मथुरा : केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मखदूम में 3 दिवसीय बकरी एवं भेड़ उत्पादन और उपयोग भारतीय सोसाइटी (ISSGPU) की अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का शुभारंभ हुआ। इस कांफ्रेंस का आयोजन केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर राजस्थान के सहयोग से किया गया। यह कांफ्रेंस छोटे जुगाली पशुओं, विशेष रूप से बकरियों और भेड़ों के उत्पादन में नवीनतम अनुसंधान, जीनोमिक नवाचारों और उन्नत खेती तकनीकों पर केंद्रित है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. राघवेन्द्र भट्टा ने अपने संबोधन में छोटे जुगाली पशुओं के उत्पादन में नवाचारों की आवश्यकता पर जोर दिया और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा इस दिशा में किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने बकरी एवं भेड़ पालन में सटीक खेती तकनीकों को अपनाने पर विशेष बल दिया ताकि किसानों की आय में वृद्धि हो और सतत कृषि को बढ़ावा मिले।
विशिष्ट अतिथि डॉ. ज्ञानेन्द्र कुमार गौर ने बकरी एवं भेड़ पालन को ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण घटक बताया और इस क्षेत्र में अनुसंधान तथा तकनीकी विकास को आवश्यक बताया। उन्होंने किसानों और शोधार्थियों के बीच समन्वय स्थापित कर नवीनतम वैज्ञानिक तकनीकों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया।
डॉ. ए. के. तौमर, निदेशक, केन्द्रीय भेड़ एवं ऊन अनुसंधान संस्थान, अविकानगर राजस्थान, ने बकरी एवं भेड़ के प्रबंधन, प्रजनन और पोषण से संबंधित विभिन्न तकनीकों पर चर्चा की और इस क्षेत्र में अनुसंधान को और अधिक प्रासंगिक बनाने की आवश्यकता जताई।
इसके साथ ही डॉ. ए.के. गहलोग और डॉ. के.एम.एल. पाठक ने भी अपने विचार साझा किए और आधुनिक बकरी एवं भेड़ पालन में हो रहे तकनीकी बदलावों को किसानों तक पहुंचाने की बात कही।
डॉ. मनीष कुमार चेटली, संस्थान के निदेशक, ने सभी अतिथियों, वैज्ञानिकों, शोधार्थियों और किसानों का स्वागत किया और इस तीन दिवसीय सम्मेलन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य छोटे जुगाली पशुओं के उत्पादन में नवीनतम तकनीकों और नवाचारों को बढ़ावा देना है ताकि पशुपालकों को अधिकतम लाभ मिल सके।
इस कार्यक्रम में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद से जुड़े विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक, शोधार्थी, बकरी एवं भेड़ पालन से जुड़े किसान और उद्योग जगत के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। इस सम्मेलन में उन्नत बकरी पालन, जीनोमिक नवाचार और सतत विकास को लेकर गहन विचार-विमर्श हुआ, जिससे पशुपालकों और वैज्ञानिकों को नए दृष्टिकोण मिले।
समापन में, अतिथियों द्वारा किसानों और वैज्ञानिकों के उत्कृष्ट योगदान को सराहा गया और भविष्य में इस क्षेत्र में और अधिक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने पर सहमति बनी।