25 साल बाद बरी हुआ, टी सीरीज की नकली कैसेट बनाने का था आरोप; भारी मात्रा में नकली कैसेट, रिकॉर्डिंग मशीन आदि हुई थी बरामद

MD Khan
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■ कॉपी राइट एक्ट का आरोपी 25 साल बाद हुआ बरी
■ सुपर कैसेट इंडस्ट्रीज नोएडा के एरिया मैनेजर ने की थी शिकायत

टी सीरीज की नकली कैसेट बनाने और विक्रय करने के आरोप में 25 साल बाद आरोपी को बरी कर दिया गया। सीजेएम अचल प्रताप सिंह ने आरोपी कृष्ण मुरारी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। इस मामले में सुपर कैसेट इंडस्ट्रीज नोएडा के एरिया मैनेजर ने शिकायत की थी कि उनके ब्रांड टी सीरीज की नकली कैसेट बनाई जा रही हैं।

मामले की शुरुआत

यह मामला 27 फरवरी 1999 का है, जब सुपर कैसेट इंडस्ट्रीज नोएडा के एरिया मैनेजर ने थाना न्यू आगरा में शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया था कि फ्रेंड्स विहार कॉलोनी, न्यू आगरा में एक अवैध कारोबार चल रहा है, जिसमें टी सीरीज की नकली कैसेट बनाई जा रही हैं और उन्हें विक्रय किया जा रहा है।

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पुलिस कार्रवाई

इस शिकायत के आधार पर तत्कालीन एसआई धर्मपाल सिंह ने मय पुलिस बल के आरोपी के ठिकाने पर छापा मारा। पुलिस ने मौके से कई पिक्चर्स की नकली कैसेट, सीडी, रिकॉर्डिंग मशीन और टी सीरीज के रैपर के अलावा हजारों खाली कैसेट भी बरामद कीं। इसके बाद आरोपी कृष्ण मुरारी को हिरासत में लिया गया और उसके खिलाफ कॉपी राइट एक्ट के तहत कार्रवाई शुरू की गई।

25 साल बाद आया फैसला

मामले की सुनवाई 25 साल तक चलने के बाद, अभियोजन पक्ष एक भी गवाह अदालत में पेश नहीं कर सका। अभियोजन पक्ष की विफलता के बाद सीजेएम अचल प्रताप सिंह ने साक्ष्य के अभाव में आरोपी कृष्ण मुरारी को बरी करने के आदेश दिए। आरोपी के अधिवक्ता नवकांत सिंह सेंगर ने अदालत में यह तर्क प्रस्तुत किया कि अभियोजन पक्ष ने कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं किए और सभी आरोपों का कोई प्रमाण नहीं था।

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आरोपी के खिलाफ आरोप

आरोपी पर आरोप था कि उसने टी सीरीज की नकली कैसेट बनाई और उन्हें बेचने का अवैध धंधा किया। पुलिस ने आरोपी के पास से कई पिक्चर्स की नकली कैसेट, सीडी, रिकॉर्डिंग मशीन और अन्य साक्ष्य बरामद किए थे। हालांकि, इतने सालों के बाद अदालत में इन साक्ष्यों का कोई प्रभावी प्रमाण नहीं पेश किया जा सका, जिससे आरोपी को बरी कर दिया गया।

साक्ष्य के अभाव में बरी किया गया आरोपी

कोर्ट ने मामले के साक्ष्य की गंभीरता पर विचार करते हुए अभियोजन पक्ष की विफलता को ध्यान में रखते हुए आरोपी को बरी करने का आदेश दिया। आरोपी कृष्ण मुरारी के खिलाफ आरोप तो साबित नहीं हो सके, लेकिन 25 साल बाद न्यायालय का फैसला आने पर यह केस एक मिसाल बन गया है।

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