष्ट कर दिया था, लेकिन इसे बाद में फिर से बनाया गया था।

वास्तुकला

केशव देव मंदिर एक चार मंजिला संरचना है जो लाल बलुआ पत्थर से बनी है। मंदिर का मुख्य गर्भगृह भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए समर्पित है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है।

मूर्तिकला

केशव देव मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं। इनमें भगवान कृष्ण, राधा और अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है।

प्रमुख त्योहार

केशव देव मंदिर में कई त्योहारों का आयोजन किया जाता है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण जन्माष्टमी है, जो भगवान कृष्ण के जन्मदिन का उत्सव है।

महत्व

केशव देव मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान कृष्ण की आराधना और पूजा का एक प्रमुख केंद्र है।

विशेषताएं

यह मंदिर भगवान कृष्ण को केशव देव के रूप में समर्पित है। यह मंदिर मथुरा के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। मंदिर की वास्तुकला सुंदर और आकर्षक है। मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं। मंदिर कई महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों का आयोजन करता है। केशव देव मंदिर को भगवान कृष्ण के बाल्यकाल के समय के मंदिरों के समान बनाया गया है। मंदिर के अंदर भगवान कृष्ण की मूर्ति एक सुंदर लकड़ी की मूर्ति है, जो 11वीं शताब्दी की है। मंदिर परिसर में एक विशाल घास का मैदान भी है, जिसे केशव देव घास का मैदान कहा जाता है।

केशव देव मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • मंदिर का नाम केशव देव का अर्थ है “विष्णु का रूप”।
  • मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में है, जो हिंदू वास्तुकला की एक प्रमुख शैली है।
  • मंदिर के गर्भगृह में भगवान कृष्ण की मूर्ति की पूजा की जाती है।
  • मंदिर परिसर में एक विशाल जलाशय भी है, जिसे केशव देव सरोवर कहा जाता है।

 

वृंदावन में मंदिर

 

गोविंद देव मंदिर:

गोविंद देव मंदिर वृंदावन, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है और वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में राजा मान सिंह ने की थी।

इतिहास

गोविंद देव मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में राजा मान सिंह ने की थी। राजा मान सिंह एक मुगल दरबारी थे और वे भगवान कृष्ण के भक्त थे। उन्होंने मंदिर का निर्माण अपने गुरु, संत सनातन गोस्वामी की देखरेख में करवाया था। मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है और यह अपनी सुंदर वास्तुकला और भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए जाना जाता है।

वास्तुकला

गोविंद देव मंदिर एक सात मंजिला संरचना है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान कृष्ण की मूर्ति है, जो एक लकड़ी की मूर्ति है। मूर्ति को गोस्वामी वल्लभाचार्य ने 16वीं शताब्दी में बनाया था।

मूर्तिकला

गोविंद देव मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं। इनमें भगवान कृष्ण, राधा और अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है।

कुछ अतिरिक्त जानकारी

  • गोविंद देव मंदिर को भगवान कृष्ण के बाल्यकाल के समय के मंदिरों के समान बनाया गया है।
  • मंदिर के अंदर भगवान कृष्ण की मूर्ति एक सुंदर लकड़ी की मूर्ति है, जो 16वीं शताब्दी की है।
  • मंदिर परिसर में एक विशाल घास का मैदान भी है, जिसे गोविंद देव तालाब कहा जाता है।

गोविंद देव मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • मंदिर का नाम गोविंद देव का अर्थ है “कृष्ण का रूप”।
  • मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में है, जो हिंदू वास्तुकला की एक प्रमुख शैली है।
  • मंदिर के गर्भगृह में भगवान कृष्ण की मूर्ति की पूजा की जाती है।
  • मंदिर परिसर में एक विशाल जलाशय भी है, जिसे गोविंद देव सरोवर कहा जाता है।

 

राधारमण मंदिर:

 उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान कृष्ण और उनकी पत्नी राधा को समर्पित है। मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई थी और यह अपनी सुंदर वास्तुकला और भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियों के लिए जाना जाता है।

