श्री जीव गोस्वामी महाराज का 426 वां तिरोभाव महोत्सव धूमधाम से मनाया

Sumit Garg
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जिलाधिकारी मथुरा ने दर्शन कर एवं कंबल वितरण कर पुण्य लाभ अर्जित किया

वृंदावन:- विश्व प्रसिद्ध तपस्वी संत श्री जीव गोस्वामी महाराज का 426 वां तिरोभाव महोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ ठाकुर राधा दामोदर मंदिर में मनाया गया। कार्यक्रम की जानकारी देते हुए ठाकुर राधा दामोदर लाल के अंग सेवक दामोदर चंद्र गोस्वामी ने बताया कि आज का यह महोत्सव बड़े गोसाई आचार्य कनिका प्रसाद गोस्वामी महाराज के अध्यक्षता में आयोजित किया गया।
मथुरा के जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह मुख्य अतिथि के रूप में पधारे। ठाकुर जी के दर्शन कर उन्होंने आशीर्वाद प्राप्त किया। इसी के साथ ही प्रसाद पा रहे साधु संतों को कंबल वितरण भी किया। जिलाधिकारी महोदय ने कहा कि बड़े भाग्यशाली है जो आज उन्हें जीव गोस्वामी जी के तिरोभाव महोत्सव में सम्मिलित होने का मौका मिला। इसी के साथ संतो के दर्शन कर उन्हें कंबल वितरण करने का मौका मिला।
कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी देते हुए दामोदर चंद्र गोस्वामी ने बताया कि प्रातः काल ठाकुर जी को फूल बंगले में विराजमान कर 56 भोग अर्पित किए गए। इसी के साथ ही अखंड हरि नाम संकीर्तन का भी आयोजन किया गया। तत्पश्चात श्री जीव गोस्वामी महाराज के समाधि पर पूजन एवं भक्ति पारायण किया गया। इसी क्रम में श्री जीव गोस्वामी पाद सूचक कीर्तन एवं विद्वत गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसमें श्री धाम वृंदावन के प्रसिद्ध भागवत वक्ता एवं संतों के द्वारा श्रीजीव गोस्वामी को अपनी वाणी के माध्यम से पुष्पांजलि अर्पित की गई।

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कार्यक्रम में उपस्थित पंडित बिहारी लाल वशिष्ठ ने कहा कि श्रीभक्तिरत्नाकर में ही एक अन्य स्थान पर इस प्रकार लिखा है कि श्रीजीव गोस्वामी जी ने स्वप्न में संकीर्तन के मध्य नृत्य अवस्था में श्रीचैतन्य महाप्रभु जी के दर्शन किए थे।श्रीजीव का बाल्यकाल से ही भगवद अनुराग देखा जाता है। ये बचपन में अपने साथी दोस्तों के साथ कृष्ण पूजाव सम्बन्धित खेल छोड़कर और कोई खेल ही नहीं खेलते थे। स्वयं कृष्ण-बलराम जी की मूर्ति बना कर उनकी चन्दन,पुष्प इत्यादि से पूजा करते, उन्हें रत्न-जड़ित सुन्दर-सुन्दर वस्त्र, अलंकार पहनाते तथा अत्यन्त उल्लासपूर्ण हृदय से बिना पलक झपकाये दर्शन करते तथा जब साष्टांग प्रणाम करते तो इस प्रकार लगता मानो सोने की मूर्ति धूलि में पड़ी हो। इसके इलावा बहुत प्रकार की मिठाईयाँ कृष्ण-बलराम को भोग लगाते तथा सभी बालकों के साथ प्रेमानन्द में प्रसाद पाते।

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महामंडलेश्वर डॉ सत्यानंद सरस्वती अधिकारी गुरु महाराज ने बताया कि श्रील जीव गोस्वामी जी भाद्र शुक्ला-द्वादशी तिथि को अवलम्बन कर के आविर्भूत हुए थे तथा पौष मास की शुक्ल-तृतीया तिथि को आपने तिरोधान लीला की। श्री श्रीराधा दामोदर जी के विग्रह, जिनकी श्रीजीव गोस्वामी सेवा किया करते थे, आज भी वृन्दावन में श्रीराधा-दामोदर जी के मन्दिर में विराजमान हैं। मन्दिर के पीछे श्रील जीव गोस्वामी जी का समाधि-स्थान है।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से महंत सुंदर दास, महंत सच्चिदानंद दास, विनीत शरण गोस्वामी, राधा कृष्ण दास गोस्वामी, महंत विजय किशोर गोस्वामी, शांतनु गोस्वामी आदि उपस्थित रहे।

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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