आगरा: उत्तर भारत के सबसे बड़े श्रीरामलीला महोत्सव में इस साल एक खास आकर्षण होने जा रहा है। 45 साल पुराना रजत रथ नए सिरे से तैयार होकर प्रभु श्रीराम की भव्य बारात में चार चांद लगाएगा।
रजत रथ का इतिहास
वर्ष 1978 में बनारस के कारीगरों ने छह साल की मेहनत से इस रथ को तैयार किया था। तब इसकी कीमत 3.50 लाख रुपये थी, जो अब बढ़कर करीब 200 गुना हो गई है। इस रथ को बनाने में चांदी के साथ ही दुर्लभ नक्काशी का भी इस्तेमाल किया गया है।
क्यों तैयार हुआ था रथ?
पहले श्रीराम की बारात में भरतपुर राजघराने से हाथी और चांदी का हौद आता था। लेकिन व्यवस्था भंग होने पर स्थानीय लोगों ने मिलकर यह रजत रथ बनवाया था।
इस साल क्यों हुआ रिनोवेशन?
45 साल पुराना होने के कारण रथ थोड़ा जर्जर हो गया था। इसलिए इस साल इसे नए सिरे से तैयार कराया जा रहा है। सर्राफा कारोबारी दीनदयाल उपाध्याय एंड संस के यहां इस रथ पर चांदी की नई परत चढ़ाई जा रही है।
क्यों खास है यह रथ?
- ऐतिहासिक महत्व: यह रथ आगरा की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- कला का उत्कृष्ट नमूना: इस रथ पर की गई नक्काशी कला का एक उत्कृष्ट नमूना है।
- धार्मिक महत्व: यह रथ प्रभु श्रीराम से जुड़ा होने के कारण धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
इस साल की रामलीला
इस साल की रामलीला 17 सितंबर से शुरू होगी और 28 सितंबर को प्रभु श्रीराम की भव्य बारात निकाली जाएगी। इस बारात में यह रजत रथ मुख्य आकर्षण का केंद्र होगा। आगरा की रामलीला में इस रजत रथ का होना शहर के लोगों के लिए गर्व की बात है। यह रथ न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह कला और संस्कृति का भी एक जीवंत उदाहरण है।