इतिहास

राधारमण मंदिर की स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई थी। मंदिर की स्थापना राधावल्लभ संप्रदाय के संस्थापक, वल्लभाचार्य ने की थी। मंदिर का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है और यह अपनी सुंदर वास्तुकला और भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियों के लिए जाना जाता है।

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वास्तुकला

राधारमण मंदिर एक दो मंजिला संरचना है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियां हैं, जो एक ही पत्थर से बनी हैं। मूर्तियों को गोस्वामी वल्लभाचार्य ने 16वीं शताब्दी में बनाया था।

मूर्तिकला

राधारमण मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं। इनमें भगवान कृष्ण, राधा और अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है।

विशेषताएं

राधारमण मंदिर की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • यह मंदिर भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित है।
  • यह मंदिर वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
  • मंदिर की वास्तुकला सुंदर और आकर्षक है।
  • मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं।
  • मंदिर कई महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों का आयोजन करता है।

कुछ अतिरिक्त जानकारी

  • राधारमण मंदिर को भगवान कृष्ण और राधा के मिलन का प्रतीक माना जाता है।
  • मंदिर के अंदर भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियां एक ही पत्थर से बनी हैं।
  • मंदिर परिसर में एक विशाल घास का मैदान भी है, जिसे राधारमण तालाब कहा जाता है।

राधारमण मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • मंदिर का नाम राधारमण का अर्थ है “राधा के स्वामी”।
  • मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में है, जो हिंदू वास्तुकला की एक प्रमुख शैली है।
  • मंदिर के गर्भगृह में भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियों की पूजा की जाती है।
  • मंदिर परिसर में एक विशाल जलाशय भी है, जिसे राधारमण सरोवर कहा जाता है।

यह मंदिर भगवान कृष्ण को राधारमण के रूप में समर्पित है। मंदिर 16वीं शताब्दी में श्रील गोपाल भट्ट गोस्वामी द्वारा बनाया गया था। मंदिर अपनी सुंदर वास्तुकला और राधा के साथ भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए जाना जाता है।

बांके बिहारी मंदिर:

बांके बिहारी मंदिर वृंदावन, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है, जिन्हें बांके बिहारी के रूप में जाना जाता है। मंदिर की स्थापना 1864 में स्वामी हरिदास ने की थी।

इतिहास

बांके बिहारी मंदिर की स्थापना 1864 में स्वामी हरिदास ने की थी। स्वामी हरिदास एक प्रसिद्ध कृष्ण भक्त थे, और उन्होंने भगवान कृष्ण की एक मूर्ति को निधिवन में पाया था। मूर्ति को बांके बिहारी के रूप में पहचाना गया, और स्वामी हरिदास ने इसे एक मंदिर में स्थापित किया।

वास्तुकला

बांके बिहारी मंदिर एक दो मंजिला संरचना है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान कृष्ण की मूर्ति है, जो एक पत्थर से बनी है। मूर्ति को स्वामी हरिदास ने खुद बनाया था।

मूर्तिकला

बांके बिहारी मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं। इनमें भगवान कृष्ण, राधा और अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है।

प्रमुख त्योहार

बांके बिहारी मंदिर में कई त्योहारों का आयोजन किया जाता है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण जन्माष्टमी है, जो भगवान कृष्ण के जन्मदिन का उत्सव है। इस दिन मंदिर में हजारों श्रद्धालु आते हैं और भगवान कृष्ण की पूजा करते हैं।

महत्व

बांके बिहारी मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान कृष्ण की आराधना और पूजा का एक प्रमुख केंद्र है।

विशेषताएं

बांके बिहारी मंदिर की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है।
  • यह मंदिर वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
  • मंदिर की वास्तुकला सुंदर और आकर्षक है।
  • मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं।
  • मंदिर कई महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों का आयोजन करता है।

