आगरा, उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश परिवहन निगम (UPSRTC) पहले से ही घाटे का सामना कर रहा है, और आगरा शहर में ‘डग्गेमार’ यानी अवैध रूप से संचालित निजी बसें इस समस्या को और बढ़ा रही हैं। शहर के व्यस्ततम वाटर बॉक्स चौराहे पर सुबह से शाम तक इन बसों का बेखौफ संचालन देखने को मिलता है, जिससे न केवल परिवहन निगम को भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है, बल्कि यातायात व्यवस्था भी चरमरा रही है। गंभीर बात यह है कि इस अवैध धंधे के पीछे दबंग ठेकेदार का संरक्षण होने और स्थानीय पुलिस व यातायात कर्मियों की मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए जा रहे हैं।
राजस्व को करोड़ों का चूना और सरकारी बसों को नुकसान
सूत्रों के अनुसार, वाटर बॉक्स चौराहे पर एक दबंग ठेकेदार के संरक्षण में दर्जनों डग्गेमार बसें धड़ल्ले से चल रही हैं। ये बसें सरकारी बसों की तुलना में कम किराए में यात्रियों को भरकर ले जाती हैं, जिससे यात्रियों को तो तात्कालिक फायदा होता है, लेकिन उत्तर प्रदेश परिवहन निगम को हर साल करोड़ों रुपये का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। परिवहन निगम के जिम्मेदार अधिकारी इस पर कार्रवाई करने की बजाय अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़कर बैठे हुए हैं।
पूर्व में भी इस दबंग ठेकेदार के खिलाफ कई बार खबरें प्रकाशित हुई हैं, लेकिन कुछ समय की खानापूर्ति के बाद फिर से यह अवैध धंधा बड़े आराम से संचालित होने लगता है, जिससे सवाल उठता है कि आखिर इसे किसका संरक्षण प्राप्त है।
आदर्श पुलिस चौकी और यातायात पुलिस की नाक के नीचे चल रहा खेल
यह स्थिति और भी गंभीर हो जाती है जब यह पता चलता है कि वाटर बॉक्स चौराहे पर सुबह से शाम तक यातायात पुलिसकर्मी मौजूद रहते हैं। जीवनी मंडी की ओर जाने वाले रास्ते पर खाटू श्याम जी का मंदिर होने के कारण पूरे दिन भक्तों की भारी भीड़ रहती है और नो-एंट्री में भारी वाहनों का प्रवेश भी वर्जित रहता है।
बावजूद इसके, इन डग्गेमार बसों को चौराहे पर खुलेआम स्टैंड बनाकर सवारियां भरने की अनुमति मिलती है।
यही नहीं, वाटर बॉक्स चौराहे पर हाल ही में कमला नगर थाने की आदर्श पुलिस चौकी का उद्घाटन किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य यात्रियों के साथ होने वाली घटनाओं और शाम के समय शराबियों के उत्पात को रोकना था। चौकी पर हर समय पुलिसकर्मी मौजूद रहते हैं, लेकिन डग्गेमार बसों के संचालन की रोकथाम के लिए अब तक किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जो स्थानीय पुलिस और यातायात पुलिस की मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
बिना नंबर प्लेट और सरकारी रंग में दौड़ रही अवैध बसें
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि वाटर बॉक्स चौराहे से संचालित होने वाली अधिकतर डग्गेमार बसों के नंबर प्लेट ही गायब हैं। कुछ बसें तो ऐसी हैं, जिन्हें धोखे से सरकारी बस दिखाने के लिए सरकारी बसों के रंग में रंगकर फर्राटा भरा जा रहा है। जिम्मेदार अधिकारी ‘कुंभकर्ण की नींद’ सोए हुए हैं, जिससे यह अवैध संचालन लगातार जारी है। इन बसों के चालक और परिचालक भी दबंग बताए जाते हैं, जो किसी भी विवाद की स्थिति में एकजुट होकर झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं।
राजस्व विभाग में बैठे बाबू लोग भी अपनी कुर्सियों पर बैठकर सिर्फ सरकारी तनख्वाह ले रहे हैं, लेकिन राजस्व को हो रहे इस भारी नुकसान की ओर उनका कोई ध्यान नहीं है। इस गंभीर स्थिति पर तत्काल ध्यान देना और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना बेहद जरूरी है, ताकि सरकारी खजाने को हो रहे नुकसान को रोका जा सके और शहर की यातायात व्यवस्था में सुधार आए।