आगरा के लिए गंभीर जल संकट! जल निगम गंगाजल की आपूर्ति से 55 एमएलडी कटौती की योजना बना रहा है, जिससे पहले से ही जूझ रहे शहर में पानी की किल्लत बढ़ सकती है। सिविल सोसायटी ने पारदर्शिता और नगर निगम में चर्चा की मांग की है।
आगरा: महानगर आगरा की जलापूर्ति संतोषजनक नहीं है, और आने वाले समय में नागरिकों में से अधिकांश को पानी की समस्याएँ और बढ़ जाने का अनुमान है। इसका कारण यह है कि एत्मादपुर तहसील के तमाम ग्रामीण इलाकों को आगरा के लिए मिलने वाले गंगाजल पाइपलाइन के पानी में से एक तिहाई (55 एमएलडी) दिए जाने की योजना पर जल निगम काम शुरू कर चुका है।
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए मांग की है कि महानगर की जलापूर्ति पर पड़ने वाले इस असर की जानकारी सार्वजनिक की जाए।
योजना आगरा के हिस्से को काटने पर आधारित
यह योजना पूरी तरह से जापान सहायतित गंगाजल पाइपलाइन प्रोजेक्ट के तहत आगरा को मिलने वाले 150 क्यूसेक पानी (जिसमें से 10 क्यूसेक पानी मथुरा जल सप्लाई के लिए काट लिया जाता है) में से है। वर्तमान में 140 क्यूसेक पानी आगरा को मिलता है। इसमें से ही अब 55 एमएलडी (1 एमएलडी = 1,000,000 लीटर/दिन) पानी आगरा जलापूर्ति पुनर्गठन योजना (ट्रांस यमुना ज़ोन-I और II पर केंद्रित) के तहत पाइपलाइन से ट्रांस यमुना क्षेत्र में ले जाया जाएगा।
वर्तमान में सिकंदरा जलकल परिसर में गंगाजल पाइपलाइन प्रोजेक्ट के तहत 144 एमएलडी क्षमता का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगा हुआ है। इसी का पानी पूरे महानगर में वितरित किए जाने की योजना का क्रियान्वयन चल रहा है। इस पानी में से वर्तमान में भी पाइपलाइन होकर पानी की आपूर्ति हो रही है। लेकिन आगरा वाटर सप्लाई पुनर्गठन के नाम पर 55 एमएलडी पानी और ट्रांस यमुना क्षेत्र को आपूर्त किया जाएगा, इस प्रकार महानगर की जलापूर्ति के लिए केवल 91 एमएलडी (144 एमएलडी – 55 एमएलडी = 091 एमएलडी) ही उपलब्ध रह जाएगा।
महानगर के अनेक हिस्सों में पहले से ही पानी की किल्लत
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा का मानना है कि जनसामान्य की अवधारणा के अनुसार, यह जलराशि 100 म्युनिसिपल वार्डों की 24 लाख से अधिक (24.78 लाख) आबादी वाले आगरा महानगर की वर्तमान वाटर सप्लाई के लिए भी अपर्याप्त है। अब जब यह कम होकर महज 091 एमएलडी रह जाएगी, तब महानगर को शुद्ध एवं गुणवत्ता वाले पानी की जलापूर्ति का लक्ष्य किस प्रकार पूरा हो सकेगा?
