ईश्वर ने हमें सबकुछ दिया,भक्ति से प्रकट होते है भगवान-कथाचार्य कौशल किशोर ठाकुर जी महाराज
घिरोर।नाहिली में श्रीमद्भागवत कथा के तृतीय दिवस पर वृंदावन धाम से पधारे कथाचार्य कौशल किशोर ठाकुर जी महाराज द्वारा परीक्षत स्वरूपों को भगवान मनु व उनके पुत्र भक्त उत्तानपत व ध्रुव की कथा सुनाई व सुनाया कि माँ बच्चों में संस्कार सृजित करती जो मानव को श्रेष्ठ बनाता है।
कैसे सत्संग के बिना विवेक नहीं मिलता और भगवान की कृपा के बिना सच्चे संत नहीं मिलते।तोते की तरह रट-रटकर बोलने वाले तो बहुत मिलते हैं, परंतु उस ‘सत्’ तत्त्व का अनुभव करने वाले महापुरूष विरले ही मिलते हैं। आत्मज्ञान को पाने के लिए रामकृपा, सत्संग और सदगुरू की कृपा आवश्यक है। ये तीनों मिल जायें तो हो गया बेड़ा पार।
निष्काम कर्म और उपासना से अंतःकरण शुद्ध होता है और रामकृपा मिलती है। सदगुरू के उपदेश को जीवन में उतारने से उनकी कृपा पचती है। संत-महात्माओं की बिना किसी स्वार्थ के, सच्चे प्रेम से सेवा करनी चाहिए। यदि वे स्वयं प्रसन्न होकर कहें कि कुछ माँगो, तो भी यही माँगना कि ‘मुझे वही शाश्वत धन दीजिए जो आपने पाया है। मुझे अपने साथ मिला दीजिए।
भागवत कथा के दौरान अशोक चौहान फौजी ने कलश यात्रा में शामिल सभी कन्याओं को दुपट्टा चुनरी ओढ़कर सम्मानित किया।अतुल शाक्य,
ओमदेव चौहान,कृष्णा चौहान ने कथाचार्य कौशल किशोर ठाकुर जी महाराज को माला,पगड़ी व पटका पहनाकर सम्मानित किया।
भागवत कथा के दौरान पंडाल में श्याम सिंह चौहान,अजयवीर चौहान,विनोद चौहान,धर्मपाल यादव,धर्मेंद्र भदौरिया,हीरालाल यादव,अतुल शाक्य,राजेश भदौरिया,मुकेश शाक्य,गौरी शाक्य,
प्रबलकांत चौहान,अशोक फौजी,रामप्रवेश चौहान,
अखलेश चौहान,विनय चौहान,शुभम चौहान,रामू चौहान,प्रशांत चौहान,सुमित चौहान,सौरभ चौहान,कुल्दीप चौहान,इंद्रपाल,मोहित चौहान,विक्रम राठौर,राहुल चौहान,दिनेश चौहान,आंनद चौहान,रजत भदौरिया,संजय चौहान,अनिल चौहान,रीशु चौहान,गोविंद भदौरिया,अरुण चौहान,अभिषेक चौहान,डिंपल चौहान,पुता तोमर,सचिन चौहान,
उदय चौहान,अनुज चौहान,रजत चौहान,नवीन चौहान,विनोद चौहान,सुभाष चौहान,हरी चौहान,
लाल सिंह चौहान,अंकित चौहान,संटू चौहान,
राजपाल चौहान,पंकज चौहान आदि शामिल रहे।