संघर्ष: धरती पर उनका भी हिस्सा है, सिर्फ इंसानों का हक नहीं!

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.शहर वाले बंदरों को व गांव वाले गायों को लेकर कर रहे आंदोलन
.सब अपनी सुविधा के हिसाब से तय कर रहे मानक

मथुरा। छह दिन पहले दुनिया की आबादी आठ अरब हो गई थी। निश्चित तौर पर अब यह आगे बढ रही है। हर तीन में से एक पैदा होने वाला बच्चा भारत या चीन में होता है। इंसानों का दबाव धरती पर बढ़ रहा है लेकिन यह भारी जानवरों पर पड रहा है। कान्हा की नगरी में इस समय सनातन धर्म में पूज्य गाय और श्रद्धा के प्रतीक बंदरों को लेकर हो हल्ला मचा हुआ है। शहर वाले बंदरों को शहर से बाहर करने की मांग कर रहे हैं तो गांव वाले गायों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि इन्हें नियंत्रित किया जाए। यह वही धरती है जहां कुछ दशक पहले तक करील के जंगलों के बीच हिरणए नीलगाय के झुंड विचरण करते थे। जैव विविधता भरपूर थी। जमीन ही नहीं आकाश में भी भरपूर चहचहाट थी। चीलए गिद्धए गौरैयाए नीलगायए गीदड़ए हिरण सहित तमाम जीव जो 50 से 60 साल की आयु के लोगों ने अपनी आंखों से भरपूर देखे थेए 10 से 12 साल की उम्र के बच्चों के लिए अब सिर्फ कहानी बन कर रह गए हैं। यह सिलसिला आगे भी ऐसे ही जारी रहेगा या कुछ बदलेगा इस पर कोई कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।

विकास प्राधिकरणए एक्सप्रेस वे अथॉरिटी लगातार मांग रहे विस्तार
विकास की गंगा निरंतर बह रही है। इसे और तेज करने के प्रयास लगातार जारी है। यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण राया कट के आसपास 17 और गांवों को अपने अधिकार क्षेत्र में चाह रहा है। मथुरा वृंदावन विकास प्राधिकरण भी सीमा का विस्तार कर रहा है। ग्राम पंचायत नगर पंचायत और नगर पंचायत नगर पालिका बन रही हैं। मथुरा वृंदावन मिल कर पहले ही महानगर बन चुके हैं। कई आउनशिप अभी विकसित होनी हैं। जानकारों का मानना है कि विकास की धारा बहती रही तो हालात आगे सुधरेंगे उम्मीद बेहद कम है।

शहर में बंदरों से निजात पाने को सब एक मतए गाय दुलारी है
मथुरा वृंदावन के आम नागरिक ही नहीं साधु संत भी मथुरा वृंदावन में बंदरों की समस्या से निजात दिलाने की बात जब तब उठाते रहे हैं। आम शहरी तो बस यह चाहते हैं कि जल्द से जल्द बंदरों को बाहर किया जाए। वृंदावन में नगर निगम चैराहे पर बंदरों की समस्या को लेकर लोगों ने प्रदर्शन किया। गायों को लेकर यहां विचार बेहद धार्मिक हैंए लेकिन ऐसा बंदरों को लेकर नहीं।

गांव में गायों से समस्याए बंदर की मौत पर सजाते हैं आर्थी
गायों की समस्या को लेकर किसान संगठन जनपद में कई जगह धरने पर बैठे हैं। वहीं बंदरों के प्रति श्रद्धा है। बंदर की मौत पर कई बार ग्रामीण अर्थी निकालते हैं। बंदरों की मौत पर हो हल्ला भी करते हैए लेकिन गायों को नियंत्रित करने के लिए लगातार मांग कर रहे हैं। वहीं शहर के लोगों का कहना है कि गाय को किसान ही छोड़ते हैं। जबकि बंदरों को लेकर ग्रामीणों की सोच शहर के लोगों से अलग है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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