लखनऊ। प्रयागराज में अतीक-अशरफ की हत्या के बाद सर्विलांस पर लिए गए तीन हजार मोबाइल फोन अचानक बंद हो गए। उमेश पाल की हत्या के मामले में फरार शूटरों और मददगारों की तलाश के लिए इन नम्बरों को सर्विलांस पर लेकर सुराग जुटा रही थी। अतीक-अशरफ की हत्या के बाद दूर दराज के रिश्तेदार व सम्पर्क में रहने वाले अब दहशत में आ गए हैं। एक साथ इतने सारे मोबाइल नम्बर ऑफ हो जाने से जांच भी प्रभावित हो रही है। हालांकि कॉल डिटेल के आधार पर एसटीएफ ने अब मुखबिरों की मदद फिर से लेना शुरू कर दिया है।
24 फरवरी को उमेश पाल की हत्या के बाद एसटीएफ ने असद, गुलाम, अरमान और साबिर व शाइस्ता को ढूंढ़ने के लिये पांच हजार से अधिक मोबाइल नम्बर सर्विलांस पर ले रखे थे। इससे एसटीएफ को कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी मिली थी। इसी के बाद एसटीएफ दिल्ली में तीन मददगारों तक पहुंची थी। इन मददगारों से ही असद व गुलाम की लोकेशन मिली थी। फिर इन लोगों का अजमेर से पीछा करते हुए झांसी में एसटीएफ ने दोनों को घेर लिया था। मुठभेड़ में दोनों मार गिराए गए थे। इसके बाद ही 15 अप्रैल को प्रयागराज में रिमांड अवधि में माफिया अतीक व अशरफ की सरेआम हत्या कर दी गई। इस घटना से पूरा प्रयागराज और अंडरवर्ल्ड दहल गया था।
एसटीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि अतीक व अशरफ की हत्या के बाद तीन दिन में एक-एक कर करीब तीन हजार मोबाइल नम्बर स्विच ऑफ हो गए। यही नहीं इनमें से ज्यादातर लोग अपने घरों से भी चले गए। एसटीएफ का कहना है कि अचानक नम्बरों के बंद होने से कई लोग रडार पर थे जिनके बारे में सब कुछ जानते हुए भी उन पर हाथ नहीं डाला जा रहा था। ऐसा इसलिये किया जा रहा था कि शायद इनके सम्पर्क में कोई आरोपित आ जाये तो उस तक पहुंचा जा सके।
एसटीएफ और प्रयागराज पुलिस ने लखनऊ, प्रयागराज, दिल्ली, बाराबंकी, कानपुर, गाजियाबाद, नोएडा, अजमेर, शाहजहांपुर, झांसी, हरदोई, बरेली, सहारनपुर, पटना, रांची, रायपुर समेत 22 जिलों के ये नम्बर स्विच ऑफ हुए हैं। इनमें कुछ मोबाइल नम्बर कुछ दूसरे माफिया गिरोहों से जुड़े लोगों के भी थे। हालांकि अतीक-अशरफ की हत्या के बाद एसटीएफ ने कुछ और नम्बरों को सर्विलांस पर लिया है।