आगरा।आगरा के बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात बाबुओं द्वारा मनमाने तरीके से भ्रष्टाचार और अवैध कार्यों को अंजाम देने की शिकायत सामने आई हैं। यह बाबू अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके उच्चाधिकारियों की मदद से नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, जिसमें उन्हें कोई डर नहीं है, चाहे वे पहले किसी कार्रवाई का सामना कर चुके हों।विशेष रूप से, फतेहाबाद ब्लॉक के बीआरसी पर कनिष्ठ लिपिक के पद पर तैनात एक बाबू को नियमों के खिलाफ जिले पर तैनाती दी गई। इस बाबू ने अपने प्रभाव का उपयोग करके विभिन्न अवैध कार्यों को अंजाम दिया। भ्रष्टाचार और रिश्वत की शिकायत पर उसे एंटी करप्शन टीम ने रंगे हाथों पकड़ा था, लेकिन जेल से छूटने के बाद भी उसे जिले पर तैनाती मिल गई और वह फिर से भ्रष्ट गतिविधियों में लिप्त हो गया।
ब्लॉक शमसाबाद के बीच का पुरवां गांव में तैनात सहायक अध्यापिका राखी सिंह को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए बाबू ने आर्थिक लेनदेन करके पूरे आठ वर्ष, आठ माह और आठ दिन के अवैतनिक अवकाश को गुपचुप तरीके से जारी कर दिया। यह अवकाश मानव संपदा पोर्टल पर नहीं डाला गया, जबकि विभागीय नियमों के अनुसार पांच वर्ष से अधिक अवैतनिक अवकाश जारी नहीं हो सकता।
इस बाबू के काले कारनामों को उच्चाधिकारियों का संरक्षण मिला, जिससे उसका विभाग में सिक्का बुलंद होने लगा और वह महत्वपूर्ण कार्यों में अपनी मर्जी चलाने लगा। उच्चाधिकारियों ने भी बाबू और सहायक अध्यापिका पर कार्रवाई की जरूरत नहीं समझी, जिससे विभाग में भ्रष्टाचार को और बढ़ावा मिला।
घर बैठे अध्यापक को जारी हुआ वेतन,कार्यवाही निलंबन तक
यह मामला स्पष्ट रूप से विभागीय भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही का एक उदाहरण है। सहायक अध्यापक शैलेंद्र कुमार सिंह के खिलाफ की गई शिकायतों और उनके निलंबन के बावजूद, वह अवकाश के दौरान भी वेतन प्राप्त करते रहे। इससे यह स्पष्ट होता है कि विभाग के अंदर भ्रष्टाचार और मिलीभगत का खेल चल रहा है।प्राथमिक जांच के बाद, प्रधानाध्यापिका द्वारा की गई शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए शैलेंद्र कुमार सिंह को निलंबित किया गया था। लेकिन, बाद में अवकाश के बाद उनकी बहाली और अनुपस्थित काल का वेतन जारी करने में अनियमितता दिखती है। बीएसए (बेसिक शिक्षा अधिकारी) द्वारा बीईओ (ब्लॉक शिक्षा अधिकारी) जगनेर को जांच के निर्देश दिए गए थे, लेकिन बीईओ द्वारा इसकी जिम्मेदारी दूसरे बाबू विष्णु शर्मा पर डाल दी गई। यह दर्शाता है कि जांच में पारदर्शिता और निष्पक्षता की कमी है।अभी तक दोषी बाबुओं पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है, और शैलेंद्र कुमार सिंह से वेतन की रिकवरी भी नहीं कराई गई है। इससे साफ है कि विभागीय स्तर पर अनुशासन और नियमों का पालन नहीं हो रहा है।