हाईकोर्ट खण्डपीठ स्थापना की दिशा में कदम बढ़ाने की योजना
जनमंच द्वारा आयोजित बैठक में अधिवक्ताओं ने सरकार से आग्रह किया कि जस्टिस जसंवत सिंह आयोग की रिपोर्ट के आधार पर आगरा में हाईकोर्ट खण्डपीठ की स्थापना की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए। रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा गया है कि आगरा की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए यहाँ हाईकोर्ट खण्डपीठ स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि उत्तर प्रदेश के लोगों को सस्ता और सुलभ न्याय मिल सके।
बैठक में इस विषय पर गहन चर्चा की गई और तय किया गया कि 7-8 दिसंबर 2024 को आगरा के दोनों सांसदों से मुलाकात की जाएगी। इस मुलाकात में अधिवक्ता सांसदों से आग्रह करेंगे कि वे संसद के शीतकालीन सत्र में हाईकोर्ट खण्डपीठ के प्रस्ताव को पारित करने के लिए सरकार पर दबाव डालें।
आन्दोलन की रणनीति
जनमंच ने अपने समर्थकों से अपील की है कि वे इस संघर्ष में सक्रिय रूप से भाग लें। संगठन ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों जगह एक ही राजनीतिक दल की सरकारें हैं, इसलिए यह समय हाईकोर्ट खण्डपीठ की स्थापना के लिए सबसे उपयुक्त है। अगर इस बार भी यह प्रस्ताव संसद में पारित नहीं हुआ, तो उत्तर प्रदेश के लोगों और अधिवक्ताओं को इस मुद्दे के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ेगा।
अधिवक्ताओं की पूरी ताकत एकजुट
जनमंच की इस बैठक में आगरा के विभिन्न अधिवक्ताओं ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जनमंच के अध्यक्ष चौधरी अजय सिंह ने की, जबकि संचालन पवन कुमार गुप्ता ने किया। इस बैठक में आगरा एडवोकेट एसोसिएशन के महामंत्री फूल सिंह चौहान, पी.पी. सक्सैना, महेश बाबू गौतम, सारस्वत, प्रदीप कुमार, महिला अधिवक्ता पूजा यादव, वीरेन्द्र फौजदार, गिर्राज रावत, जीतेन चौहान, दिलीप फौजदार, नवल सिंह, और अन्य प्रमुख अधिवक्ता उपस्थित रहे।
आगरा के जनप्रतिनिधियों को साथ लाने का संकल्प
जनमंच ने अपने अभियान में आगरा के सभी जनप्रतिनिधियों को साथ लाने का संकल्प लिया है। संगठन ने कहा कि हाईकोर्ट खण्डपीठ की स्थापना से न केवल आगरा, बल्कि उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों के नागरिकों को भी न्याय के लिए लंबा सफर तय नहीं करना पड़ेगा।
आगरा में हाईकोर्ट खण्डपीठ की स्थापना के लिए अधिवक्ताओं का यह आंदोलन और भी तेज होता जा रहा है। जनमंच और अधिवक्ताओं का कहना है कि यह समय है जब सभी को एकजुट होकर इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर कदम उठाने चाहिए। अगर इस बार भी सरकार ने इस मुद्दे पर संजीदगी से विचार नहीं किया तो अधिवक्ता भविष्य में और भी कठोर कदम उठाने के लिए तैयार हैं।