अलीगंज,एटा: गौतम बुद्ध इंटर कॉलेज, अलीगंज में लंबे समय से चल रहे अनियमितता और भ्रष्टाचार के आरोपों पर आखिरकार प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए निर्णायक कदम उठाया है। जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह के निर्देश पर विद्यालय प्रबंधक रामगोपाल सिंह पुत्र द्वारिका सिंह, निवासी किला रोड अलीगंज के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है।
प्रशासन की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया कि प्रबंधक द्वारा व्यक्तिगत लाभ के लिए विद्यालय की संपत्ति और संसाधनों का दुरुपयोग किया गया, जिससे संस्था को वित्तीय नुकसान पहुंचा। रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रबंधक ने शैक्षिक उद्देश्य से स्थापित इस संस्था को निजी लाभ का जरिया बना लिया था।
प्रशासन ने जांच में पाया कि रामगोपाल सिंह ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए नियमों की अनदेखी की, और शिक्षा के मंदिर को एक व्यावसायिक अड्डे में तब्दील करने की कोशिश की। जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह ने इस प्रकरण में जीरो टॉलरेंस नीति अपनाते हुए कहा कि शिक्षा संस्थानों में भ्रष्टाचार और मनमानी को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
गौरतलब है कि अग्र भारत समाचार पत्र ने लगातार इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और शासन-प्रशासन का ध्यान इस ओर खींचा। स्थानीय लोगों और छात्र- अभिभावकों की शिकायतों को उजागर करते हुए समाचार पत्र ने इस मुहिम को जन आंदोलन का रूप दिया, जिसका असर अब ज़मीनी कार्रवाई में देखने को मिल रहा है।
क्या है मामला?
गौतम बुद्ध इंटर कॉलेज में कुछ समय से दुकानों के अवैध आवंटन, निर्माण कार्यों में नियमों की अनदेखी, और संस्थागत आय के दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोप लगते रहे हैं। कई शिकायतों और स्थानीय विरोध के बावजूद कार्रवाई नहीं हो पा रही थी, लेकिन जिलाधिकारी के संज्ञान में आने के बाद मामले ने रफ्तार पकड़ी।
अब आगे क्या?
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, अब प्रकरण की विस्तृत जांच की जाएगी और अगर अन्य लोग भी इस भ्रष्टाचार में संलिप्त पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ भी सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, विद्यालय के वित्तीय दस्तावेज़ों की ऑडिट कराई जा सकती है।
दुकान खरीदारों की बढ़ी मुश्किलें, आवंटन पर मंडराया संकट
गौतम बुद्ध इंटर कॉलेज परिसर में बनाई गई दुकानों के खरीदारों की मुश्किलें अब और बढ़ गई हैं। एफआईआर दर्ज होने के बाद प्रशासन ने सभी निर्माण और आवंटन प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने निर्धारित दर पर दुकानें खरीदने के लिए आवेदन किया था, लेकिन अब पूरी प्रक्रिया ही सवालों के घेरे में आ गई है।
इन दुकानों के निर्माण और आवंटन को लेकर पहले ही पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे थे, अब एफआईआर के बाद यह तय माना जा रहा है कि जांच पूरी होने तक कोई भी खरीदार वैध स्वामित्व का दावा नहीं कर सकेगा। कई खरीदारों ने अग्र भारत संवाददाता से बातचीत में चिंता जताई कि अगर मामला लंबा खिंचा, तो उनका पैसा और समय दोनों बर्बाद हो जाएंगे।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
विद्यालय से जुड़े अभिभावकों और क्षेत्रीय लोगों में इस कार्रवाई के बाद राहत की लहर है। लोगों ने अग्र भारत की पत्रकारिता की सराहना करते हुए कहा कि अगर मीडिया अपनी भूमिका निभाए, तो भ्रष्टाचार का खात्मा किया जा सकता है।