Agra News आगरा: आगरा में अधिवक्ता समाज ने अधिवक्ता अधिनियम में किए गए वकील विरोधी संशोधनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन आगरा सेशन कोर्ट में हुआ, जहां अधिवक्ताओं ने कचहरी परिसर से जुलूस निकाला और फिर एम जी रोड पर नारेबाजी करते हुए अपना विरोध व्यक्त किया। इस मौके पर अधिवक्ता सरोज यादव ने केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी आवाज उठाते हुए कहा कि सरकार की बदनीयत से वकील समाज जागरूक हो चुका है और किसी भी तरह के झांसे में आने वाला नहीं है।
सरकार से संशोधन के बाद ड्राफ्ट को अधिवक्ता समाज के बीच में प्रस्तुत करने की मांग
एडवोकेट सरोज यादव ने प्रदर्शन के दौरान केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार का इरादा अधिवक्ताओं के अधिकारों को कुचलने का है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार आंदोलन के बाद काले कानून को वापस ले रही है, तो उसे वकीलों के हित में संशोधन करना होगा और नए ड्राफ्ट को अधिवक्ता समाज के बीच में विचार करने के लिए प्रस्तुत करना होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि ड्राफ्ट वकीलों के हित में होगा, तभी इसे वकील स्वीकार करेंगे, अन्यथा आंदोलन जारी रहेगा।
अधिवक्ताओं के अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता
एडवोकेट यादव ने कहा कि वकील समाज लंबे समय से एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार इस पर गंभीर नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार उल्टा काले कानूनों को लागू करके वकीलों के संवैधानिक अधिकारों को कुचलने की कोशिश कर रही है, जिसे अधिवक्ता समाज बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा।
उत्तर प्रदेश में हापुड़ लाठीचार्ज की घटना और सरकार का वादा
एडवोकेट यादव ने उत्तर प्रदेश में हापुड़ लाठीचार्ज की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि उस समय प्रदेश सरकार ने अधिवक्ताओं को एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने का भरोसा दिया था, लेकिन सरकार ने अब तक उस भरोसे पर खरा उतरने का कोई कदम नहीं उठाया। इससे अधिवक्ता समाज में आक्रोश है और उन्होंने साफ कहा कि सरकार द्वारा दिए जा रहे भरोसों के झांसे में आकर अधिवक्ता समाज आंदोलन के रास्ते से कदम पीछे नहीं हटाएगा।
आंदोलन जारी रहेगा अगर सरकार अधिवक्ताओं के हित में कदम नहीं उठाती
एडवोकेट सरोज यादव ने यह भी कहा कि अगर केंद्र और प्रदेश सरकार अधिवक्ता समाज के हित में कोई बिल नहीं लाती है, तो सरकार को वकीलों के विरोध का सामना करना पड़ेगा, जिसके परिणाम गंभीर होंगे। उन्होंने वकीलों से एकजुट होकर इस आंदोलन को और तेज करने का आह्वान किया और कहा कि सरकार को अब यह समझना होगा कि अधिवक्ता समाज अपने अधिकारों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।