- आज जो शिकायत कर रहे हैं, वही 2019 में करते थे बंसल की वाहवाही
- मेयर ओएसडी रखे या फिर नौकर, वह अपने घर में रखने को हैं आजाद
- 238 करोड़ की संपत्ति का दावा, लेकिन साक्ष्य नहीं
अग्र भारत ब्यूरो (एमडी खान)
आगरा। भाई ये राकेश बंसल पर इतना हंगामा क्यों बरपा है, महज संविदाकर्मी ही तो था, अरे देश को लूट ले जाने वाला विजय माल्या थोड़े ही है, जिसको लेकर पक्ष, विपक्ष और मीडिया राई को पहाड़ और रस्सी का सांप बनाने पर तुले हैं। जो आरोप लगा रहे हैं, वहीं कुछ साल पहले इसका लिखित में गुणगान करते थे। जी हां मेयर महोदया ने जल्दबाजी जरूर की है, कि नगर निगम में कार्य करवाने हेतु कोई व्यक्ति रखना था, तो कानूनन नगर आयुक्त, कार्यकारणी और सदन के संज्ञान में लाना जरूरी होता है। उन्हे पर्सनल नौकर रखना है, तो उसके लिए वह आजाद हैं। उससे वह सरकारी काम छोड़कर कुछ भी कराये। इसपर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कुछ ऐसे भी दूध के धुले हैं, जो आरोप लगा रहे हैं, लेकिन उनकी कुंडली भी ऐसी है कि धोखाधड़ी के मुकदमें दर्ज हैं। वह अखबारों में बयान दे रहे हैं कि बंसल भ्रष्टाचारी है। पूरा मामला क्या है? कौन कितने पानी में है यह सब जानने के लिए पढ़िये अग्र भारत की एक पड़ताल रिपोर्ट…
मेयर ने नगर आयुक्त को भेजा था पत्र, हंगामा
नवनिर्वाचित मेयर हेमलता दिवाकर ने 19 जुलाई को नगर आयुक्त के लिए एक पत्र लिखा। पत्र कुछ इस प्रकार है कि अधोहस्ताक्षरी कार्यालय में कोई भी अनुभवी व्यक्ति न होने के कारण कार्यालय के कार्यो पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। यह अवगत कराना है कि राकेश बंसल पुत्र सुरेश बंसल निवासी पश्चिमपुरी आगरा को नगर निगम आगरा में सेवा दिये जाने का 15 वर्षो का अनुभव है। अत: नगर निगम आगरा में अनुभव को देखते हुए राकेश बंसल को में अपना ओएसडी नियुक्त करती हूं।
महापौर कार्यालय की ओर से नगर निगम संबंधी कार्यों का कर्तव्य एवं निर्वहन बंसल द्वारा बतौर ओएसडी किया जायेगा। इस पत्र के बाद ही नगर निगम और सत्ताधारी नेताओं में ओएसडी राकेश बंसल को लेकर हंगामा हो गया। सभी ने अपने-अपने तरीके से विरोध किया और संतुलित व असंतुलित भाषा में बयानबाजी की। मामले में हुए हंगामा की वजह से मेयर को सदन कुछ समय के लिए स्थगित करना पड़ा था। उसके बाद से मेयर विरोधियों को मौका मिल गया है और नगर निगम राजनीति को अखाड़ा बना दिया है।
…घर में नौकर रखें लेकिन निगम में नियम से ही होगा
आम आदमी पार्टी के नेता व पूर्व पार्षद कपिल बाजपेयी कहते हैं कि मेयर को अपने घर में नौकर रखना है, तो वह कितने भी रखें। इसके लिए नगर आयुक्त को जानकारी देने की जरूरत नहीं है। मेयर ने जो पत्र लिखा है। उसकी भाषा कहती है कि नगर निगम में महापौर कार्यालय में नगर निगम से संबंधित सभी काम राकेश बंसल देखेंगे। वह सीधे-सीधे नगर आयुक्त को पत्र जारी करके आदेश नहीं कर सकती हैं। इसके लिए सदन और कार्यकारणी में प्रस्ताव रखना जरूरी होता है। वहां से प्रस्ताव पास होने के बाद वह किसी को ओएसडी रखतीं। इस पर किसी को ऐतराज नहीं होता। मेयर के द्वारा दिया गया बयान उनके पत्र से मेल नहीं खा रहा है। जबकि वह खुद वर्ष 2017 में राकेश बंसल की शिकायत कर चुकी हैं।
…238 करोड़ का सपना, करोड़ बार सोचना पड़ेगा
काननू के जानकार कहते हैं कि आय से अधिक संपत्ति की जांच लोक सेवक की होती है। संविदाकर्मी इस दायरे में नहीं आते हैं। छह हजार रुपये कमाने वाला व्यक्ति 238 करोड़ के सपना देखने में भी करोड़ बार सोचेगा, कमा पाना बहुत बड़ी बात है। राकेश बंसल को 15 साल का अनुभव है। वह नगर निगम को करीब से जानता है।
मान लिया जाये कि नगर निगम से 238 करोड़ रुपये भ्रष्टाचार से कमा लिये। एक मामूली सा संविदाकर्मी करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार कर लेता है और सत्ताधारी मेयर, आईएएस स्तर का नगर आयुक्त अपनी आंख बंद करके रहते हैं। आरोप है कि बंसल को भ्रष्टाचार में निकाला गया था, तो यह तो बहुत ही गंभीर मुद्दा है। शासन-प्रशासन ने उस घोर भ्रष्टाचारी पर मुकदमा दर्ज करकर जेल क्यों नहीं भेजा। वह कौन लोग थे, जिनके लिए राकेश बंसल काम करता था?
