घिरोर / मैनपुरी
देशभर में आगामी G20 सम्मेलन की तैयारियां जोरों से चल रही हैं । भारत 2023 में होने वाले जी-20 के सम्मेलन की अध्यक्षता करने जा रहा है । भारत के लिए यह विशेष अवसर है । अगर हम वर्तमान विश्व व्यवस्था को देखें तो वर्तमान जगत काफी अस्थायित्व , अशांति के दौर से गुजर रहा है चाहे पिछले कुछ वर्षों में रसिया – यूक्रेन विवाद का विषय रहा हो, उससे पहले कोविड-19 रहा हो , जलवायु परिवर्तन के मुद्दे रहे हो, उत्तर बनाम दक्षिण का विवाद रहा हो आदि मुद्दों पर राष्ट्रों के बीच परस्पर अविश्वास तथा मतभेद स्पष्ट देखा जा सकता है । भारत की धरती ने सदैव ही विश्व को शांति , समृद्धि और उन्नति का रास्ता दिखाया है । वर्तमान समय में जब भारत को जी-20 की अध्यक्षता मिली है तो यह भारत के लिए बहुत बड़ा अवसर है जब वह अपने विचारों , सभ्यता , धार्मिक ग्रंथों, संस्कृति तथा कुशल नेतृत्व के माध्यम से विश्व के मार्गदर्शन का काम करें । सम्मेलन में 19 सदस्य देशों , यूरोपीय यूनियन, 09 आमंत्रित देशों तथा संभवतः 14 अंतरराष्ट्रीय संगठनोंं के प्रतिनिधिमंडल भाग लेने आएंगे । यह समय राजनीतिक रूप से विश्व में खुद को व्यक्त करने का समय तो है ही साथ ही यह वह अवसर भी है जब भारत अपनी सॉफ्ट पावर अर्थात अपने अध्यात्म, योग , दर्शन , सभ्यता, इतिहास , संस्कृति का वैश्विक पटल पर व्यापक रूप से प्रचार और प्रसार कर सकता है । किसी भी देश के अग्रणी होने में उसकी सॉफ्ट पावर का विशेष योगदान रहता है आज अमेरिका विश्व की सुपर पावर है तो उसमें केवल उसकी सैन्य शक्ति का योगदान भर नहीं है अमेरिका का सिनेमा , बर्गर, जींस आदि ने भी अमेरिका के वर्चस्व को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है। राजनीतिक निर्णय बाहरी प्रभाव डालते हैं लेकिन सॉफ्ट पावर व्यक्ति के अंदर प्रभाव डालती है । उसके मनोविज्ञान को बदलने का कार्य करती है । निसंदेह सॉफ्ट पावर का प्रभाव दीर्घकालिक होता है । भारत भी इस सम्मेलन को केवल राजनेताओं के बीच होने वाले कार्यक्रम तक सीमित नहीं रखना चाहता है । लगभग 60 से अधिक शहरों में आयोजन निर्धारित किए गए हैं। एक जनपद एक उत्पाद के निर्मित वस्तुओं का उपहार आए अतिथियों को देने का प्रस्ताव है । जो कि एक अच्छा प्रयास है । अगर हम सम्मेलन की थीम देखें जो कि “वसुधैव कुटुंबकम” तथा ” एक धरती एक परिवार एक भविष्य ” है। भारत द्वारा निर्धारित यह थीम भारत के इरादों को समझाने के लिए काफी है । भारत अपनी सभ्यता जो कि वैश्विक बंधुता , एकता की सभ्यता है को आधार मानते हुए पूरे जगत को परस्पर सहयोग , सामंजस्य का मार्ग दिखाना चाहता है । भारत सब को एक साथ लाना चाहता है और प्रयासरत भी है । भारत के प्रयास कितने सफल और असफल होंगे इसका उत्तर तो काल के गाल में ही छिपा है लेकिन इतना तो तय है वर्तमान जगत में विश्व व्यवस्था के निर्धारण में भारत विश्व का नेतृत्व करने जा रहा है ।