आगरा : दोस्त की नाबालिग बेटी से कथित दुराचार और जान से मारने की धमकी देने के मामले में आरोपी मनोज शर्मा को सबूत के अभाव में विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट सुश्री नसीमा ने बरी करने के आदेश दिए हैं।
अदालत में प्रस्तुत परिवाद पत्र के अनुसार वादनी मुकदमा/पीड़िता नें परिवाद पत्र प्रस्तुत कर आरोप लगाया कि, वह साढ़े सोलह वर्षीया कक्षा 12 की छात्रा हैं। उसके पिता और आरोपी में बहुत दोस्ताना और घर आना जाना था।
25 दिसंबर 2018 की दोपहर दो बजे करीब वह पैन खरीदने बाजार जा रही थी। उसी दौरान आरोपी ने वादनी को देख 20 रुपये का दही लाने को उससे कहा। वापस आने पर आरोपी ने रसोई में दही रखने को कहा। मुड़ते ही आरोपी ने उसे दबोच लिया और तमंचा दिखा उसके साथ दुराचार किया। किसी से शिकायत करने पर जान से मारने की धमकी दी। आरोपी उसे 200 रुपये देने लगा जो उसने नहीं लिये।
उसके बाद भी आरोपी उसे अपने घर बुलाने के लिए दबाव डालने लगा। मना करने पर स्कूल आते जाते पीछा करने लगा। जीना मुश्किल होने पर 21 नवंबर 2019 को थाना कोतवाली और 22 नवंबर 2019 को एस, एस पी को प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया। कोई कार्यवाही नहीं होने पर अदालत में परिवाद पत्र प्रस्तुत किया।
मुकदमे के विचारण के दौरान वादनी ने स्वयं एवं अपनी बहन एवं मां को गवाही हेतु अदालत में पेश किया। मुकदमे के विचारण के दौरान आरोपी के अधिवक्ता गिरीश कुमार भारद्वाज ने तर्क दिए की वादनी ने आरोपी को उक्त मामले में झूठा आरोपित किया है। जिस दिन की स्वयं के साथ घटना दर्शायी है उसके 11 माह बाद उक्त परिवाद पत्र प्रस्तुत किया गया है। दुराचार के बाबत ना तो पीड़िता का कोई मैडिकल हुआ और ना ही उसका मजिस्ट्रेट के समक्ष कोई बयान दर्ज हुआ।
आरोपी के अधिवक्ता ने तर्क दिए की वादनी मुकदमा के भाई द्वारा आरोपी की 8 वर्षीया पुत्री से दुराचार किया था। जिसकी रिपोर्ट आरोपी द्वारा 6 जुलाई 2019 को वादनी के भाई के विरुद्ध दर्ज कराई थी। जिसमें वादनी का भाई जेल चला गया था। उसी पेश बंदी के तहत दबाव बनाने हेतु उक्त मुकदमे सहित चार मुकदमें आरोपी एवं उसके परिजनों के विरुद्ध दर्ज कराए गए।
विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट सुश्री नसीमा ने आरोपी के अधिवक्ता के तर्क एवं सबूत के अभाव में आरोपी को बरी करने के आदेश दिए।