इन सबके अलावा नगर निगम में सैंकड़ों कर्मचारी हैं। 100 पार्षद हैं। उनमें से किसी एक को आगे आकर बंसल के खिलाफ तहरीर देनी चाहिए थी। वह पहले ही जेल चला जाता, तो वह दोबारा से निगम में एंट्री करने की हिमाकत नहीं कर पाता।
माननीय डॉ. जीएस धर्मेश हैं भोले-भाले…
सत्ताधारी विधायक जीएस धर्मेश इन दिनों मेयर द्वारा नियुक्त किये गये ओएसडी को लेकर सख्त नाराज हैं। वह राकेश बंसल को भ्रष्टाचारी का आरोपी मान चुके हैं। तीन दिन से अखबारों की श्री डॉ. धर्मेश सुर्खियां बने हुए हैं। जबकि उनके राज्यमंत्री के कार्यकाल में 16 सितंबर 2019 को उनके द्वारा जारी मुख्यमंत्री के लिए एक पत्र वायरल हुआ है। उसमें लिखा है कि नगर निगम में नगर आयुक्त एवं उनके अधिनस्थ कर्मचारी राकेश बंसल की आय से अधिक संपत्ति की सीबीआई से जांच कराने के संबंध में शिकायत की गई थी। उल्लेखित तथ्यों की मेरे द्वारा जानकारी की गई। सभी शिकायतें निराधार पाई गई हैं। जिस पर किसी भी कार्रवाई की आवश्यकता प्रतीत नहीं होती है। उन्होंने राकेश बंसल के विरुद्ध सभी शिकायतों को समाप्त करने की प्रार्थना की थी। उनका ही 19 जून 2019 का पत्र और वायरल है। उसमें कई अलग-अलग शिकायतें की गई हैं। पहली शिकायत नगर आयुक्त और संविदाकर्मी राकेश बंसल की है। एक शिकायत अमृत योजना के अतर्गत एक पार्क के निर्माण की गुणवत्ता को लेकर है। 10 अगस्त 2019 को उनके लेटर हेड पर एक पत्र और जारी हुआ। उसमें ठेकेदार का गुणगान लिखा हुआ है। इससे ऐसा लगता है कि डॉ. जीएस धर्मेश बहुत ही सीधे-साधे व्यक्ति ही हैं। वह कुर्सी पर विराजमान जरूर हैं लेकिन लोग उनका इस्तेमाल अपने-अपने तरीके से कर ले जाते हैं।
कहावत है कि जिनके घर शीशे के होते हैं, वह किसी दूसरे के घर पर पत्थर नहीं मारते, लेकिन शास्त्रीपुरम निवासी रोहित शर्मा उर्फ रोेहित कटारा ने तो राकेश बंसल में मामले में खुलकर बल्लेबाजी कर दी। जबकि इनके खुद के ऊपर धोखाधड़ी के तीन मुकदमें दर्ज हैं। थाना हरीपर्वत में दो मुकदमें रवि लवानिया नाम के व्यक्ति ने दर्ज कराये हैं। वहीं तीसरा मुकदमा मध्यप्रदेश के जिला धार में थाना सागौर में धारा 420 का मुकदमा दर्ज है। वहां रोहित शर्मा और उसका भाई पेट्रोलपंप से छह लाख रुपये से अधिक का डीजल डलवा लिया था। उसका पेमेंट करके नहीं आये थे। ऐसे ही एक जलकल कर्मचारी भी अपनी पत्नी के नाम से राकेश बंसल और ऐसे तमाम व्यक्तियों की शिकायत करता रहता है।