आगरा: चेक डिसऑनर (बाउंस) के एक मामले में विशेष न्यायालय एन.आई. एक्ट के पीठासीन अधिकारी सतेंद्र सिंह वीर वां न नें आरोपी अजय कुमार शर्मा पुत्र कांति प्रसाद शर्मा, जो वैष्णो कंस्ट्रक्शन एंड ट्रेडिंग कंपनी के प्रोप्राइटर हैं और श्याम जी पुरम, बोदला रोड, सिकंदरा, जिला आगरा के निवासी हैं, को दोषी ठहराते हुए एक वर्ष की कैद और एक करोड़, पांच लाख, चालीस हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है।
मामले के अनुसार, वादी दिलीप तिवारी, जो देव कंस्ट्रक्शन के प्रोप्राइटर हैं और गुड़ हाई मंडी, ताजगंज के निवासी हैं, ने धारा 138 एन.आई. एक्ट के तहत आरोपी अजय कुमार शर्मा के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। वादी ने आरोप लगाया था कि अधिशासी अभियंता, निर्माण खंड, उत्तर प्रदेश जल निगम, कन्नौज द्वारा आरोपी अजय कुमार शर्मा की फर्म वैष्णो कंस्ट्रक्शन एंड ट्रेडिंग कंपनी को निर्माण कार्य का ठेका दिया गया था।
आरोप है कि आरोपी की फर्म ने उक्त कार्य वादी की फर्म मेसर्स देव कंस्ट्रक्शन से कराया, लेकिन कोई भुगतान नहीं किया, जिसके कारण वादी की फर्म ने कार्य बंद कर दिया। बाद में, निर्माण खंड जल निगम कन्नौज द्वारा सीधे वादी की फर्म से बकाया कार्य पूरा कराया गया। वादी ने आरोपी से पहले किए गए कार्य का भुगतान मांगा, जिस पर आरोपी ने 11 जुलाई 2018 को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की फब्बारा शाखा, हॉस्पिटल रोड का 85 लाख रुपये का चेक दिया।
वादी ने उक्त चेक भुगतान प्राप्ति के लिए अपने बैंक में प्रस्तुत किया, लेकिन वह डिसऑनर (बाउंस) हो गया। इसके बाद वादी ने अदालत में मुकदमा दायर किया। विशेष न्यायालय एन.आई. एक्ट के पीठासीन अधिकारी सतेंद्र सिंह वीर वां न नें सुनवाई के दौरान प्रस्तुत सबूतों और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपी अजय कुमार शर्मा को दोषी पाया और उन्हें एक वर्ष की कैद और एक करोड़, पांच लाख, चालीस हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई।
यह फैसला चेक बाउंस के मामलों में सख्त कार्रवाई का संदेश देता है और व्यापारिक लेन-देन में वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के महत्व को दर्शाता है।