आगरा : आखिर मृतक मजदूर की मासूम बेटियों और पत्नी को कौन देगा न्याय? पुलिस ने नहीं लिखा मुकदमा

Jagannath Prasad
3 Min Read
बुधवार को रुनकता चौकी के बाहर बैठे मृतक की मासूम बेटियां और पत्नी ,परिजन

पीतम शर्मा,अग्र भारत संवाददाता

मजदूर ने वीडियो बनाकर की आत्महत्या, सचिव को ठहराया जिम्मेदार

पत्नी और बेटियाँ थाने-चौकी के काट रही हैं चक्कर, मासूम बेटियों ने वीडियो साझा कर लगाई इंसाफ की गुहार।
सचिव के बयान की परतें प्रधान के लैटर से खुल रही हैं।

सिकंदरा। थाना सिकंदरा क्षेत्र के गांव खंडवाई में मजदूर पप्पू पुत्र अली शेर की आत्महत्या ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया है। तीन मासूम बेटियों के पिता पप्पू ने जान देने से पहले सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर अपनी मौत का जिम्मेदार महिला पंचायत सचिव को ठहराया था। इसके बावजूद थाना पुलिस ने सचिव के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया।

वीडियो में इंसाफ मांगते हुए मृतक की बेटी और पत्नी

परिजनों का आरोप है कि मृतक की पत्नी और उसकी मासूम बेटियाँ बुधवार को घंटों चौकी और थाने के चक्कर काटती रहीं, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। आत्महत्या से पहले बनाए गए वीडियो को भी पुलिस ने दरकिनार कर दिया।गांव के लोगों का कहना है कि मृतक पप्पू बेहद गरीब मजदूर था, जो गांव-गांव फेरी लगाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। बच्चों की पढ़ाई के लिए जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की कोशिश कर रहा था। इसी बीच उसके फोन से पंचायत सचिव को कोई अनावश्यक वीडियो भेजे जाने का मामला उठा। सचिव ने थाना सिकंदरा में तहरीर दी, जिसके बाद पुलिस ने पप्पू पर दबाव बनाया। दबाव और अपमान से आहत होकर उसने फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी।गांव में तैनात यह महिला सचिव पहले भी कई बार विवादों में घिर चुकी है, लेकिन हर बार कार्रवाई से बच निकलती रही है। ग्रामीणों का कहना है कि इस बार भी थाना पुलिस सचिव को बचाने में जुटी है।सिर से पिता का साया उठने के बाद छोटे-छोटे बच्चे और उनकी मां दर-दर भटक रहे हैं और न्याय की गुहार लगा रहे हैं। बेटियों ने भी सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर इंसाफ की अपील की है। अब बड़ा सवाल यह है कि जब थाना पुलिस ही वीडियो और साक्ष्यों को दरकिनार कर सचिव को बचाने में लगी है, तो आखिर मजदूर की मासूम बेटियों और पत्नी को न्याय कब और कैसे मिलेगा?

See also  झांसी: शिवनारायण सिंह परिहार बने यूपी कांग्रेस किसान मोर्चा के बुंदेलखंड जोन अध्यक्ष

सचिव के बयान और प्रधान के लैटर से खुलती परतें

सचिव ने इस मामले में बताया कि मजदूर अपने बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के लिए आया था। बच्चों का जन्म बिहार में हुआ था, इसलिए प्रमाण पत्र नहीं बन सका। लेकिन वहीं, ग्राम प्रधान द्वारा जारी किए गए लैटर पैड पर मुहर लगाकर बच्चों का जन्म गांव में होना प्रमाणित किया गया है।ग्रामीणों का कहना है कि पप्पू पढ़ा-लिखा नहीं था। संभव है कि सचिव का नंबर उसके मोबाइल में किसी ने सेव कर दिया हो और गलती से वीडियो चला गया हो।

See also  होटल में खून की होली, आगरा के युवक ने मां और 4 बहनों की ली जान
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement