आगरा: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हाईकोर्ट बेंच की स्थापना की लंबे समय से चली आ रही मांग को लेकर आगरा के अधिवक्ता अब राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से मिलने की तैयारी कर रहे हैं. खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति के संयोजक और युवा अधिवक्ता संघ आगरा मंडल के अध्यक्ष अरुण सोलंकी के नेतृत्व में अधिवक्ताओं का एक प्रतिनिधिमंडल हाल ही में राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन से मिला.
राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और मांग का इतिहास
खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति के प्रवक्ता नितिन वर्मा ने बताया कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता कई सालों से इस मांग को उठा रही है, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण यह अभी तक संभव नहीं हो पाया है. उन्होंने जोर दिया कि आगरा में इस समय दो राज्यसभा और दो लोकसभा सांसद हैं, और यदि संसद के दोनों सदनों में पूरी राजनीतिक शक्ति के साथ इस मांग को रखा जाए, तो सफलता मिल सकती है.
सांसद रामजीलाल सुमन का समर्थन
सांसद रामजीलाल सुमन ने अधिवक्ताओं के प्रतिनिधिमंडल को बताया कि उन्होंने पहले भी राज्यसभा में सरकार से इस मुद्दे पर सवाल किया था. तब विधि मंत्री ने जवाब दिया था कि सरकार बेंच की स्थापना पर विचार कर रही है, लेकिन मेरठ और आगरा के बीच इस पर विवाद है. हालांकि, जस्टिस जसवंत सिंह आयोग ने आगरा में खंडपीठ स्थापित करने की सिफारिश की थी.
सांसद सुमन ने अधिवक्ताओं को आश्वासन दिया कि वह मानसून सत्र में इस मामले को फिर से सरकार के समक्ष उठाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि यदि संभव हुआ तो वह अधिवक्ताओं को साथ लेकर राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति महोदय से मिलेंगे. इसके अतिरिक्त, वह जनता को जागरूक करने के लिए आसपास के सभी जिलों में सभाएं भी आयोजित करेंगे.
उपस्थित प्रतिनिधिमंडल
इस प्रतिनिधिमंडल में संयोजक अरुण सोलंकी, युवा अधिवक्ता संघ के मंडल अध्यक्ष, खंडपीठ स्थापना संघर्ष समिति के प्रवक्ता नितिन वर्मा के साथ-साथ सिकंदर सेहरा, अतुल कर्दम, देव गौतम, वीरेंद्र पाल सिंह, सुरेंद्र सिंह, प्रमोद कुमार, जय सक्सेना, राजेंद्र प्रसाद और मनीष अग्रवाल (जॉली एडवोकेट) शामिल थे.