एटा,जैथरा। ट्रैक्टर-ट्राली पर सवारियां ले जाना एक गंभीर खतरा माना जाता रहा है, लेकिन प्रशासन की खामोशी हादसे को न्योता दे रही है। जैथरा थाना क्षेत्र की सड़कों पर आए दिन ट्रैक्टर-ट्रालियां तेज रफ्तार में दौड़ती नजर आती हैं, जिनकी ट्रॉलियों पर भारी सामान के साथ सवारियां भी बैठी होती हैं।
थाना क्षेत्र के गांव कसा का 24 फरवरी 2024 का दर्दनाक हादसा शायद ही अभी कोई भूल पाया होगा। यह लापरवाही उसी त्रासदी की याद दिलाती है, जब गंगा स्नान के लिए जाते वक्त एक ट्रैक्टर-ट्राली पलट गई थी। इस हादसे में 24 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। यह घटना पूरे प्रदेश के लिए एक बड़ी चेतावनी बनी थी। इसके बाद प्रशासन ने ट्रैक्टर-ट्राली में सवारियां ले जाने पर सख्त प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।
हालांकि, प्रतिबंध और दिशा-निर्देशों के बावजूद जैथरा क्षेत्र में ट्रैक्टर-ट्रालियों में सवारियां ढोने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रशासनिक सख्ती केवल कागजों तक सीमित है।
ट्रैक्टर-ट्रालियां गांवों से लेकर शहरों तक फर्राटा भर रही हैं। इन ट्रालियों पर बैठे लोगों की सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं होती है। सवारियां अक्सर ऊंचाई पर बैठी होती हैं, जिससे हादसे का खतरा और बढ़ जाता है।
प्रशासन इन ट्रालियों पर कार्रवाई करने से कतराता है। ट्रैक्टर-ट्राली में भारी भरकम सामान के साथ सवारियां ले जाना और तेज रफ्तार से उन्हें चलाना आम हो गया है। पुलिस और संबंधित विभागों की इस चुप्पी से लोगों की जान जोखिम में है। वहीं प्रबुद्ध वर्ग के लोगों का मानना है, कि ट्रैक्टर-ट्राली का उपयोग केवल कृषि कार्य और माल ढुलाई तक सीमित रखा जाए।
24 फरवरी 2024 के हादसे जैसी घटनाओं की पुनरावृति रोकने के लिए प्रशासन का सख्त रुख, यातायात नियमों का पालन और जागरूकता ही इन दुर्घटनाओं से बचाव का उपाय हो सकता है।