झांसी, (सुल्तान अब्दी) – बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी के फार्मेसी संस्थान ने 10 सितंबर 2025 को “यूपी 2047: विकसित उत्तर प्रदेश की ओर” पहल के तहत एक महत्वपूर्ण अकादमिक-उद्योग संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया। गांधी सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम का मुख्य विषय “फार्मा, मेडिकल टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर सेक्टर में चुनौतियाँ और अवसर” रहा।
मुख्य वक्ता ने दिया विस्तृत व्याख्यान
इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता, माननीय मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश के सलाहकार और पूर्व औषधि महानियंत्रक (DCGI) भारत सरकार, डॉ. जी. एन. सिंह रहे। उन्होंने अपने संबोधन में वैश्विक और राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर फार्मा उद्योग की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
डॉ. सिंह ने बताया कि दुनिया की बढ़ती वृद्ध जनसंख्या और दीर्घकालिक बीमारियों के कारण स्वास्थ्य सेवाओं की मांग में वृद्धि हुई है। उन्होंने एआई, रोबोटिक्स और डेटा एनालिटिक्स जैसी आधुनिक तकनीकों के महत्व को भी समझाया, जो इस क्षेत्र में क्रांति ला रही हैं।
भारत बन रहा है फार्मा का वैश्विक केंद्र
राष्ट्रीय परिदृश्य पर बात करते हुए डॉ. सिंह ने भारत की उपलब्धियों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि भारत विश्व की 20% जेनेरिक दवाओं और 62% वैक्सीन का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय दवा उद्योग 2030 तक 130 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। इसमें बायोसिमिलर्स, बायोलॉजिक्स और कॉन्ट्रैक्ट रिसर्च जैसे क्षेत्रों में युवाओं के लिए अपार अवसर मौजूद हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की पहलें
डॉ. सिंह ने “उत्तर प्रदेश औषधि एवं चिकित्सा उपकरण नीति 2023” की सराहना करते हुए कहा कि यह प्रदेश को फार्मा और मेडिकल टेक्नोलॉजी का राष्ट्रीय केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने ललितपुर में प्रस्तावित मेगा बल्क ड्रग पार्क और जेवर (गौतमबुद्ध नगर) में 350 एकड़ के मेडिकल डिवाइस पार्क जैसी परियोजनाओं का जिक्र किया। उन्होंने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 और अन्य नियामक सुधारों की भी जानकारी दी, जिनका उद्देश्य पारदर्शिता, नवाचार और रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
कुलपति ने किया छात्रों को संबोधित
इस अवसर पर, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुकेश पांडेय ने भी छात्रों को संबोधित किया और उन्हें फार्मा एवं हेल्थकेयर क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों के बारे में बताया। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. पीयूष भारद्वाज ने फार्मेसी संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, जिसमें हाल ही में प्राप्त हुई 68वीं एनआईआरएफ रैंकिंग भी शामिल है। डॉ. शशि आलोक ने मुख्य वक्ता का परिचय दिया, जबकि डॉ. विहंगेश दीक्षित ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार श्री राजबहादुर, वित्त अधिकारी श्री प्रमोद कुमार सिंह, प्रो. सुनील काबिया, प्रो. डी. के. भट्ट, प्रो. प्रतीक अग्रवाल और फार्मेसी संस्थान के संकाय सदस्य डॉ. रघुबीर इर्च्छैया, डॉ. उपेन्द्र शर्मा, डॉ. गिरीश सोनी समेत बड़ी संख्या में शिक्षक और छात्र उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम छात्रों के लिए अत्यंत प्रेरणादायक साबित हुआ और इसने उन्हें फार्मा एवं हेल्थकेयर क्षेत्र की भविष्य की संभावनाओं के प्रति नई दिशा प्रदान की।