बेसिक शिक्षा विभाग आगरा में जारी हुई चौंकाने वाली तबादला एक्सप्रेस की सूची
आगरा। शासन द्वारा अटैचमेंट पर रोक होने के बावजूद नियम विरूद्ध तरीके से मुख्यालय पर अटैचमेंट पर जमे बाबुओं को एडी बेसिक के कड़े तेवरों के बाद मुख्यालय छोड़ना ही होगा। आपके लोकप्रिय समाचारपत्र अग्र भारत द्वारा जनहित में लगातार चलाई जा रही मुहिम रंग लाई है।
विगत 29 जुलाई को एडी बेसिक ऐश्वर्या लक्ष्मी द्वारा जारी किए गए आदेश एवं सीडीओ प्रतिभा सिंह द्वारा 3 अगस्त को किए गए निरीक्षण के उपरांत बेसिक शिक्षा विभाग में तबादला एक्सप्रेस की सूची शुक्रवार को सार्वजनिक हो गई।
बताया जाता है कि जारी हुई सूची में सबसे चौंकाने वाला नाम उसी विवादित बाबू का था, जो भ्रष्टाचार में गंभीर आरोपों में घिरे होने के बावजूद मुख्यालय पर सबसे महत्वपूर्ण पटल पर जमा हुआ था। जनपद के समस्त शिक्षकों की कुंडली उसके पास रहती थी, जिसका वह जमकर फायदा उठा रहा था। उसके खिलाफ तमाम शिकायतें हुई, इसके बावजूद उच्चाधिकारी उसे अटैचमेंट से हटाने में कतराते रहे।
अग्र भारत द्वारा प्रमुखता से इस मुद्दे को उठाने के बाद बीएसए को बैकफुट पर आना पड़ा। इसी का परिणाम है कि जारी हुई सूची में मुख्यालय से कुल चार बाबुओं को देहात क्षेत्र के ब्लॉक में भेजा गया है।
विभाग के नौ बाबुओं को किया गया इधर से उधर
सूची में सबसे पहला नाम कनिष्ठ सहायक प्रबल दुबे का है जिन्हें सैंया से शमसाबाद, अर्चना सिंह को मुख्यालय से फतेहाबाद, लक्ष्मीकांत दीक्षित को मुख्यालय से अछनेरा, राहुल सक्सेना को मुख्यालय/खंदौली से सैंया, राहुल गुप्ता को मुख्यालय से खंदौली, शिवदत्त दुबे को नगर क्षेत्र से बाहर बरौली अहीर, नरेश नरमा को मुख्यालय से बाह, योगेंद्र कुमार को बाह से मुख्यालय और राजेश कुमार को अछनेरा से मुख्यालय पर नवीन तैनाती दी गई है। समस्त संबंधितों को अपने आवंटित ब्लॉक की बीआरसी पर कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए गए हैं।
भ्रष्टाचार के मामलों से पर्दा उठने की जागी उम्मीद
विभाग में एडी बेसिक ऐश्वर्या लक्ष्मी के कड़े तेवरों की जमकर चर्चा हो रही है। आगरा में कार्यभार ग्रहण करने के कुछ दिन बाद ही उनके द्वारा ताबड़तोड़ निरीक्षण कर विभाग के कार्यालयों में चल रहे हालातों को परखा, जिसके बाद उनके द्वारा अटैचमेंट के खेल पर चलाया गया चाबुक बेहद ही कारगर साबित होगा।
जिन बाबुओं पर मुख्यालय पर अटैचमेंट पर तैनात किया गया था, उनके खिलाफ लगातार शिकायतें हो रही थीं। जो बाबू भ्रष्टाचार में जेल जा चुका था, उसी को विभाग का सुपर पावर बना दिया गया। सारे महत्वपूर्ण कार्य उसी के इशारे पर होने लगे। सूत्रों के अनुसार विभाग में चल रही गुटबाजी भी अपना रंग दिखा रही है। धड़ों में बंट चुके बाबू शह मत के खेल में जुटे हैं।