Agra News: माननीय पुत्र के कॉल ने रोक दिया योगी का बुल्डोजर!

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  • चौदह दिन के नोटिस के बाद कार्रवाई को गई थी एडीए की प्रर्वतन टीम
  • साईधाम कॉलोनी को ध्वस्तीकरण के आदेश के बाद दो बार हुई खानपूर्ति
एमडी खान
आगरा। आगरा विकास प्राधीकरण (एडीए) शहर में अवैध कॉलोनियों पर कार्रवाई कर रहा है। जिस जगह मकान बने हुए हैं। उनकों चौदह दिन का नोटिस जारी हुए हैं। सिकंदरा कैलाश मोड़ के पास स्थित साईं धाम कॉलोनी को पूर्व में ध्वस्तीकरण कार्रवाई सफेद हाथी रही। आपके अखबार ‘अग्र भारत’ ने मौके पर सच्चाई देख समाचार प्रकाशित किया तो आलाधिकारी हरकत में आये। उन्होंने कार्रवाई के लिए चौदह दिन का नोटिस जारी किया। तय तिथि के अनुसार प्रर्वतन विभाग की टीम सांईधाम कॉलोनी में विल्डोजर लेकर कार्रवाई को गई। मुख्य दरवाजे को तोड़ना ही था कि क्षेत्रिय धर्मगुरू मौके पर पहुंच गये। उन्होंने सजातीय कद्दावर माननीय के बेटे को फोन लगा दिया। नेता पुत्र ने एडीए की टीम को हड़काया। टीम ने सीएम योगी के अभियान का हवाला देते हुए नेता पुत्र और धर्मगुरू को दबाव में लेने की कोशिश की, लेकिन उनकी न चल सकी और टीम को योगी का विल्डोजर वापस लाना पड़ा।
IMG 20221119 090837 scaled e1670067473232 Agra News: माननीय पुत्र के कॉल ने रोक दिया योगी का बुल्डोजर!
बता दें कि आगरा विकास प्राधिकरण अधिकारियों के मुताबिक विभाग से प्रवर्तन प्रभारी आरपी सिंह, सहायक अभियंता वीएन सिंह, मनोज राठौर के सामने सिकंदरा कैलाश मोड़ वाटरवर्क्स के पीछे करीब पंद्रह दिन पहले अवैध कॉलोनी सांईधाम में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की थी। अधिकारियों का कहना था कि कालोनी का भवन व सड़कों का नक्शा पास नहीं था। उन्हे ध्वस्त कर दिया गया। इसका असली सच अग्र भारत ने 20 नवंबर को सांईधाम कॉलोनी में जाकर देखा। कॉलोनी में तीन से चार मकान बने हुए हैं। दो मकानों पर लोग रह भी रहे हैं। दो मकान अधबने हैं। कॉलोनी के मुख्य द्वार के ऊपर ही कॉलोनाइजर ने अपना भव्य, विशाल ऑफिस बनाया हुआ है। कॉलोनी की देखरेख के लिए चौकीदार भी है। ध्वस्तीकरण के नाम पर खानापूर्ति की गई। अग्र भारत समाचार पत्र में पूरा प्रकरण तथ्यों के आधार पर प्रकाशित हुआ। अधिकारियों ने अधिनस्तों को फटकार लगाई। कॉलोनी में रहने वाले लोगों को 14 दिन का नोटिस दिया। समायानुसार प्रर्वतन टीम तीस नवंबर को विल्डोजर लेकर कार्रवाई के लिए गई। कॉलोनाइजर ने अपने सभी समर्थकों को बुला लिया था। उन्होंने कार्रवाई को रोकने के लिए भरकस प्रयास किया।
धर्मगुरू की हुई एंट्री
साईं बाबा सिटी प्लानर प्रा. लि. के डायरेक्टर अतुल कुमार दुबे, दिलीप अग्रवाल, नीरज यादव, संजय अग्रवाल, प्रमोद कुमार सिंह, संजय गोयल ने क्षेत्र के एक धर्मगुरू को बुला लिया। उनसे गुहार लगाई कि वह किसी भी तरह से कॉलोनी को टूटने से बचा लें। बता दें कि धर्मगुरू ने शहर और सत्ताधारियों में अच्छी पकड़ बना रखी है। वह अधिकाश राजनीति और समाजिक प्रोग्राम में देखने को मिल जाते हैं। वह आये दिन अपने यहां बड़े-बड़े भंडारे आदि करते रहते हैं। कॉलोनी के डायरेक्टर धर्मगुरू के पैरों में गिर गये, हालांकि कॉलोनी में एक जो मुख्य व्यक्ति हैं वह पिछली सरकार में क्षेत्रिय दबंग माने जाते थे, लेकिन कहावत है कि शरण में आये दुश्मन की भी मदद की जाती है। यह सोचकर धमगुरू ने एक माननीय के पुत्र को कार्रवाई रोकने के लिए सूचना दी। नेतापुत्र ने ऐसा कुछ कहा कि प्रर्वतन टीम अधूरी कार्रवाई करके उल्टे पैर लौट गई।
ये है नक्शा पास कराने की प्रक्रिया
जानकारों के अनुसार कॉलोनी बनाने के लिए जमीन को सबसे पहले कृषि से आबादी (143) में कराना होता है। जमीन का खसरा, खतौनी और बैनामा हो और मास्टर प्लान (शहरीकरण) के तहत होनी चाहिए। विभाग को डवलप चार्ज देना होता है। प्लाट या कॉलोनी एरिया का 30 से 35 प्रतिशत खाली छोड़ना होता है। कॉलोनी में बतौर उदाहरण एक बीघा में 2756 गज होते हैं। नक्शा पास कराया तो 1617 गज जमीन रह जाती है। शेष जमीन में सड़क, पार्क, पानी टंकी, जिम आदि के लिए जगह छोड़नी होती है। इस प्रक्रिया में समय लगता है। इसलिए बिल्डर सिर्फ 143 कराकर कॉलोनी में प्लॉट बेचकर निकल जाते हैं। कई लोग तो ऐसे हैं, जिन्होंने कृषि की जमीन पर ही कॉलोनी बनाकर बेच दी हैं।
ध्वस्तीकरण का अर्थ होता है अनलीगल निर्माण को डेमोलिशन कर देना। हालांकि कई मामलों में देखा जाता है कि भवन स्वामी ने एक मंजिल बनाने का विभाग से नक्शा पास कराया है, दूसरी मंजिल ऐसी ही बना ली है, तो पहली मंजिल को छोड़कर दूसरे माले को अवैध निर्माण मानकर संबंधित विभाग तोड़ सकता है।
डॉ. सुरेन्द्र गुप्ता- वरिष्ठ अधिवक्ता

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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