निरीक्षण पर पहुंचे एआरएम से ठेकेदार बोला — “बिना सूचना के कैसे आ गए आप?”
तीन वर्ष के प्रयासों के बाद, मिली स्वीकृति से दो करोड़ चौबीस लाख रुपए की लागत से हो रहा निर्माण
अछनेरा। बस स्टैंड परिसर में चल रहे निर्माण कार्य की पोल उस समय खुल गई जब एआरएम हेमंत तिवारी ने अचानक मौके पर पहुंचकर निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि निर्माण में पुरानी ईंटों और घटिया सामग्री का उपयोग किया जा रहा है।
जब एआरएम ने ठेकेदार से इस पर जवाब मांगा तो ठेकेदार ने उल्टे सवाल दागते हुए कहा—“आप बिना सूचना के निरीक्षण करने कैसे आ गए?” इस टिप्पणी से मौके पर मौजूद अधिकारी भी स्तब्ध रह गए।अचानक हुए निरीक्षण से निर्माण कार्य में चल रही अनियमितताएं उजागर हो गईं। फिलहाल एआरएम हेमंत तिवारी ने मौके पर ही निर्माण कार्य को तत्काल प्रभाव से रोकने के निर्देश दिए हैं। इस पूरे प्रकरण ने विभागीय निगरानी और निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विधायक प्रतिनिधि ने दिखाए कड़े तेवर : निरीक्षण के दौरान एआरएम के साथ विधायक प्रतिनिधि डॉ. रामेश्वर चौधरी भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि बस स्टैंड निर्माण क्षेत्रीय जनता और राहगीरों की सुविधा के लिए कराया जा रहा है, जिसकी स्वीकृति विधायक चौधरी बाबूलाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर दिलाई थी।डॉ. चौधरी ने निर्माण में घटिया सामग्री के उपयोग और लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसी अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने इस मामले को सरकार के संज्ञान में लाने की बात कही। इन अनियमितताओं का जिम्मेदार कौन? बस स्टैंड निर्माण में खुली लापरवाही ने सरकारी कार्यशैली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि जब जनता की सुविधा के लिए स्वीकृत कार्यों में भी इस तरह की घटिया सामग्री और पुरानी ईंटों का प्रयोग हो रहा है, तो जिम्मेदारी तय होनी ही चाहिए।जनता सवाल उठा रही है कि क्या केवल कार्यदायी संस्था ही दोषी है, या फिर विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह सब हो रहा है? परसेंटेज के खेल में सरकारी धन की बंदरबांट का आरोप भी चर्चा में है। अब यह देखना होगा कि क्या लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और ठेकेदार पर कार्यवाही होती है या फिर कार्यदायी संस्था का भुगतान रोककर उसे ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।
