अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली में हुई दो दिवसीय ग्लोबल रीजनरेटिव मेडिसिन समिट
पुनर्योजी चिकित्सा की भूमिका पर व्याख्यान के लिए डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया
आगरा। जिन बीमारियों में इलाज की मौजूदा व्यवस्था नाकाम हो रही है, उनके इलाज के लिए स्टेम सेल में मौजूद संभावनाओं पर भारत में तेजी से काम हो रहा है। इसके साथ ही इसे बढ़ावा देने वाले शोध, उपचार और नैतिक प्रावधानों के लिए बड़े मंचों को लाने की भी सिफारिश की गई है। यह जानकारी उजाला सिग्नस रेनबो हाॅस्पिटल के निदेशक डाॅ. नरेंद्र मल्होत्रा ने दी। एम्स, नई दिल्ली में इस विषय पर आयोजित एक सम्मेलन में पुनर्योजी चिकित्सा की भूमिका पर डाॅ. मल्होत्रा का विशेष व्याख्यान था।
चैथा वैश्विक पुनर्योजी चिकित्सा शिखर सम्मेलन 29 और 30 अप्रैल को एम्स नई दिल्ली में आयोजित हुआ। इसमें 43 वक्ताओं ने भाग लिया। 43 व्याख्यान, स्टेम सेल और प्लेटलेट युक्त प्लाज्मा पर कार्यशाला र्हुइं। डाॅ. मल्होत्रा ने बताया कि पुनर्योजी चिकित्सा के लिए अग्रणी अंतर्राष्ट्रीय बैठक संयुक्त रूप से आयोजित की गई। आॅर्थोपेडिक रिसर्च सोसायटी आॅफ आॅल इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज नई दिल्ली के तहत उनके साथ ही डाॅ. समर्थ मित्तल और ग्लोबल रीजनरेटिव मेडिसिन एक्सपर्ट, डाॅ. अशोक कुमार की अध्यक्षता में यूएसए, यूके, माल्टा, यूएई समेत सात देशों के लगभग 15 अग्रणी विशेषज्ञ शामिल हुए। फिलीपींस, पोलेंड, नीदरलैंड से और 28 राष्ट्रीय वक्ताओं, 80 प्रतिनिधि आॅनलाइन इस समिट का हिस्सा बने। 11 महिला और 32 पुरूष वक्ता शामिल थे। स्टेम सेल और प्लेटलेट रिच के साथ ही प्लाज्मा पीआरपी पर वर्कशाॅप हुई।
डाॅ. मल्होत्रा ने बताया कि पुनर्योजी चिकित्सा एक अत्याधुनिक तकनीक है जो आपकी कोशिकाओं, उतकों का उपयोग जीवन की गुणवत्ता में सुधार और उतकों को ठीक करने, मरम्मत करने और पुनर्जीवित करने, रक्त उत्पाद के लिए उपयोगी है।
अनेक स्टेम सेल, थ्रीडी का उपयोग करके बीमारियों और जन्मजात स्वास्थ्य समस्याओं को पहले से ही संबोधित किया जा रहा है, लेकिन कुछ हालिया परिणामों ने और तरक्की प्रदर्शित की है। आॅर्थोपेडिक सर्जन एवं स्टेम सेल विशेषज्ञ डाॅ. अशोक कुमार ने उचित दिशा-निर्देश बनाने और अधिक स्थापित करने की तत्काल जरूरत को संबोधित किया। स्टेम से और अन्य उपयोग को आगे बढ़ाने वाले स्नात्कोत्तर पुनर्योजी चिकित्सा कार्यकम, पुरानी चिकित्सा समस्याओं वाले रोगियों के लाभ के लिए पुनर्योजी उत्पाद, पुराने आॅस्टियोआॅर्थराइटिस, ह्दय रोग, मधुमेह, तंत्रिका संबंधी विकार और जन्मजात समस्याओं के समाधान पर विशेष बल दिया। प्रो. राजेश मल्होत्रा ने घुटने जोड़ों पर स्टेम सेल की क्षमता पर बात की।
पुनर्योजी चिकित्सा की भूमिका बढ़ाने को सिफारिश
पुनर्योजी चिकित्सा की भूमिका, महिला प्रजनन स्वास्थ्य के लिए और अधिक प्लेटफाॅर्म रखने की सिफारिश के साथ शिखर सम्मेलन समाप्त हुआ। डाॅ. मल्होत्रा ने बताया कि जनहित में पुनर्योजी चिकित्सा के क्षेत्र में डाॅक्टरों और शोधकर्ताओं को प्रशिक्षण देने की महती आवश्यकता है।
देश-दुनिया के साथ आगरा में भी हो रहा काम, जल्द मिलेंगे परिणाम
देश-दुनिया के साथ ही आगरा शहर में भी इस पर काफी काम हो रहा है। चूंकि आईवीएफ इसी से जुड़ा क्षेत्र है इसलिए आगरा के रेनबो आईवीएफ में निदेशक डाॅ. जयदीप मल्होत्रा और डॉ केशव मल्होत्रा के साथ वे खुद टेस्ट ट्यूब बेबी के परिणाम बेहतर बनाने के लिए स्टेम सेल पीआरपी, यूट्रस और ओवरी में प्राथमिक रूप से काम कर रहे हैं।