टीएफआई की मान्यता खत्म होने के बाद मठाधीश बिलबिला रहे, तानाशाह एवं इन अधर्मियों का वजूद हो रहा ख़त्म…!

लखनऊ ब्यूरो
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मठाधीशों ने अपना वजूद ख़त्म होता देख चरण वंदन और चाटु कारिता की कहानी एक बार फिर शुरू की

अब मठाधीशों की चरण वंदन से नहीं गलेगी दाल, इनके झूठ, फरेब और अय्याशियों की जानकार जग जाहिर

देश में खेल एवं खिलाड़ियों के हितैषी किसी क़ीमत पर नहीं आएंगे झांसे में, अब इनकी नांव में हो चुका है छेद

प्रदीप कुमार रावत

Agra News : भारतीय ओलंपिक संघ में कुछ बड़ा होने जा रहा है, देश के खेल संघों की रीड कहीं जाने वाली आईओए पिछले कुछ समय से विवादों और सुर्खियों में है। एक धड़ा आईओए की अध्यक्ष पीटी उषा को बिल्कुल नहीं सुहाता, जब से उड़न परी पीटी ऊषा भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष बनी हैं, तभी से उन्हें गुमराह कर उनके कंधे पर बंदूक रखकर लगातार निशाना साधा जा रहा है। कई ऐसे काम किए गए हैं जो अध्यक्ष पीटी ऊषा की जानकारी में ही नहीं थे। उन्हीं में से एक है ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ इंडिया की मान्यता का प्रकरण। आईओए की होने वाली विशेष जीएम की बैठक जो कि 25 अक्टूबर को होनी थी अब वह 10 नवंबर को होगी। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इससे पूर्व ही बड़ा धमाका हो सकता है।

उधर, ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (आर डी मंगेशकर गुट ) की मान्यता रद्द होने के बाद घमासान मचा हुआ है। फेडरेशन के उपाध्यक्ष, संयुक्त सचिव एवं कोषाध्यक्ष एवं अन्य पदाधिकारी एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं, लेकिन अब मामला हाथ से निकल चुका है। सूत्रों की मानें तो ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया का नामो निशां ही खत्म हो जाएगा, टीएफआई के खत्म होते इनके मठाधीश भी जमीदोज हो जाएंगे। गोवा, बेंगलुरु, असम, उड़ीसा हो या उत्तर प्रदेश जहां-जहां इनके मठाधीश बैठे हुए हैं। वहां- वहां उनसे उनकी सत्ता जाना सुनिश्चित है। यही कारण है कि यह लोग अब बौखलाए हुए हैं, अब इनकी रातों की नींद और दिन का चैन उड़ चुका है। सोशल मीडिया पर जमकर चर्चाएं हो रही हैं, एक दूसरे को नीचा दिखाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

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देश के एथलीट्स और उनके प्रशिक्षक ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया( मंगेशकर गुट ) के मठाधीशों की दबंगई एवं उनकी गुंडागर्दी खत्म होने के बाद चैन की सांस ली है। यह वही मठाधीश थे जिन्होंने अपने गुट के ही ख़ास व्यक्ति और झारखंड के महासचिव कमलेश कुमार पांडे की पीठ में खंजर भौंक कर उन्हें दूध में से मक्खी की तरह बाहर निकाल दिया था। यह वही कमलेश कुमार पांडे हैं जो कभी झारखंड के धनबाद में प्रभात कुमार शर्मा गुट के धुर विरोधी थे। आरडी मंगेशकर गुट के मठाधीशों ने कमलेश कुमार पांडे को धमकी तक दी थी, धमकी और किसी ने नहीं बल्कि मंगेशकर, संतोष मोहंती और बलात्कार के आरोपी एवं असम के दबंग महासचिव एल सुकून सिंह ने दी थी।

यही कमलेश पांडे थे जिन्होंने आर डी मंगेशकर, टी. प्रवीण कुमार, संतोष मोहंती, एल.सुकून सिंह एवं इनकी पूरी मण्डली का 2022 तक आँख बंद कर साथ दिया था, लेकिन इन्हें आईओए से मान्यता किया मिली, लोगों ने सबसे पहले अपने ही विशेष एवं खास लोगों की पीठ में खंजर घोंपा। मंगेशकर की पूरी मंडली को खिलाड़ियों के साथ-साथ कहीं न कहीं कमलेश कुमार पांडे की दिल से निकली हुई आह भी इन्हें ले डूबी है।