कुछ अतिरिक्त जानकारी

  • बांके बिहारी मंदिर को भगवान कृष्ण के बाल रूप के रूप में माना जाता है।
  • मंदिर के अंदर भगवान कृष्ण की मूर्ति को एक पत्थर से बनाया गया है।
  • मंदिर परिसर में एक विशाल घास का मैदान भी है, जिसे बांके बिहारी तालाब कहा जाता है।

निष्कर्ष

बांके बिहारी मंदिर एक सुंदर और ऐतिहासिक मंदिर है जो हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान कृष्ण की आराधना और पूजा का एक प्रमुख केंद्र है।

बांके बिहारी मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • मंदिर का नाम बांके बिहारी का अर्थ है “बांके वाले बिहारी”।
  • मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में है, जो हिंदू वास्तुकला की एक प्रमुख शैली है।
  • मंदिर के गर्भगृह में भगवान कृष्ण की मूर्ति की पूजा की जाती है।
  • मंदिर परिसर में एक विशाल जलाशय भी है, जिसे बांके बिहारी सरोवर कहा जाता है।

बांके बिहारी मंदिर की पूजा विधि

बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण की पूजा निम्नलिखित विधि से की जाती है:

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • मंदिर जाकर भगवान कृष्ण की मूर्ति के सामने बैठें।
  • भगवान कृष्ण को फूल, धूप, दीप, और अन्य प्रसाद अर्पित करें।
  • भगवान कृष्ण की आरती करें।
  • भगवान कृष्ण से प्रार्थना करें।

बांके बिहारी मंदिर में भगवान कृष्ण की पूजा करने से भक्तों को शांति और सुख मिलता है।

 

प्रेम मंदिर:

प्रेम मंदिर वृंदावन, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित है। मंदिर की स्थापना 2001 में जगद्गुरु कृपालु महाराज ने की थी।

इतिहास

प्रेम मंदिर की स्थापना 2001 में जगद्गुरु कृपालु महाराज ने की थी। जगद्गुरु कृपालु महाराज एक हिंदू संत और आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने प्रेम मंदिर को भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम का प्रतीक बनाने का लक्ष्य रखा था।

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वास्तुकला

प्रेम मंदिर एक विशाल संरचना है। मंदिर की ऊंचाई 120 फीट है और इसका क्षेत्रफल 12 एकड़ है। मंदिर का निर्माण इटैलियन संगमरमर से किया गया है। मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी और गोथिक शैली का मिश्रण है।

मूर्तिकला

प्रेम मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं। इनमें भगवान कृष्ण, राधा और अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है।

प्रमुख त्योहार

प्रेम मंदिर में कई त्योहारों का आयोजन किया जाता है। इनमें से सबसे महत्वपूर्ण जन्माष्टमी है, जो भगवान कृष्ण के जन्मदिन का उत्सव है। इस दिन मंदिर में हजारों श्रद्धालु आते हैं और भगवान कृष्ण और राधा की पूजा करते हैं।

महत्व

प्रेम मंदिर हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भगवान कृष्ण और राधा की आराधना और पूजा का एक प्रमुख केंद्र है।

विशेषताएं

प्रेम मंदिर की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • यह मंदिर भगवान कृष्ण और राधा को समर्पित है।
  • यह मंदिर वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
  • मंदिर की वास्तुकला सुंदर और आकर्षक है।
  • मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं।
  • मंदिर कई महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों का आयोजन करता है।

कुछ अतिरिक्त जानकारी

  • प्रेम मंदिर को भगवान कृष्ण और राधा के मिलन का प्रतीक माना जाता है।
  • मंदिर के अंदर भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियां एक ही मंच पर स्थापित हैं।
  • मंदिर परिसर में एक विशाल घास का मैदान भी है, जिसे प्रेम मंदिर तालाब कहा जाता है।

