न्यायालय में पत्रावली ना दिखने के मामले में एसडीएम और अधिवक्ता आमने-सामने

Sumit Garg
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शिवम गर्ग

घिरोर

एक मामले को लेकर अधिवक्ता और प्रशासन अब एक बार फिर आमने – सामने आ गए हैं । वहीं एसडीएम घिरोर ने मामले को लेकर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया है तो वही अधिवक्ताओं ने कहा कि मामले को घुमाने के लिए झूठ बोल रहे एसडीएम ।
एसडीएम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वाद संख्या पर आदेश पारित होने के बाद असंक्रमणिय भूमि दर से संक्रमणि भूमि दर घोषित कर देने के मामले को मीडिया ने प्रमुख्ता से खबर प्रकाशित की तो मामले ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया। एक तरफ एसडीएम आदेश को दूसरे आदेश पर त्रुटिवश पेस्ट हो जाने की जानकारी होने पर सुधार करने की बात कह रहे है। तो दूसरी तरफ तहसील बार एसोसियन के अध्यक्ष अभिनंदन यादव का कहना है कि अभी तक आदेश सही नहीं हुआ है आदेश ज्यों का त्यों है ।

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घिरोर तहसील के एसडीएम के न्यायालय से संबन्धित जिसमे एक कम्प्यूटरीकृत बाद सख्या T 202301490500129 श्याम सिंह बनाम सरकार से चल रहा था। जिसकी जानकारी करने पर पता चला कि वाद सख्या 202301490500132 मौजा घिरोर खास गाटा संख्या 1886 जो श्याम सिंह पुत्र द्वारिका प्रसाद निवासी नगला बौना के नाम पंजीकृत है। जिसका आर के कार्यालय में 57 खा मौजूद नही है। व और मौजा नसीरपुर वाद 132 में गाटा संख्या 42 का संचालित बाद 132 का आदेश 129 में कर दिया। जिसका एक ही जो असक्रमणीय भूमि दर से संक्रमणि भूमि दर घोषित कर आदेश दिनांक 17 जनवरी 2023 को पारित कर दिया गया है। मामले के गंभीरता से जांच की गई तो आरके कार्यालय में रिकार्ड के आधार पर सुरक्षित आर 6 रजिस्टर का मायना किया तो विना 57 खा के साथ ही दूसरे आदेश को दर्शा कर आदेश कर दिया।

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खबर प्रकाशित होने के वाद एसडीएम शिवनारायन शर्मा का कहना है कि कुछ लोग जो मुझसे या न्यायालय से निजी रंजिश रखते है। वह मुझे ब्लैक मेल कर रहे है। आदेश होने के पश्चात क्लर्किकल भूल से हुआ था। जिसे संज्ञान में आते ही सही कर दिया था। लेकिन कुछ लोग हैं । जो मुझे ब्लैक मेल करना चाह रहे हैं । साथ ही असक्रमणीय भूमि दर से संक्रमणि भूमि दर करने के लिऐ आवंटन पट्टे की पत्रावली देख कर तहसीलदार लेखपाल की जांच आने के बाद ही हो सकता है।

वही अधिवक्ता एसोसियन के अध्यक्ष अभिनंदन यादव का कहना हैं कि अभी तक आदेश ज्यों का त्यों है। ऑनलाइन भी देखा जा सकता है। इसमें बहुत बड़ा खेल है।साथ ही ब्लेक मेल करने की बात है। तो पत्रावलीया डाइस पर ले आए दूध का दूध पानी का पानी हो जायेगा। आदेश की नकल लेने के लिए सवाल प्रस्तुत किया गया है। जिसकी नकल उपलब्ध नहीं करायी हुई है। नकल मिलते ही पूरा मामला भी खुल कर सामने आ जायेगा। साथ जव आप अधिकारी किसी प्रकार का कार्य गलत नही है। तो कोई कैसे ब्लेक कर सकता है।
देखा जाए तो असक्रमणीय भूमि दर से संक्रमणि भूमि दर घोषित कराने के लिए घिरोर खास के लोग परेशान है। अखबार में प्रकाशित होने के वाद तहसील की दौड़ लगा रहे है।

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फोटो 2 – एसडीएम और अधिवक्ता

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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