विधुत चोरी के मामलें में बीस साल बाद आरोपित व्यवसायी बरी, अदालत ने दी बड़ी राहत

MD Khan
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आगरा: विधुत चोरी के आरोप में 20 साल बाद एक व्यवसायी को अदालत से बड़ी राहत मिली है। विशेष न्यायाधीश आर्थिक अपराध (ई.सी. एक्ट) दिनेश तिवारी ने ए.पी. इंडस्ट्रीज के मालिक प्रवीन कुमार गोयल को विधुत चोरी के आरोप से बरी कर दिया। इस मामले में विभाग द्वारा लगाए गए आरोपों और प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों में कमी पाई गई, जिसके चलते अदालत ने प्रवीन कुमार गोयल को निर्दोष करार दिया।

वर्ष 2005 में उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के अधिकारियों द्वारा आरोपी प्रवीन कुमार गोयल की फैक्ट्री ए.पी. इंडस्ट्रीज पर विधुत चोरी की चेकिंग की गई थी। आरोप था कि प्रवीन कुमार गोयल ने अपने मीटर की सील तोड़ी थी और शॉर्ट सर्किट के जरिए एक अन्य मीटर की डिवाइस को जोड़कर विधुत चोरी की थी। इस चेकिंग के दौरान 3,80,581 रुपये का राजस्व निर्धारण किया गया था। विभाग ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया था।

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विभाग की लापरवाही

मुकदमे की सुनवाई के दौरान आरोपी के अधिवक्ता विनोद कुमार राजपूत ने अदालत में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि 6 मई 2005 को की गई चेकिंग के बाद विभाग ने मुकदमा 7 मार्च 2006 को अदालत में प्रस्तुत किया था, लेकिन इस विलंब का कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया गया। इसके अलावा, 20 अप्रैल 2005 को हुई दूसरी चेकिंग में मीटर की सील सही पाई गई थी और मीटर की रीडिंग भी सही थी, लेकिन विभाग ने इस तथ्य को अदालत में नहीं उजागर किया।

इसके अलावा, विभाग द्वारा जप्त किए गए मीटर को प्रयोगशाला में भेजने और उसकी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। विभाग ने मौके की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी का भी कोई सबूत पेश नहीं किया।

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आरोपी का पक्ष

आरोपी ने अदालत में यह साबित किया कि उसे कोई भी बकाया राशि नहीं थी और उसने पूरी रकम चुका दी थी। उसके द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों से यह सिद्ध हुआ कि विभाग के आरोप गलत थे।

कोर्ट का फैसला

अदालत ने सभी तथ्यों और साक्ष्यों पर विचार करते हुए आरोपी प्रवीन कुमार गोयल को बरी कर दिया। विशेष न्यायाधीश दिनेश तिवारी ने कहा कि विभाग द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्य अपर्याप्त थे और इस आधार पर उन्होंने आरोपी को विधुत चोरी के आरोप से मुक्त कर दिया।

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