सिविल सोसायटी ऑफ आगरा के जनरल सेक्रेटरी अनिल शर्मा ने जल निगम चीफ इंजीनियर (आगरा ज़ोन) और महाप्रबंधक, गंगाजल प्रोजेक्ट यूनिट से कहा है कि 144 एमएलडी उपलब्ध जलराशि में से 55 एमएलडी जलराशि, आगरा जलापूर्ति पुनर्गठन योजना के लिए दे दिए जाने के बाद आगरा में जल आपूर्ति की स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव की जानकारी सार्वजनिक करें।
नगर निगम सदन में हो चर्चा की मांग
श्री अनिल शर्मा ने कहा कि सबसे उपयुक्त तो यह होगा कि नगर निगम सदन में पार्षदों के समक्ष जल निगम के संबंधित अधिकारी आगरा जलापूर्ति पुनर्गठन योजना विस्तार के बारे में विस्तार से जानकारी रखें। उन्होंने सवाल उठाया कि एत्मादपुर तहसील के जिन गांवों को अर्ध ग्रामीण/नव शहरी इलाकों के नाम पर जलापूर्ति किए जाने की तैयारी है, उनके लिए अतिरिक्त जल प्रबंधन की योजना न बनाकर आगरा महानगर की जलापूर्ति के लिए आवंटित गंगाजल पाइपलाइन योजना में से ही क्यों कटौती करने की कार्ययोजना बना डाली गई।
तथ्य पत्र/संलग्नक -1: ‘आगरा जलापूर्ति पुनर्गठन योजना’
- यूपी जल निगम (शहरी) द्वारा स्वीकृत परियोजना, ‘आगरा जलापूर्ति पुनर्गठन योजना’ ट्रांस यमुना ज़ोन- I और II पर केंद्रित है।
- यमुना तटीय क्षेत्र होने के बावजूद यह क्षेत्र पानी की कमी वाले क्षेत्र के रूप में चिह्नित है।
- प्रतिस्पर्धी निविदा प्रक्रिया के तहत एक अरब राशि से अधिक की इस योजना को क्रियान्वित करने का ठेका गाजियाबाद की ईएमएस लिमिटेड (EMS Ltd.) को जल निगम द्वारा उठाया गया है।
- कंपनी अब नियुक्त ठेकेदार के रूप में जल अवसंरचना प्रणाली की इंजीनियरिंग, डिज़ाइन और निर्माण करेगी।
- परियोजना के कामों में कच्चे पानी के लिए एक इंटेक वेल, एक पंप हाउस, एक एप्रोच ब्रिज और एक 1100 मिमी व्यास कच्चा पानी राइज़िंग मेन का विकास शामिल है, जिससे प्राप्त रॉ वाटर को एक नए नियोजित 55 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से जोड़ा जाएगा।
- योजना के तहत महानगर के ट्रांस यमुना क्षेत्र के महानगर की सीमा में आने वाले और सीमा से बाहर के “परिनगरीय” (peri-urban areas) क्षेत्रों की बसावटें सम्मिलित हैं।
आगरा में गंगाजल पाइपलाइन परियोजना
- आगरा में गंगाजल पाइपलाइन परियोजना, जापान की वित्तीय पोषण करने वाले प्रतिष्ठान जायिका (JICA – the Japan International Cooperation Agency) से सहायता प्राप्त प्रोजेक्ट के रूप में पूरी हुई थी।
- इसे आगरा जल आपूर्ति परियोजना के रूप में भी जाना जाता है। इसके तहत 130 किलोमीटर की पाइपलाइन के माध्यम से बुलंदशहर में पलड़ा हेडवर्क्स से 140 क्यूसेक गंगा पानी लाकर शहर की पेयजल आपूर्ति में सुधार करना है।
- इस योजना पर लगभग ₹2,880 करोड़ रुपये लागत आई थी। वित्तपोषण प्रक्रिया के तहत जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) द्वारा 85% और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 15% धन का वहन किया गया है।
- योजना के तहत इसमें सिकंदरा में 144 एमएलडी जल उपचार संयंत्र, आगरा और मथुरा के लिए टैंक और फीडर मेन शामिल हैं।
- योजना शुरू करने के समय आगरा महानगर के पानी की मांग (400 एमएलडी) थी और वर्तमान आपूर्ति (285 एमएलडी) के बीच अंतर को पाटने का प्रयास था।
- कागज़ी तौर पर महानगर की जलापूर्ति की स्थिति यह है कि महानगर का 40 प्रतिशत क्षेत्र गंगाजल पाइपलाइन प्रोजेक्ट का लाभार्थी नहीं बन सका है। छावनी विधानसभा क्षेत्र के छावनी परिषद से बाहर के अधिकांश भागों में पानी पहुंचता ही नहीं या फिर काफी कम प्रेशर से जलापूर्ति होती है।