आगरा: आगरा के थाना शाहगंज के चौकी सराय ख्वाजा क्षेत्र में स्थित सोना नगर पुलिया के पास एक गहरे नाले में गिरकर 11 वर्षीय बालक की मौत हो गई। यह हादसा उस समय हुआ जब मोहल्ले के बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे और बॉल नाले में गिर गई। बॉल निकालने के प्रयास में बालक नाले में गिर पड़ा, जिससे उसकी जान चली गई।
घटना का विवरण
मोहल्ले के बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे, तभी अचानक बॉल नाले में गिर गई। नाले से बॉल निकालने के लिए 11 वर्षीय अजरुद्दीन नामक बालक नाले के पास गया। जैसे ही वह नाले के किनारे खड़ा हुआ, अचानक उसका पैर फिसल गया और वह गहरे नाले में गिर पड़ा। नाले में गिरते ही अजरुद्दीन का शोर सुनकर अन्य बच्चे घबराए और उन्होंने हल्ला मचाया। उनके शोर को सुनकर परिवारीजन और आसपास के लोग मौके पर पहुंचे।
रेस्क्यू ऑपरेशन और चिकित्सकीय जांच
इस बीच पुलिस को सूचना दी गई और नगर निगम की टीम भी मौके पर पहुंची। पुलिस और नगर निगम की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद बच्चे का शव नाले से बाहर निकाला। इसके बाद बच्चे को पास के डॉक्टर के पास ले जाया गया, जहां डॉक्टर ने परीक्षण के बाद उसे मृत घोषित कर दिया।
परिवार में मचा कोहराम
बालक की मौत की खबर से उसके परिवार में गहरा शोक छा गया। परिवार के सदस्य और मोहल्ले के लोग इस हादसे को लेकर बेहद दुःखी और परेशान थे। इस घटना ने न सिर्फ परिवार को तोड़कर रख दिया, बल्कि क्षेत्रीय लोगों में भी नगर निगम की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठाए हैं।
नगर निगम पर सवाल
आगरा को स्मार्ट सिटी घोषित किया गया है, और इसके तहत नगर निगम द्वारा विभिन्न सुधारात्मक योजनाओं और कार्यों की योजना बनाई जाती है। लेकिन इस हादसे के बाद नगर निगम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। घटना के बाद स्थानीय लोग और परिवारवाले सवाल उठा रहे हैं कि नगर निगम ने गहरे नाले को खुला क्यों छोड़ा था। क्या यह हादसा नगर निगम की लापरवाही का परिणाम था?
स्मार्ट सिटी योजना और नगर निगम की जिम्मेदारी
स्मार्ट सिटी योजना के तहत शहर को बेहतर बनाने के लिए कई परियोजनाओं का काम चल रहा है, लेकिन जब नाले जैसे खतरनाक खुले गड्ढों की उचित देखभाल नहीं की जाती तो सवाल उठना स्वाभाविक है। इस तरह के हादसे यह दर्शाते हैं कि स्मार्ट सिटी की योजनाओं के साथ-साथ सार्वजनिक सुरक्षा पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
इस दिल दहला देने वाली घटना ने यह साबित कर दिया कि नगर निगम की ओर से की जा रही लापरवाही की कीमत एक मासूम बच्चे को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। अब सवाल यह है कि क्या नगर निगम भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ठोस कदम उठाएगा या फिर इस प्रकार की घटनाओं को लेकर यूं ही अनदेखी की जाएगी।