अब इस काले अध्याय में कुछ बचा नहीं है, यह लोग पूरी तरह खत्म हो चुके हैं। उनकी बौखलाहट से पता चलता है कि अब इनका कोई नाम लेने वाला भी नहीं रहेगा। सूत्र बताते हैं कि लखनऊ से लेकर दक्षिण के शिक्षा माफिया तक अब ताइक्वांडो के एक मसीहा को लगातार फोन कर रहे हैं। यह उस मसीहा से कह रहे हैं कि हमसे बहुत बड़ी गलती हो गई, हमें माफ कर दें।

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यहां बताना आवश्यक हो जाता है किइंडिया ताइक्वांडो के नाम से भी एक सफेद पोश संस्था चला रहा है, जो कभी भारतीय ओलंपिक समिति द्वारा गठित की गई एडहॉक कमेटी का चेयरमैन था, फर्जीवाड़ा कर खुद ही उस पर काबिज ही नहीं हुआ बल्कि वर्ल्ड ताइक्वांडो से भी मान्यता लेकर आ गया। इस मामले में भी एक बड़ा खेल होने जा रहा है। सूत्रों की मानें तो आईओए से लेकर वर्ल्ड ताइक्वांडो तक को यह जानकारी पहुंच चुंकी है कि आख़िर इंडिया ताइक्वांडो पर काबिज़ व्यक्ति किस तरीके से स्वयंभू बन बैठा। वर्ल्ड ताइक्वांडो ही नहीं बल्कि दिल्ली हाई कोर्ट और आईओए भी इस मामले में अनभिज्ञ नहीं है। जल्द ही इस प्रकरण का भी पटाक्षेप हो सकता है।

सूत्रों की मानें तो जिस व्यक्ति ने 2015 में तानाशाही और मठाधीशी के खिलाफ बिगुल बजाया था, और तत्कालीन टीएफआई अध्यक्ष हरीश कुमार को सत्ता से बेदखल कर ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया में भूचाल ला दिया था और नए युग की शुरुआत हुई थी। यही आरडी मंगेशकर, टी. प्रवीण कुमार, एल सुकून सिंह, संतोष मोहंती ही थे जो आईओ ए भवन में पहुंचकर हर्षित हो रहे थे, खुशियां मना रहे थे। लेकिन इनके अंदर ही अंदर क्या चल रहा था यह प्रभात कुमार शर्मा नहीं जानते थे। इन्होंने प्रभात कुमार शर्मा के महासचिव बनते ही एक नई राजनीति शुरू कर दी और नए विवाद को जन्म दे दिया। यह इसलिए था क्योंकि इन्हें सत्ता की चाबी चाहिए थी। प्रभात कुमार शर्मा ने इन सभी अधर्मियों से कहा था कि सभी लोग मिलकर ताइक्वांडो को आगे बढ़ाने के साथ साथ खिलाड़ियों के हित में काम करेंगे लेकिन आरडी मंगेशकर एंड कंपनी को तो सत्ता की चाबी चाहिए थी, इसलिए विद्रोह किया और प्रभात कुमार शर्मा के खिलाफ षडयंत्र कर राज्य संघों को भड़काने का काम शुरू कर दिया। यह सिलसिला 2022 तक चला और 2022 में आरडी मंगेशकर एन्ड कंपनी ने आईओए के साथ साथ भारत सरकार के खेल मंत्रालय से भी मान्यता ले ली। लेकिन यह लोग अपनी हठधर्मिता, तानाशाही और खिलाड़ियों को दुधारू गाय समझ कर मनमानी करते रहे और इनके झूठ की बुनियाद पर खड़ी की गई इमारत एक ही दिन में तिनके की तरह ढह गई। अब लखनऊ की रेवड़ी से लेकर गोवा के वह वकील साहब जो सुरा में हमेशा मदहोश रहते हैं और उड़ीसा, असम के अय्याश एवं तानाशाह बिल बिला रहे हैं क्योंकि अब उन्हें उनका वजूद खत्म होता दिखाई दे रहा है।

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ताइक्वांडो फेडरेशन ऑफ़ इंडिया के इन सभी मठाधीशों ने खिलाड़ियों को मोहरा बनाकर षड्यंत्र रचा और खुद ही अपने चक्रव्यूह में ऐसे फंसे कि नेस्तनाबूत होते दिखाई दे रहे। किसी ने सही कहा है जिनके घर शीशे के होते हैं उन्हें दूसरों के घरों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए। लेकिन दूसरों के घरों में पत्थर फेंकने वाले भूल जाते हैं कि उनका घर भी शीशे का ही बना है। बहरहाल, पूरे देश में चर्चाओं का दौर है। मठाधीश बिल से निकल कर बिलबिला ही नहीं रहे चीत्कार मचा रहे हैं। देखना होगा कि आईओए और ताइक्वांडो का मसीहा कौन बनता है, भारतीय ओलंपिक संघ और ताइक्वांडो का खेवनहार कौन बनेगा।

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