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14 साल बाद उपभोक्ता आयोग ने उपभोक्ता को दिलाई क्लेम की धनराशि, 4,43,048 रुपये का चेक सौंपा

MD Khan
3 Min Read

आगरा: 14 वर्षों के संघर्ष के बाद, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम ने वादी को 4,43,048 रुपये का एकाउंट पेई चेक सौंपकर राहत प्रदान की। यह फैसला उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ है। मामले में वादी मनोहर सिंह को इंश्योरेंस क्लेम के तहत लंबी अवधि के बाद उनकी धनराशि प्राप्त हुई है।

मामला क्या था?

मनोहर सिंह, निवासी हाथरस, 5 अगस्त 2008 को अपने मरीज को आगरा में डॉक्टर को दिखाने के लिए आए थे। इस दौरान उनकी बुलेरो गाड़ी चोरी हो गई। घटना के बाद उन्होंने न्यू आगरा थाना में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई। चूंकि उनका वाहन ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी से बीमित था, उन्होंने इंश्योरेंस क्लेम के लिए आवेदन किया। लेकिन, कंपनी ने उनका क्लेम खारिज कर दिया, जिसके बाद मनोहर सिंह ने उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज कराई।

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उपभोक्ता आयोग का आदेश

वर्ष 2010 में उपभोक्ता आयोग प्रथम ने वादी मनोहर सिंह को उनका क्लेम दिलाने का आदेश दिया था। लेकिन, कंपनी द्वारा आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। इस पर, जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग प्रथम के अध्यक्ष सर्वेश कुमार ने कंपनी के खिलाफ सख्त कदम उठाया। उन्होंने इंश्योरेंस कंपनी से राशि जमा करने के लिए कहा, जिसके बाद कंपनी ने आयोग में राशि जमा कराई।

क्लेम की धनराशि का वितरण

आखिरकार, 14 वर्षों के बाद, उपभोक्ता आयोग ने वादी को उनका हक दिलाते हुए 4,43,048 रुपये का एकाउंट पेई चेक सौंपा। यह कदम उपभोक्ता न्याय के प्रति आयोग की प्रतिबद्धता को दर्शाता है और यह भी साबित करता है कि न्याय मिलने में देर हो सकती है, लेकिन अंततः सही व्यक्ति को उसका हक मिलता है।

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आयोग की भूमिका और सख्ती

इस मामले में उपभोक्ता आयोग का महत्वपूर्ण योगदान था, जिसने न्याय दिलाने में सख्ती दिखाई। आयोग के अध्यक्ष सर्वेश कुमार की पहल के कारण वादी को उनका लंबित क्लेम मिल पाया। इस फैसले से यह संदेश जाता है कि यदि किसी उपभोक्ता के साथ अन्याय हो रहा हो, तो वह आयोग में अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है और उसे न्याय मिल सकता है।

उपभोक्ता अधिकारों का संरक्षण

यह मामला उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण और सख्त कानूनी कार्रवाई की अहमियत को उजागर करता है। उपभोक्ता आयोग ने यह सिद्ध कर दिया कि भले ही किसी मामले में देरी हो, लेकिन सही न्याय मिलेगा और उपभोक्ता के अधिकारों का सम्मान किया जाएगा।

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मनोहर सिंह को 14 वर्षों के बाद क्लेम की राशि मिलना न केवल उनकी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि यह उपभोक्ताओं के लिए एक प्रेरणा का काम करेगा कि वे अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करें और किसी भी प्रकार के अन्याय का सामना करने के बाद कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।

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