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आगरा: जर्जर पटरियों के भरोसे टेल तक पानी पहुंचाने के दावे, सफाई में अनियमितताएं उजागर

Dharmender Singh Malik
4 Min Read
आगरा: जर्जर पटरियों के भरोसे टेल तक पानी पहुंचाने के दावे, सफाई में अनियमितताएं उजागर

आगरा: जिले में सिंचाई विभाग के दावों की पोल एक बार फिर खुलने लगी है। विभागीय अधिकारियों की लापरवाही और ठेकेदारों की मिलीभगत से नहरों की सफाई का मामला फिर से चर्चा में है। गूगल मैप से खींची गईं ताजातरीन तस्वीरों में सिंचाई नहरों की जर्जर हालत साफ नजर आ रही है, जिसके चलते टेल (अंतिम इलाकों) तक पानी पहुंचाने के दावे सवालों के घेरे में आ गए हैं।

नहरों की सफाई में अनियमितताएं

जनपद की प्रमुख नहरों की स्थिति बेहद खराब बताई जा रही है। किरावली तहसील के दूरा माइनर, देवनारी माइनर, चैंकोरा माइनर, जाजऊ रजवाहा, गोपऊ माइनर जैसी छोटी नहरों की सफाई के नाम पर केवल घास छीलने तक ही काम सीमित था। इन नहरों की सफाई में बुनियादी तौर पर किसी भी प्रकार की मरम्मत या सुधार नहीं किया गया, जबकि विभागीय दावों के मुताबिक 31 अक्टूबर तक सफाई होनी चाहिए थी।

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गूगल मैप की खींची गई तस्वीरें नहरों में जलकुंभी, कचरा और जर्जर पटरियों को उजागर कर रही हैं। इस हालत में यदि नहरों को पानी छोड़ने का प्रयास किया गया, तो पानी के गंतव्य तक पहुंचने की संभावना बहुत कम नजर आ रही है।

ठेकेदारों और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत

सूत्रों के अनुसार, सिंचाई विभाग में रसूखदार ठेकेदारों का वर्चस्व है, जो ठेकेदारों से मिलीभगत करके अपनी मनमानी कर रहे हैं। वर्क ऑर्डर में साफ-सफाई के लिए भारी बजट आवंटित होने के बावजूद, ठेकेदार केवल दिखावे के लिए सफाई कर रहे हैं। इस दौरान विभागीय अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया, जिसके कारण नहरों की असल सफाई का काम अधूरा रहा।

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प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता

इन अनियमितताओं के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता जारी है। प्रशासन ने नहरों की सफाई के लिए किसी भी मौके पर निरीक्षण करने की आवश्यकता महसूस नहीं की। किसान नेताओं ने इस मामले को लेकर कमिश्नर ऋतु माहेश्वरी से शिकायत की थी, और उन्होंने 10 दिन में जांच रिपोर्ट देने के आदेश दिए थे, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने उन्हें दरकिनार कर दिया।

कमिश्नर के आदेशों की अनदेखी

कमिश्नर के दिशा-निर्देशों की कोई गंभीरता से पालन नहीं हुआ। किसी भी अधिकारी पर कोई जवाबदेही नहीं बन पाई, और नहरों की सफाई में हुई अनियमितताओं पर विभाग ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया।

किसानों का पानी नदियों में बहाया जा रहा है

इस बीच, ओखला बैराज से आने वाला पानी यमुना नदी में छोड़ा जा रहा है, जबकि एफएस ब्रांच और जोधपुर झाल के पानी को दौलताबाद एस्केप और कीठम एस्केप में प्रवाहित किया जा रहा है। इससे किसानों को खेतों की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल पा रहा है।

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किसानों की समस्याएं बढ़ी

किसानों को सिंचाई के लिए पानी की दरकार है, लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते वे अपना पानी नहरों में नहीं पा रहे हैं। सिंचाई विभाग की यह लापरवाही किसानों के लिए मुश्किलें बढ़ा रही है, खासकर पलेवट (खेतों की सिंचाई) के समय में।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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