ज्ञापन में मनोज शर्मा ने कहा कि निजी विद्यालयों द्वारा बिना अभिभावकों की अनुमति के विद्यार्थियों को एक विशेष धर्म समुदाय के कार्यक्रमों में भेजने की परंपरा शुरू की जा रही है। यह कार्य पूरी तरह से नियमों के खिलाफ है और अभिभावकों की अनुमति के बिना बच्चों को इस तरह के कार्यक्रमों में भेजने की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कई विद्यालयों ने धार्मिक संस्थाओं को पत्र लिखकर यह जानकारी दी है कि वे किस विद्यालय से कितने विद्यार्थियों को इस कार्यक्रम में भेजेंगे। यह स्थिति अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।
मनोज शर्मा ने कहा कि यह कार्य न केवल अनुचित है, बल्कि इसके खिलाफ जांच भी होनी चाहिए कि आखिर विद्यालयों ने किस नियम के तहत इस कार्यक्रम के लिए विद्यार्थियों की अनुमति दी। उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या भविष्य में यह परंपरा सभी धर्मों के कार्यक्रमों में विद्यार्थियों को भेजने की दिशा में बढ़ेगी? यदि ऐसा हुआ तो अन्य धर्मों के संगठनों की इच्छा भी होगी कि वे अपने कार्यक्रमों के लिए विद्यालयों से विद्यार्थियों को बुलवाएं, जो कि एक गलत परंपरा का हिस्सा बनेगा।
मनोज शर्मा ने यह भी कहा कि चूंकि यह कार्यक्रम न तो सरकारी है और न ही राष्ट्रीय पर्व का हिस्सा है, ऐसे में इस पर नियमों के खिलाफ गलत परंपरा पनपने से विद्यार्थियों और अभिभावकों के हितों को नुकसान हो सकता है। उन्होंने प्रशासन से तत्काल इस पर रोक लगाने की अपील की।
यदि प्रशासन इस मामले में तत्काल कार्रवाई नहीं करता है, तो मनोज शर्मा ने 23 दिसंबर को कार्यक्रम से पहले विद्यार्थियों और अभिभावकों के साथ अपनी गिरफ्तारी देने की चेतावनी दी है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले की पूरी जिम्मेदारी उन विद्यालयों के संचालकों, विद्यालय संगठनों और प्रशासनिक अधिकारियों की होगी जो इस मनमानी को बढ़ावा दे रहे हैं।