प्रेम मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • मंदिर का नाम प्रेम मंदिर का अर्थ है “प्रेम का मंदिर”।
  • मंदिर की वास्तुकला राजस्थानी और गोथिक शैली का मिश्रण है।
  • मंदिर के गर्भगृह में भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियों की पूजा की जाती है।
  • मंदिर परिसर में एक विशाल जलाशय भी है, जिसे प्रेम मंदिर सरोवर कहा जाता है।

 

इस्कॉन मंदिर:

इस्कॉन मंदिर वृंदावन, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान कृष्ण और बलराम को समर्पित है। मंदिर की स्थापना 1975 में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने की थी।

इतिहास

इस्कॉन मंदिर वृंदावन की स्थापना 1975 में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने की थी। भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद एक हिंदू संत और आध्यात्मिक गुरु थे। उन्होंने इस्कॉन मंदिर को भगवान कृष्ण और बलराम की आराधना और पूजा का एक प्रमुख केंद्र बनाने का लक्ष्य रखा था।

वास्तुकला

इस्कॉन मंदिर एक विशाल संरचना है। मंदिर की ऊंचाई 120 फीट है और इसका क्षेत्रफल 12 एकड़ है। मंदिर का निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है। मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में है, जो हिंदू वास्तुकला की एक प्रमुख शैली है।

मूर्तिकला

इस्कॉन मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं। इनमें भगवान कृष्ण, बलराम और अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं। मंदिर की बाहरी दीवारों पर सुंदर मूर्तिकला है।

विशेषताएं

इस्कॉन मंदिर की कुछ विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • यह मंदिर भगवान कृष्ण और बलराम को समर्पित है।
  • यह मंदिर वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
  • मंदिर की वास्तुकला सुंदर और आकर्षक है।
  • मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं।
  • मंदिर कई महत्वपूर्ण हिंदू त्योहारों का आयोजन करता है।

कुछ अतिरिक्त जानकारी

  • इस्कॉन मंदिर को भगवान कृष्ण और बलराम के मिलन का प्रतीक माना जाता है।
  • मंदिर के अंदर भगवान कृष्ण और बलराम की मूर्तियां एक ही मंच पर स्थापित हैं।
  • मंदिर परिसर में एक विशाल घास का मैदान भी है, जिसे इस्कॉन मंदिर तालाब कहा जाता है।

मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • मंदिर का नाम इस्कॉन का अर्थ है “अंतरराष्ट्रीय सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस”।
  • मंदिर की वास्तुकला नागर शैली में है, जो हिंदू वास्तुकला की एक प्रमुख शैली है।
  • मंदिर के गर्भगृह में भगवान कृष्ण और बलराम की मूर्तियों की पूजा की जाती है।
  • मंदिर परिसर में एक विशाल जलाशय भी है, जिसे इस्कॉन मंदिर सरोवर कहा जाता है।

कृष्ण जन्मस्थान मंदिर

कृष्ण जन्मस्थान मंदिर मथुरा, उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह मंदिर भगवान कृष्ण के जन्मस्थान को समर्पित है, जो हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। मंदिर परिसर भारत में सबसे बड़े में से एक है और हर साल लाखों तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है।

इतिहास

कृष्ण जन्मस्थान मंदिर की स्थापना की तारीख अनिश्चित है, लेकिन यह माना जाता है कि यह कई शताब्दियों से मौजूद है। मूल मंदिर को 17वीं शताब्दी में मुस्लिम शासक औरंगजेब ने नष्ट कर दिया था, लेकिन इसे 19वीं शताब्दी में फिर से बनाया गया था।

वास्तुकला

कृष्ण जन्मस्थान मंदिर एक विशाल परिसर है जिसमें कई मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल हैं। मुख्य मंदिर एक तीन मंजिला संरचना है जो लाल बलुआ पत्थर से बनी है। मंदिर का गर्भगृह भगवान कृष्ण की मूर्ति के लिए समर्पित है।

मूर्तिकला

कृष्ण जन्मस्थान मंदिर में कई सुंदर मूर्तियां हैं। इनमें भगवान कृष्ण, राधा और अन्य हिंदू देवताओं की मूर्तियां शामिल हैं।

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