मानकों को ताक पर रखकर कृषि भूमि पर बन रही व्यावसायिक कॉलोनी
आगरा/बिचपुरी। आगरा से जयपुर हाइवे स्थित गांव मिढ़ाकुर में मुगलकालीन कोस मीनार के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है। पुरातत्व संरक्षण विभाग के अधीन कोस मीनार के निर्धारित दायरे में दबंग कॉलोनाइजर द्वारा डंके की चोट पर अवैध कॉलोनी का निर्माण किया जा रहा है।
बताया जाता है कि इस संबंध में आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज हुई है। शिकायतकर्ता के अनुसार पुरातात्विक ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण के तहत इनके निर्धारित 100 मीटर के दायरे में कोई भी निर्माण अवैध होता है। इसके बाद 200 मीटर के दायरे में अनुमति प्राप्त करने के उपरांत ही शर्तों के आधार पर निर्माण हो सकता है। जबकि मिढ़ाकुर में स्थित कोस मीनार के सामने दबंग कॉलोनाइजर द्वारा नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
लगभग 12 बीघा कृषि भूमि में कोस मीनार के ठीक सामने लगभग 40-50 मीटर की दूरी पर कॉलोनी का धड़ल्ले से निर्माण हो रहा है। कॉलोनी में प्लॉट बेचने हेतु रोजाना खरीदारों को बुलाया जा रहा है। उक्त कॉलोनी का एडीए से मानचित्र स्वीकृत नहीं कराया गया है। इसके बावजूद निवेशकों को गुमराह किया जा रहा है। कॉलोनी का निर्माण पूर्ण होने के उपरांत कोस मीनार की प्रासंगिकता काम हो जाएगी। शिकायतकर्ता द्वारा संबंधित विभाग से कार्रवाई की मांग की गई है।
गूगल मैप का कार्य करती थी कोस मीनार
मुगल शासक अकबर द्वारा राहगीरों को स्थान एवं दूरी से अवगत कराने हेतु प्रत्येक कोस पर कोस मीनार का निर्माण कराया गया था। आगरा से अजमेर और लाहौर तक कोस मीनारों का निर्माण हुआ था। कालांतर में अग्रेजों के शासन में कोस मीनारों की प्रासंगिकता कम हो गई।
कोस मीनार के सामने कॉलोनी का निर्माण संज्ञान में है। विगत में अभियोग पंजीकृत कराया गया था। पुनः मौके पर जाकर जांच की जाएगी।
दिलीप फौजदार
संरक्षण अधिकारी
एएसआई
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